WEST BENGAL ELECTION : खुद और जदयू को चर्चा में ला दिया मंदाकिनी ने
कोलकाता। पश्चिम बंगाल के चुनाव ने फिल्म अभिनेत्री मंदाकिनी को फिर सुर्खियों में ला दिया। मंदाकिनी चर्चा में आयीं तो नीतीश कुमार की पार्टी (जदयू) भी लाइमलाइट में आ गयी। जदयू पश्चिम बंगाल में विधानसभा का चुनाव लड़ रहा है। लेकिन उसकी कहीं कोई चर्चा नहीं थी। लेकिन जैसे ही मंदाकिनी ने हाबड़ा दक्षिण के जदयू उम्मीदवार अमित कुमार घोष (श्रीकांत) का चुनाव प्रचार किया, जदयू और मंदाकिनी दोनों आकर्षण का केन्द्र बन गये। मंदाकिनी बहुत साल बाद सार्वजनिक हुईं। लोगों के बीच आने के लिए उन्होंने मंच भी चुना तो राजनीति का। हाबड़ा दक्षिण सीट पर 10 अप्रैल को चुनाव है। मंदाकिनी ने सोमवार और बुधवार को जदयू उम्मीदवार अमित घोष के लिए रोड शो किया। इस रोड शो में बिहार सरकार के मंत्री श्रवण कुमार और पूर्णिया के जदयू सांसद संतोष कुशवाहा भी शामिल हुए। मंदाकिनी जब खुली जीप में जदयू नेताओं के साथ रोड शो के लिए निकलीं तो देखने वालों की भीड़ उमड़ पड़ी।
मंदाकिनी ने जदयू को चर्चा में ला दिया
हाबड़ा दक्षिण के जदयू उम्मीदवार अमित घोष इस भीड़ को देख कर गदगद हैं। उनका कहना है कि इस सीट पर चुनाव लड़ रहे भाजपा और तृणमूल के उम्मीदवार कोलकाता के रहने वाले हैं। अगर उनमें से कोई एक चुनाव जीत गया तो यहां के लोगों को मिलने के लिए कोलकाता जाना पड़ेगा। मैं तो हाबड़ा में ही आम लोगों के साथ रहता हूं। सबके सुख-दुख में साथ ही रहा। रोड शो में पब्लिक ने जो जोश दिखाया है उससे जदयू की जीत की संभवना बढ़ गयी है। जदयू ने चर्चा बटोरने के लिए क्या खूब तोड़ निकाला। फिल्मी दुनिया से दूर एक तरह से गुमनाम जिंदगी गुजारने वाली मंदाकिनी को स्टार प्रचारक बना कर हाबड़ा लाना, पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव का सबसे चौंकाने वाला फैसला है।
लोकप्रियता आज भी बरकार
मंदाकिनी के साथ चाहे जितनी भी विवादित रही हैं लेकिन उनके ग्लैमर का जादू आज भी बरकरार है। वे अब फिल्मों में भी काम नहीं करती। उम्र भी 58 साल की हो चुकी है। लेकिन जिस तरह से लोग उन्हें देखने के लिए घरों से बाहर निकले, वह अपने आप में हैरान कर देने वाला था। क्रीम कलर की कुर्ती और लाल दुपट्टे में मंदाकिनी के सौम्य चेहरे पर एक हल्की मुस्कान थी। वे हाथ जोड़ कर जब लोगों से जदयू को वोट देने की अपील करती तो सड़क के किनारे खड़े लोग उत्साह में हाथ हिलाने लगते। मंदाकिनी ने बहुत कम बोला। लेकिन जो भी बोला हिंदी में बोला। फिर भी लोगों ने भरपूर जोश दिखाया।
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मंदाकिनी का कोलकाता कनेक्शन
