Arshad Madani Comment: निराकार ब्रह्म नहीं है इस्लाम का अल्लाह
देओबंदी जमात से ताल्लुक रखनेवाले अरशद मदनी ने अल्लाह की तुलना संभवत: ॐ से इसलिए की ताकि वो अल्लाह को निराकार ब्रह्म जैसा साबित कर सकें। लेकिन क्या इस्लाम का अल्लाह निराकार ब्रह्म है जो इसकी तुलना ॐ से की जाए?
दिल्ली के रामलीला मैदान में जमीयत उलेमा ए हिन्द के सम्मेलन में एक से एक मनगढंत दावे किये गये। इस्लाम को भारत में पैदा हुआ सबसे पुराना मजहब बताया गया, मनु को आदम घोषित किया तो अल्लाह को ॐ के समान भी कह दिया गया। ये दावे जिन देओबंदी उलमाओं द्वारा किये गये वो सब अपने आप को वेदों का अध्ययनकर्ता भी घोषित करते हैं। इन्होंने वेद और उपनिषद कितना समझा है वह तो अरशद मदनी के दावे से ही समझ आ गया लेकिन वो इस्लाम के अल्लाह के बारे में भी झूठ ही बोल रहे हैं।
इस्लाम में अल्लाह की अवधारणा को लेकर अलग अलग मत हैं। भारत में मुख्य रूप से सुन्नी हनफी इस्लाम का प्रचार हुआ और उन्हीं की बहुलता है। सुन्नी हनफी फिरके के मुसलमान मानते हैं कि अल्लाह हर जगह हाजिर और नाजिर है। यानि वो अल्लाह को एक निराकार स्वरूप में मानते हैं। भारत के देओबंदी और बरेलवी दोनों ही फिरके इसी हनफी विचारधारा वाले हैं। मदनी परिवार जो ॐ से अपने अल्लाह की तुलना कर रहा है वह खुद देओबंदी फिरके से है।
जबकि हनफी फिरके से उलट सऊदी अरब का शुद्धतावादी फिरका सलफी कहता है कि अल्लाह अर्श पर बैठा है। इन दोनों के दावों को इस्लामिक किताबों से परखें तो सलफी फिरका वही बोल रहा है जो इस्लामिक किताबों में लिखा है। यह दावे से कहा ही नहीं जा सकता कि अल्लाह के बारे में इस्लाम के किस फिरके की कौन सी अवधारणा सही है। ऐसे में इस्लामिक किताबों से ही जांचना जरूरी है कि इस्लाम की सही किताबें इस बारे में क्या कहती हैं।
कुरान में अल्लाह फूंक मारता है अर्थात उसका मुंह है, (कुरान 21/91 और कुरान 15/29) है। कुरान की इन आयतों के मुताबिक वह मरियम की शर्मगाह और आदम के पुतले में रुह फूंकता है। कुरान 52/48 में अल्लाह की आंखों का उल्लेख आता है। कुरान 48/10 और 38/75 में अल्लाह के हाथ होने की बात कही गयी है। कुरान 39/67 में अल्लाह के दायें हाथ और मुट्ठी का जिक्र आता है। कुरान 76/9 में अल्लाह के चेहरे का जिक्र आता है।
कुरान से आगे हदीसों की ओर आगे बढें तो वहां भी अल्लाह के शरीर का उल्लेख आता है। सही अल बुखारी हदीस संख्या 4848 में अल्लाह के कदम का उल्लेख है। सही मुस्लिम की हदीस संख्या 2655 में अल्लाह की अंगुलियों का जिक्र आता है। सही मुस्लिम की हदीस 4721 में अल्लाह के दो हाथ का जिक्र आता है जो दोनों दाहिनी ओर हैं। इसके अलावा जो अल्लाह की फिजिकल बॉडी की सबसे बड़ी दलील कुरान में यह आती है कि वह अर्श पर एक तख्त पर बैठा है। सूरा हूद की आयत संख्या 7 स्पष्ट रूप से कहती है कि अल्लाह पानी के अर्श पर रखे एक तख्त पर बैठा है।
यहां एक बात और महत्वपूर्ण है कि कुरान 42/11 में स्पष्ट रूप से कहती है कि अल्लाह की किसी के साथ तुलना या बराबरी नहीं हो सकती। अगर अल्लाह कुरान में स्वयं कोई तुलना कर देता है तो भी उसके माननेवाले ऐसी तुलना का उदाहरण नहीं दे सकते। सही बुखारी की हदीस संख्या 7439 कहती है कि आखिरत के दिन अल्लाह जिसके सामने चाहेगा, खुद उपस्थित होगा। मतलब इस्लाम में जिस अल्लाह की बात हो रही है वह एक फिजिकल फॉर्म में है।
ऐसे में अल्लाह को निराकार ब्रह्म बताकर अरशद मदनी जहां इस्लाम के अल्लाह की तौहीन कर रहे हैं वहीं उसकी तुलना ॐ से करके सबसे बड़ा इस्लामिक शिर्क कर रहे हैं। उनकी ऐसी बेसिर पैर की तुलना को इस्लाम से आगे निकलकर अगर ॐ के संदर्भ में देखें तो भी ऐसी बेतुकी तुलना ॐ के साथ भी अन्याय ही है।
