
Gujarat Election 2022: गुजरात चुनाव में भी मोदी के बाद योगी ही योगी
Gujarat Election 2022: गुजरात विधानसभा चुनाव में मुख्य प्रचारक के तौर पर प्रधानमंत्री मोदी की लोकप्रियता स्वाभाविक है। बीते दो दशक का सत्य यही है कि मोदी और गुजरात एक दूसरे के पर्यायवाची हो गये हैं।

मोदी भले ही प्रधानमंत्री हो, लेकिन भाजपा के लिए गुजरात विधानसभा चुनाव की कल्पना मोदी के बिना संभव नहीं है। गुजरात के हर बैनर, बिल्ले, पोस्टर पर मोदी है। हर नारे में मोदी है और हर सभा में मोदी मोदी के नारे लगते है। लेकिन इस बार मोदी के अलावा भाजपा का एक और नेता है जिसकी मांग मोदी जैसी ही हो रही है।
2022 के इस गुजरात विधानसभा चुनाव में प्रधाानमंत्री मोदी के अलावा भाजपा के जिस नेता की मांग सर्वाधिक है, वो हैं उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ। गुजरात विधानसभा चुनाव में रैली हो या रोड शो, भाजपा के उम्मीदवारों की ओर से मोदी के बाद योगी की ही मांग सबसे अधिक है।
2017 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के बाद आश्चर्यजनक रूप से उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बनाए गए योगी के लिए कहा गया था कि योगी मुखौटा हैं, उनका रिमोट दिल्ली में है।
लेकिन पांच साल की कार्यशैली ने योगी को 2022 में उत्तर प्रदेश में प्रचंड जीत दी और योगी को यूपी की सरहद से बाहर निकालकर मोदी के बाद भाजपा का दूसरे नंबर का सबसे लोकप्रिय नेता बना दिया। पहले मोदी गुजरात को हिन्दुत्व की प्रयोगशाला बनाकर हिन्दुत्व के गौरव बने, तो अब योगी उत्तर प्रदेश में हिन्दुत्व अस्मिता के प्रतीक बन चुके हैं।
मोदी के दिल्ली में उदय के बाद मोदी के बेहद भरोसेमंद अमित शाह को मोदी के असंदिग्ध तार्किक उत्तराधिकारी के तौर पर देखा जाता था। मोदी और शाह का रिश्ता गुजरात में भाजपा की सत्ता के शुरूआती दिनों से रहा है। शाह की कार्यशैली ने शाह को हिंदुत्व के कट्टरपंथी चेहरे के तौर पर पहचान दी।
अटल बिहारी वाजपेयी के प्रधानमंत्री कार्यकाल में जिस तरह लालकृष्ण आड़वाणी को हिंदू कट्टरपंथी के तौर पर देखा जाता था, मोदी के पधानमंत्री बनने के बाद शाह ने हिन्दुत्व का चौगा धारण कर लिया था। लेकिन अब योगी आदित्यनाथ हिंंदुत्व के एक प्रमुख शुभंकर के तौर पर उभरे है और मोदी के बाद योगी के नाम की चर्चा जनता, संघ और संगठन में होने लगी है।
गुजरात चुनाव में भाजपा उम्मीदवार की जीत सुनिश्चित करने के लिए पर्दे के पीछे रहकर काम करने वाले संघ के स्वयंसेवको के साथ साथ गुजरात विधानसभा चुनाव में भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ रहे 100 से ज्यादा प्रत्याशी चाहते हैं कि योगी आदित्यनाथ उनके चुनाव क्षेत्र में एक बार प्रचार करने जरूर आएं।
