वाराणसी में की विदेशी जोड़े ने हिन्दू विधि विधान से शादी, सात फेरे लेकर जन्मों के बंधन में बंधे डेनियला और ईवान
भारतीय संस्कृति विश्व की सर्वाधिक प्राचीन और समृद्ध संस्कृतियों में से एक है। भारत को विश्व की सभी संस्कृतियों की जननी माना जाता है। अब इसमें चाहे जीने की कला हो या तकनीकी क्षेत्र का विकास हो या फिर राजनीति और समाजिक विकास ही क्यों न हो। भारतीय संस्कृति आज भी अपने परंपरागत अस्तित्व के साथ अजर-अमर बनी हुई है। यहाँ का जीवन-दर्शन ऐसा है कि भारत की सीमाओं से बाहर रहने वाले विदेशी लोग भी एक न एक बार यहाँ आने के ख़्वाहिश पाले रहते हैं। कुछ तो आकर ऐसे घुल-मिल जाते हैं जैसे उनका कुछ नाता हो यहाँ से। ऐसा ही एक दृश्य देखने को मिला वाराणसी के सारनाथ में जहाँ एक विदेशी जोड़े ने हिन्दू रीती रिवाजों के अनुसार साथ फेरे लेकर एक दुसरे के साथ 7 जन्म रहने का फैसला किया।
वाराणसी के सारनाथ में हुआ विवाह
दरअसल कोलंबिया की रहने वाली डेनियला और कोलंबिया के ही युवक ईवान एक दुसरे को पसंद करते थे और शादी कर के हमेशा के लिए एक होना चाहते थे। वही दोनों को भारत से और यहाँ की संस्कृति से भी एक विशेष लगाव हमेशा से रहा था। इसलिए दोनों ने यह फैसला किया कि वह भारतीय संस्कृति और हिन्दू रीती रिवाज़ों के साथ विवाह करने का फैसला किया और भारत आ पहुचें। यहाँ पर उनकी मुलाकात अयोध्या निवासी आदित्य से हुई। आदित्य के सामने विदेशी जोड़े ने हिन्दू रीती रिवाज़ों ले हिसाब से शादी करने की अपनी इच्छा व्यक्त की। बस फिर क्या था आदित्य बिना देरी किये पूरे इंतेज़ाम के साथ वाराणसी स्थित सारनाथ जा पहुंचे। वैसे तो सारनाथ भगवान बुद्ध के लिए विश्व प्रसिद्ध है लेकिन यहां पर सारंगनाथ महादेव विराजमान हैं। जहां पर अक्सर शादी की परंपराएं संपन्न होती हैं।
डेनियला के मांग में भरा ईवान ने सिंदूर
वाराणसी स्थित यह शिव मंदिर अब सात समंदर पार के जोड़ों के अद्भुत मिलान का भी साक्षी बन रहा है। कोलंबिया के एक जोड़े ने हिंदू विधि विधान से अग्नि कुंड के साथ फेरे लिए और सात जन्मों के लिए एक हो गए। कोलंबिया की डेनियला के मांग में कोलंबिया के ही युवक ईवान ने सिंदूर भरकर उसे अपनी पत्नी के रूप में स्वीकार किया। संस्कृत के मंत्रों का पाठ कर कृष्णकांत त्रिपाठी ने अग्निकुंड के साथ फेरे दिलवाए। वहीं नवविवाहित जोड़े ने बताया कि काफी दिनों से हम दोनों को भारतीय संस्कृति के प्रति लगाव था। यह विदेशी विवाह अयोध्या निवासी आदित्य के द्वारा आयोजित किया गया था।
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विल स्मिथ जैसे कलाकार भी हैं प्रभावित
ऐसे
बहुत
से
विदेशी
हैं
जिन्होंने
भारतीय
संस्कृति
को
इस
कदर
अपना
लिया
है
कि
अब
वो
भारतीय
परंपराओं
को
ही
सर्वोपरि
मानते
हैं,
जैसे
हॉलीवुड
के
सुपरस्टार
माने
जाने
वाले
विल
स्मिथ
भारत
आए
थे।
उन्होंने
हरिद्वार
जाकर
पूजा-पाठ
भी
किया।
उनका
कहना
है
कि
भारत
आना
उनके
लिए
बेहद
सुखद
अनुभव
होता
है।
अपनी
तस्वीर
शेयर
करते
हुए
उन्होंने
एक
कैप्शन
भी
दिया,
जिसमें
उन्होंने
लिखा,
"मेरी
दादी
कहती
थीं
कि
भगवान
अनुभव
के
माध्यम
से
सिखाते
हैं।"
वो
कहते
हैं
कि
भारत
की
यात्रा
और
रंगों
से
उन्हें
अपनी
कला
और
दुनिया
की
सच्चाई
को
जानने
के
लिए
एक
नई
समझ
मिलती
है।
ऐसी
ही
भावनाएँ
हॉलीवुड
अभिनेत्री
जूलिया
रॉबर्ट
की
भी
हैं,
जो
हिन्दू
धर्म
से
इतना
प्रभावित
थीं
कि
उन्होंने
हिन्दू
धर्म
ही
अपना
लिया।
ऑस्कर
पुरस्कार
विजेता
जूलिया
ने
कहा
था
कि
अब
वह
अपने
कैमरामैन
पति
डेनियल
मोडर
और
तीन
बच्चों
हैजल,
फिनायस
और
हेनरी
के
साथ
भजन-कीर्तन
तथा
प्रार्थना
करने
के
लिए
मंदिरों
में
जाती
हैं।
भारत
की
आध्यात्मिक
शक्ति
ने
जूलिया
को
भारत
का
दीवाना
बना
दिया।
लिस्ट
यहीं
ख़त्म
नहीं
होती,
जापान
की
मयूमी,
बीटल
संगीतकार
जॉर्ज
हैरिसन
जैसे
बहुत
से
विदेशी
हैं
जिनको
भारतीय
संस्कृति
से
एक
अलग
ही
लगाव
है।
भारतीय होना गर्व की बात
भारतीय होना अपने-आप में बड़े गर्व की बात है। यहाँ हर तरह की कला-संस्कृति को फलने-फूलने का एक समान अवसर मिलता है। यह गर्व की बात और बड़ी हो जाती है जब कोई विदेशी नागरिक भारत के संदर्भ में अपने उच्च विचार साझा करता है। ऐसे बहुत से विदेशी नागरिक हैं, जो भारतीय परंपराओं को सर्वोपरि मानते हैं और उसे आत्मसात करने का पूरा प्रयास करते हैं। हमारे देश की सभ्यता का गुणगान जब दूसरे देश के लोग करते हैं तो शायद ही ऐसा कोई भारतीय होगा जिसका सिर गर्व से ऊँचा नहीं उठेगा।