eSports in India: सरकार ने भी माना, ऑनलाइन गेम का है जमाना
ई-स्पोर्ट्स यानि इलेक्ट्रॉनिक स्पोर्ट्स या फिर इन्हें ऑनलाइन गेम्स भी कह सकते हैं। पिछले कुछ सालों से इनकी लोकप्रियता और कारोबार लगातार बढ़ते ही जा रहे हैं, जिसे देखते हुए सरकार ने भी ई खेल को मान्यता दे दी है।
eSports in India: अगर आपको ऑनलाइन गेम खेलना पसंद है और दूसरे खेलों में आपकी रुचि नहीं है तो अब परेशान होने की जरूरत नहीं है। अब भविष्य में ऑनलाइन गेम्स, जिन्हें ई स्पोर्ट्स कहा जाता है, की प्रतियोगिता भी आयोजित किया जा सकेगी और उसके पुरस्कार भी जीते जा सकेंगे। इन पुरस्कारों को भारत सरकार अपनी मान्यता भी देगी।
असल में पिछले सप्ताह राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने मोबाइल गेम्स या ई स्पोर्ट्स को बहु खेल आयोजनों (मल्टी स्पोर्ट्स इवेंट्स) में शामिल कराने के लिए पहल करते हुए एक अधिसूचना जारी की। इसमें उन्होंने संविधान की धारा 77 के प्रावधान 3 के अंतर्गत अपने अधिकारों का प्रयोग कर खेल मंत्रालय और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय को आवश्यक निर्देश दिये।
इसी का नतीजा है कि अब मोबाइल गेम्स या ई-स्पोर्ट्स आधिकारिक रूप से देश की मुख्य खेल विधाओं में शामिल हो गये हैं। खेल मंत्रालय इन्हें अपने अधीन विषयों में शामिल करेगा और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय इनसे संबंधित मामलों में नोडल एजेंसी का काम करेगा।
सरकार ई-स्पोर्ट्स से संबंधित नियम भी तय करने की तैयारी में है। आशा की जा रही है कि भविष्य में ई-स्पोर्ट्स को पढ़ाई का हिस्सा बनाया जा सकता है और इनमें दिए जाने वाले पदकों और सम्मानों को आधिकारिक रूप से मान्यता मिल सकती है।
चार साल पुरानी है मांग
ई- स्पोर्ट्स पिछली करीब आधी सदी से खेले जा रहे हैं और इन पर केन्द्रित मुकाबले और टूर्नामेंट्स भी काफी समय से होते रहे हैं। 2018 में जकार्ता में एशियाई खेल हुए तो ई- स्पोर्ट्स को इस आयोजन में प्रदर्शनी खेलों के रूप में शामिल किया गया था। तभी से यह मांग जोर पकड़ने लगी थी कि उन्हें बहु खेल आयोजनों का हिस्सा बनाया जाए।
इनकी लोकप्रियता तो धीरे-धीरे बढ़ ही रही थी, लेकिन वर्ष 2020 में इनका स्वर्णिम दौर आरम्भ हुआ। यह वह साल था जब कोरोना पाबंदियों के चलते असली खेलों का आयोजन बंद हो गया था और खेलों के शौकीनों ने ई- स्पोर्ट्स की शरण ली। फिर तो दुनिया भर में ई- स्पोर्ट्स मुकाबलों की जैसे बाढ़ ही आ गयी। अकेले भारत में ही इस साल दस करोड़ से ज्यादा नये लोग इनसे जुड़े। नासकॉम के डाटा के अनुसार 2020 में भारत को गेमिंग से आठ हजार करोड़ रुपये से ज्यादा का मुनाफा हुआ था।
क्यों होते हैं ई-स्पोर्ट्स लोकप्रिय?