राम तेरी गंगा मैली से शोहरत की बुलंदी पर पहुंचने वाली मंदाकिनी ने 1996 के बाद फिल्मों को अलविदा कह दिया था। मुम्बई बम धमाकों के आरोपी आतंकी सरगना दाउद इब्राहिम के साथ नाम क्या जुड़ा मंदाकिनी का फिल्मी करियर गर्त में चला गया। हालांकि मंदाकिनी ने 1990 में ही तिब्बती चिकित्सक डॉ. कग्यूर टी रिनपोचे ठाकुर से विवाह कर लिया था। मंदाकिनी के पिता अंग्रेज और मां मुस्लिम समुदाय से थीं। शादी के बाद मंदाकिनी ने बौद्ध धर्म अपना लिया। उनके पति पहले बौद्ध भिक्षु थे। शादी के बाद डॉ. रिनपोचे ठाकुर मुम्बई में तिब्बती दवाखाना चलाते हैं जबकि मंदाकिनी तिब्बतियन योगा सिखाती हैं। फिल्मों से दूर होने के बाद मंदाकिनी ने गायकी में करियर आजमाने की कोशिश की थी। उनके दो एलबम भी आये थे लेकिन चले नहीं। इसके बाद उन्होंने खुद को गुमनामी के चादर में इस कदर लपेट लिया कि कोई खोज खबर मिलनी मुश्किल हो गयी। लेकिन 2019 में वे अचानक फिर चर्चा में आ गयी। वे कोलकाता के कई शहरों में आयीं और दुर्गापूजा पंडालों का उद्घाटन किया। उन्होंने पुष्प अर्पित कर मां दुर्गा की पूजा भी की। कोलकाता और पुरुलिया के भाभुरिया में स्टेज शो किया। फिल्म राम तेरी गंगा मैली के गाने भी सुनाये। उनके कार्यक्रम में लोगों की भारी भीड़ जमा होती थी। शायद इसी वजह से उन्हें विधानसभा चुनाव में स्टार प्रचारक के रूप में बुलाया गया।
क्या मंदाकिनी भी चुनाव लड़ेंगी ?
जदयू के प्रचार के लिए जब मंदाकिनी हावड़ा आयीं तो उनके पति डॉ. रिनपोचे ठाकुर भी उनके साथ थे। उन्होंने भी अपनी पत्नी की लोकप्रियता को नजदीक से महसूस किया। इल लोकप्रियता का राजनीतिक महत्व भी है। मंदाकिनी पिछले कुछ समय से कुछ नया करना चाहती हैं। जनाकर्षण को देख कर वे भविष्य में चुनाव भी लड़ सकती हैं। पश्चिम बंगाल में वैसे भी फिल्म अभिनेत्रियों के लिए फिल्मी राह आसान रही है। राज्य में भाजपा के नये तारणहार बने मिथुन चक्रवर्ती इसमें मददगार हो सकते हैं। जब मिथुन चक्रवती के बड़े स्टार थे तब उन्होंने मंदाकिनी के साथ डांस-डांस, कमांडों जैसी कई फिल्में की थीं। मिथुन चक्रवर्ती और मंदाकिनी ने हिंदी फिल्में तो की हीं, बांग्ला फिल्म में भी एक साथ काम किया। उन्होंने बांग्ला फिल्म को हीरो तापस पॉल के साथ भी काम किया था। यानी बंगाल से उनका पुराना लगाव है। तब मंदाकिनी और मिथुन के बीच नजदीकियों की चर्चा आम थी। उसी समय अंडरवर्ल्ड डॉन दाऊद इब्राहिम की नजर मंदाकिनी पर थी। कहा जाता है कि तब दाऊद के गुर्गों ने मिथुन को मंदाकिनी से दूर रहने की धमकी दी थी। बाद में संजय दत्त ने मिथुन को इस झेमेले से बाहर निकाला था। अगर मिथुन चक्रवती ने मंदाकिनी की मदद कर दी तो उनकी राजनीतिक पारी आसान हो जाएगी। किसी राजनीतिक मंच पर मंदाकिनी ने पहली बार इंट्री ली थी। जब वे दूसरों के लिए भीड़ जुटा सकती हैं तो अपने लिए क्यों नहीं ?