ॐ को निराकार ब्रह्म के रूप में मनु ने नहीं पूजा था जैसा कि अरशद मदनी ने दावा किया है। मनु किसी की पूजा का ग्रंथ नहीं लिख रहे थे बल्कि मानवशास्त्र लिख रहे थे। मनुस्मृति में कुरान की तरह किसी अल्लाह से डरते रहने वाली बात भी नहीं कही गयी है। ॐ को भारतीय जीवन दर्शन में ब्रह्म कहा गया है। वह परम नाद है जो ब्रह्मांड में सर्वत्र विद्यमान है। योगीजन ध्यान में इसी ॐ का नाद सुनते हैं और ब्रह्मांडीय चेतना के साथ एकाकार हो जाते हैं।
मांडुक्य उपनिषद में ॐ का विश्लेषण करते हुए ॐ को चतुष्पद कहा गया है। मांडुक्य उपनिषद कहता है कि ॐ के चार पद हैं। ॐ के चार पदों में पहला पद, अकार है। दूसरा पद उकार है। तीसरा पद मकार है और चौथा पद वह सूक्ष्म बिन्दू है जो ध्वनित होकर भी अव्यक्त है।
जैसे ॐ के चार पद हैं वैसे ही आत्मा के भी चार पद हैं। जाग्रत, स्वप्न, सुसुप्ता और तुरीया। इसलिए ॐ आत्मा की इन चारों अवस्थाओं का प्रकटीकरण है।
ॐ इत्येतदक्षरमिदꣳ सर्वं तस्योपव्याख्यानं, भूतं भवद् भविष्यदिति सर्वमोंकार एव यच्चान्यत् त्रिकालातीतं तदप्योंकार एव॥ १॥
मांडुक्य उपनिषद के अनुसार 'ॐ' - यह अक्षर ही सर्व है। सब उसकी ही व्याख्या है। भूत, भविष्य, वर्तमान सब ओंकार ही हैं। तथा अन्य जो त्रिकालातीत है, वह भी ॐ कार ही है। यह त्रिकालातीत ही ॐ का अव्यक्त चौथा पद है।
भारतीय दर्शन में जाग्रत अवस्था की आत्मा को वैश्वानर कहते हैं, इसलिये कि इस रूप में सब नर एक योनि से दूसरी में जाते रहते हैं। इस अवस्था का जीवात्मा बहिर्मुखी होकर इंद्रियग्राह्य विषयों का रस लेता है। अत: वह बहिष्प्रज्ञ है।
दूसरी तेजस नामक स्वप्नावस्था है जिसमें जीव अंत:प्रज्ञ होकर विभिन्न संस्कारों का शरीर के भीतर भोग करता है। तीसरी अवस्था सुषुप्ति अर्थात् प्रगाढ़ निद्रा का लय हो जाता है और जीवात्मा की स्थिति आनंदमय ज्ञान स्वरूप हो जाती है। परंतु इन तीनों अवस्थाओं के परे आत्मा का चतुर्थ पाद अर्थात् तुरीय अवस्था ही उसका सच्चा और अंतिम स्वरूप है जिसमें वह अद्वैत है जहां जीव, जगत और ब्रह्म के भेद रूपी प्रपंच का अस्तित्व नहीं है। आत्मा के इन चार पदों का प्रकटीकरण ही ॐ कार है इसलिए ॐ कार को उपनिषद निराकार ब्रह्म बताते हैं।
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लेकिन इस्लाम में आत्मा का कोई चिंतन नहीं है। वहां रुह की बात होती है जो अल्लाह के द्वारा फूंकी जाती है जबकि भारतीय दर्शन में आत्मा परमात्मा का ही अंश है। इसी तरह इस्लाम में अल्लाह और इंसान अलग अलग हैं और इंसान कभी अल्लाह जैसा नहीं बन सकता जबकि भारतीय दर्शन में ब्रह्म और जीव अद्वैत रूप से एक ही हैं। जीव चाहे तो 'अहं ब्रह्मस्मि' की अवस्था को प्राप्त कर सकता है।
अर्थात इस्लाम के अल्लाह और भारतीय दर्शन के ॐ में दूर दूर तक कोई समानता नहीं है। अल्लाह को ॐ के समानांतर निराकार ब्रह्म मानने पर सबसे बड़ा संकट इस्लाम के सामने ये खड़ा होगा कि उसे कर्म के सिद्धांत को स्वीकार करना पड़ेगा और कर्म का सिद्धांत स्वीकार करते ही उसे पुनर्जन्म को भी मान लेना पड़ेगा। पुनर्जन्म को मानने का अर्थ होगा इस्लाम से बेदखल हो जाना क्योंकि इस्लाम में पुनर्जन्म नहीं होता। इस्लाम में आखिरत है जिसका मतलब है कि एक बार मरने के बाद वह दोबारा जन्म नहीं लेता बल्कि कब्र में पड़े रहकर उस आखिरी दिन का इंतजार करता है जब ये दुनिया खत्म हो जाएगी और आखिरत आयेगी। तब अल्लाह मोमिन के सामने हाजिर हो जाएगा और उसके दोजख या जन्नत का फैसला करेगा।
फिर आखिर में सबसे बड़ा सवाल तो यही है कि अगर अल्लाह निराकर ब्रह्म है तो फिर मुससमानों के लिए किबला क्यों निर्धारित किया गया है कि वो सिर्फ काबा की ओर मुंह करके ही नमाज अता कर सकते हैं?
(इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं। लेख में प्रस्तुत किसी भी विचार एवं जानकारी के प्रति Oneindia उत्तरदायी नहीं है।)