उत्तराखंड में खटीमा, रामनगर और गंगोत्री विधानसभा सीट क्यों बन गई खास, जानिए वजह
पुष्कर धामी, हरीश रावत और अजय कोठियाल बड़े चेहरे
देहरादून, 25 जनवरी। उत्तराखंड के सियासी मैदान में भाजपा, कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के बीच ही मुकाबला माना जा रहा है। ऐसे में तीनों दलों के बड़े चेहरों पर सभी की निगाहें टिकी हुई है। जिससे खटीमा, रामनगर और गंगोत्री सीट प्रदेश में हॉट सीट बन गई है। भाजपा के मुख्यमंत्री के चेहरे पुष्कर सिंह धामी खटीमा, कांग्रेस के बड़े चेहरे हरीश रावत रामनगर और आम आदमी पार्टी के सीएम चेहरे कर्नल अजय कोठियाल गंगोत्री सीट से चुनाव मैदान में है। एक नजर डालते हैं तीनों सीटों के समीकरण पर।
खटीमा में धामी की किस्मत का होगा फैसला
खटीमा विधानसभा सीट ऊधमसिंह नगर जिले में आती है। खटीमा विधानसभा क्षेत्र में मतदाताओं की संख्या 1,19,980 है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी का मुकाबला कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष भुवन चंद्र कापड़ी से है। हालांकि आम आदमी पार्टी के कार्यकारी अध्यक्ष रह चुके एसएस कलेर भी खटीमा से चुनाव मैदान में उतरकर चुनाव को त्रिकोणीय बना सकते हैं। 2017 में भी इस सीट पर धामी और कापड़ी का मुकाबला हुआ था। भाजपा ने यह सीट करीब 2700 वोटों से जीत हासिल की थी। पुष्कर सिंह धामी इस सीट पर 2012 और 2017 में चुनाव जीत चुके हैं। हालांकि अब तक के मीडिया सर्वे में इस बार धामी की स्थिति कुछ खास नहीं बताई गई है। ऐसे में खटीमा सीट पर सबकी नजर रहने वाली है।
रामनगर में हरीश रावत का आखिरी दांव
कांग्रेस चुनाव अभियान समिति के प्रमुख हरीश रावत ने रामनगर सीट को चुना है। 22 साल के इतिहास में ये माना जाता है कि जिस पार्टी का विधायक रामनगर सीट से जीता सरकार उसी पार्टी की बनती है। इतना ही नहीं उत्तराखंड की पहली निर्वाचित कांग्रेस सरकार के मुख्यमंत्री दिवंगत नारायण दत्त तिवारी ने उपचुनाव में रामनगर सीट से ही चुनाव जीता था, जो कि 5 साल तक एकमात्र मुख्यमंत्री का कार्यकाल पूरा करने का रिकॉर्ड बनाने में कामयाब रहे। 2002 में कांग्रेस के योगेम्बर सिंह रावत विधायक बने तो कांग्रेस की सरकार बनी। 2007 में भाजपा के दीवान सिंह बिष्ट चुनाव जीते और सरकार भाजपा की बनी। 2012 में रामनगर से कांग्रेस के टिकट पर अमृता रावत चुनाव जीती और सरकार कांग्रेस की बनी। 2017 में एक बार फिर से दीवान सिंह बिष्ट चुनाव जीते और सरकार भाजपा की बन गई। इस बार इस सीट पर कांग्रेस के हरीश रावत का सामना भाजपा के दीवान सिंह बिष्ट से हैं। लेकिन रणजीत रावत का चुनाव को लेकर क्या रुख रहता है, ये देखना भी दिलचस्प होगा। इस सीट पर 121348 मतदाता हैं।
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गंगोत्री सीट मिथक के साथ त्रिकोणीय मुकाबला होगा खास
उत्तराखंड में गंगोत्री विधानसभा सीट पर हर बार सभी सियासी दलों की नजर रहती है। चुनाव में मिथक है कि जो गंगोत्री से जीता सरकार उसी दल ने बनाई। इस बार गंगोत्री पर तीसरे विकल्प आम आदमी पार्टी की नजर भी है। यहां कर्नल अजय कोठियाल चुनाव लड़ रहे हैं। कांग्रेस से पूर्व विधायक विजयपाल सजवाण और भाजपा से पहली बार किस्मत आजमा रहे सुरेश चौहान मैदान में हैं। गंगोत्री सीट पर पहली बार 2002 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी के उम्मीदवार विजय पाल सिंह विधायक चुने गए थे। सरकार भी कांग्रेस ने बनाई। उन्होंने सीपीआई के कमला राम नौटियाल को हराया था। 2007 में भारतीय जनता पार्टी के गोपाल सिंह रावत विधायक चुने गए थे। सरकार भाजपा की ही बनी। उन्होंने कांग्रेस पार्टी के उम्मीदवार विजय पाल सिंह को हराया था। 2012 में फिर कांग्रेस के विजयपाल सिंह विधायक चुने गए थे। सत्ता में कांग्रेस आई। इस चुनाव मे भाजपा के गोपाल रावत हारे थे। 2017 में एक बार फिर भाजपा के गोपाल रावत चुनाव जीते, भाजपा ने प्रचंड बहुमत की सरकार बनाई। इस चुनाव में कांग्रेस के विजयपाल हारे। तीसरे नंबर पर निर्दलीय उम्मीदवार सूरत राम नौटियाल थे, जिन्हें 9,491 वोट मिले। इस बार गंगोत्री सीट पर त्रिकोणीय मुकाबला माना जा रहा है। इस सीट पर 86313 मतदाता हैं।
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