ई- स्पोर्ट्स की बढ़ती लोकप्रियता के पीछे बहुत सारे कारण हो सकते हैं। मसलन, ये बहुत सुविधाजनक होते हैं और इन्हें किसी भी स्थान पर, किसी भी समय, किसी भी मुद्रा में खेला जा सकता है। दूसरे, इनमें जोखिम कम होता है। लेकिन, सबसे बड़ी वजह है ई- स्पोर्ट्स में समाहित एक्शन और स्पीड का रोमांच।
हालांकि, भारत को अभी इस दिशा में बहुत लंबा सफर तय करना होगा, क्योंकि, दुनिया का दूसरा सबसे ज्यादा इंटरनेट यूजर्स वाला देश होने के बावजूद हम विश्व के शीर्ष 100 मोबाइल गेमर्स देशों की सूची में पहले पचास में भी नहीं है। वहीं दक्षिण कोरिया और सिंगापुर जैसे छोटे-छोटे देश टॉप गेमर्स में से हैं।
लेकिन अब, जब इन्हें आधिकारिक खेलों के रूप में कॉमनवेल्थ, एशियाई या ओलंपिक जैसे खेल आयोजनों का हिस्सा बनाने की तैयारी चल रही है, तो स्थिति तेजी से बदलेगी। दुनिया की सर्वाधिक युवा आबादी वाला देश होने के नाते भारत को आगे काफी बढ़त मिलने की उम्मीद की जा सकती है।
होने वाले हैं कई बड़े आयोजन
आई ओ सी (अंतरराष्ट्रीय ओलम्पिक समिति) ई-स्पोर्ट्स को प्रोत्साहन देने में काफी रुचि ले रही है। उस क्रम में जून में सिंगापुर में पहले ओलम्पिक ई-स्पोर्ट्स वीक का आयोजन होने जा रहा है। अगले साल चीन में होने जा रहे एशियन गेम्स में भी ई-स्पोर्ट्स डेब्यू करेंगे।
ई-स्पोर्ट्स के क्षेत्र की अपार संभावनाओं को देखते हुए इन्हें बढ़ावा देने में कोई बुराई नहीं। 2022 में भारतीय गेमर्स ने 1500 करोड़ बार मोबाइल गेम्स डाउनलोड किये। इससे देश का ऑनलाइन गेमिंग कारोबार लगभग नौ हजार करोड़ रुपये तक पहुंचा। अब जब जल्दी ही पूरे देश में 5G उपलब्ध होगा तो निश्चय ही इसमें काफी वृद्धि होगी।
सबका फायदा, पर जोखिम भी कम नहीं
ई-स्पोर्ट्स में खरबों रुपये की संभावनाएं हैं, जिनकी वजह से ये बहुत सारे मामलों में फायदेमंद प्रतीत होते हैं। इनके निरंतर विस्तार ने इस क्षेत्र में बहुत सारे नये रोजगारों का सृजन किया है। वर्तमान में इस इंडस्ट्री से देश के लगभग चालीस हजार से अधिक लोग पूर्णकालिक कर्मचारी के रूप में जुड़े हैं। करीब तीन सौ कंपनियां डिजीटल गेम्स डेवलपमेंट के क्षेत्र में सक्रिय हैं।
जबकि एक दशक पहले तक यह संख्या इसके दस फीसदी से भी कम थी। कारोबार की अगर बात करें तो 2027 तक आनलाइन गेमिंग कारोबार के करीब तीस हजार करोड़ तक पहुँचने की उम्मीद है। इससे सरकारी राजस्व में भी काफी वृद्धि होगी। सरकार अब जहां एक ओर ई गेमर्स का रजिस्ट्रेशन अनिवार्य करने जा रही है वहीं 28 प्रतिशत जीएसटी लगाने की भी तैयारी है।
इसका एक और फायदा यह बताया जा रहा है कि अभी तक लोगों में क्रिकेट, फुटबॉल, कबड्डी जैसे खेलों को लेकर जो क्रेज रहा है, वह आगे दूसरे खेलों तक विस्तार लेगा। इसका लाभ हॉकी, बॉलीबॉल, कुश्ती, और दूसरे कई अपेक्षाकृत कम लोकप्रिय खेलों को मिलेगा।
लेकिन, हमें उन स्याह पहलुओं की भी अनदेखी नहीं करनी चाहिए, जो इसी जगमगाती दुनिया से जुड़े हुए हैं। बीते सालों में हमने देखा है कि किस तरह मोबाइल गेमिंग को गैम्बलिंग में बदल कर लोगों को कंगाली, अवसाद और आत्महत्या के कगार पर पहुंचाया गया है।
बेटिंग (सट्टेबाजी) के अलावा फिक्सिंग इस सेक्टर की दूसरी समस्या हो सकती है। तकनीकी रूप से यह जानना और सिद्ध कर पाना बहुत कठिन है कि किस गेम में डेवलपमेंट के लेवल पर ही किस तरह के नतीजे सेट किए गए हैं। एक और खतरा हैकिंग का भी है। ई- गेमर्स को इससे बचाने के लिए भी एक पुख्ता व्यवस्था करनी जरूरी है।
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इन्हीं बातों को ध्यान में रखते हुए सोमवार को केन्द्र सरकार ने गेमिंग कंपनियों के लिए प्रस्तावित नियमों का ड्राफ्ट जारी किया है। इसमें केवाईसी और सेल्फ रेगुलेशन जैसी चीजों का जिक्र है। गेमिंग कंपनियों के लिए वही नियम लागू रहेंगे, जो 2021 में सोशल मीडिया कंपनियों के लिए निर्धारित किये गये थे। साथ ही इन कंपनियों पर जुए और सट्टेबाजी से जुड़े कानून भी लागू होंगे। यानी किसी को भी खेलों के नतीजों पर पैसा लगवाने या लगाने की इजाजत नहीं दी जाएगी।
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(इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं। लेख में प्रस्तुत किसी भी विचार एवं जानकारी के प्रति Oneindia उत्तरदायी नहीं है।)