पहले चरण में 1 दिसंबर को सौराष्ट्र, कच्छ और दक्षिण गुजरात की कुल 89 सीटों पर मतदान होगा। पहले चरण में गुजरात सरकार के 10 मंत्री भी मैदान में है। पहले चरण के 89 उम्मीदवारों में से 40 से ज्यादा उम्मीदवारों ने योगी की सभा उनके क्षेत्र में करवाने की मांग प्रदेश संगठन से की थी। दूसरे चरण की 93 सीटों पर जहां 5 दिसंबर को मतदान होने वाला है, इन 93 सीटों में से 60 सीटों पर चुनाव लड़ रहे उम्मीदवारों ने प्रदेश संगठन से योगी की सभा उनके क्षेत्र में करवाने की मांग की है।
मोदी के बाद योगी की गुजरात विधानसभा चुनाव में डिमांड का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि 2017 के विधानसभा चुनाव में सबसे ज्यादा वोटों से जीतने वाले और बाद में गुजरात के मुख्यमंत्री बने भूपेन्द्र पटेल की जीत सुनिश्चित होने के बाद भी म़ुख्यमंत्री चाहते है कि योगी उनके क्षेत्र में उनका प्रचार करें।
2017 में पाटीदार आंदोलन के कारण भाजपा को तगड़ा नुकसान देने वाले और अब भाजपा से चुनाव लड़ रहे हार्दिक पटेल को अपनी जीत के लिए सिर्फ पाटीदार वोट ही नहीं योगी की अपने चुनाव क्षेत्र में उपस्थिति जीत की गारंटी लग रही है।
भाजपा से चुनाव लड़ रहे नेताओं के साथ गुजरात भाजपा संगठन ने भाजपा के शीर्ष नेतृत्व को संदेश भेज कर कहा था कि मोदी के गुजरात में मोदी के साथ योगी का प्रचार भाजपा के लिए एक और एक ग्यारह साबित होगा। सूरत जिले में आने वाली 16 विधानसभा सीटों जहां उत्तर भारतीयों की निर्णायक संख्या है, उसमें योगी की सबसे पहले सभा आयोजित की गई थी।
भाजपा ने गुजरात विधानसभा चुनाव में सुनियोजित रणनीति तय की है। इसके तहत गुजरात में मोदी हिंदुत्व के नरम चेहरे की नुमाइंदगी करें और विकास के एजेंडे पर जोर दे, जबकि योगी को पूरे गुजरात में हिंदू वोटों को आक्रामक ढंग से मजबूत करने के काम में लगाया जाए। गुजरात में यही हो रहा है। मोदी विकास की बातें कर रहे हैं और योगी घूम घूम कर हिन्दुत्व और राम मंदिर की बात कर रहे हैं। योगी गुजरातियों को राम मंदिर को देखने के लिए अयोध्या आने का आमत्रंण भी दे रहे है।
गुजरात में योगी के महत्व को देखते हुए कहा जा जा सकता है कि अब भाजपा में मोदी के बाद योगी ने अखिल भारतीय भूमिका अख्तियार कर ली है। मोदी और शाह क़े दम पर भाजपा जिस राजनैतिक राष्ट्रवाद की 'साधना' में लगी है, उसमें अब योगी का नाम भी जुड़ गया हैं। विपक्ष के पास मोदी और योगी का कोई तोड़ नहीं है इसलिए फिलहाल भाजपा की इस स्टार प्रचारक जोड़ी को चुनौती देना विपक्ष के बस की बात नहीं है।
गुजरात चुनाव के तुरंत बाद कर्नाटक में चुनाव है। ग्यारह माह के भीतर मध्यप्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में भी चुनाव है। इन चुनावों में भी मोदी के साथ योगी की मांग रहेगी यह तय है।
ऐसे में कहा जा सकता है कि भाजपा के रंगमंच पर योगी आदित्यनाथ राष्ट्रीय नेतृत्व के तौर पर उभरने लगे हैं। उत्तर से लेकर दक्षिण तक जिस प्रकार चुनाव प्रचार के समय योगी की मांग हो रही है, उससे यही लगता है कि मोदी के बाद भाजपा का एक बड़ा वर्ग योगी में हिन्दुत्व का चेहरा देख रहा है।
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