ऊर्जा प्रदेश में फिर से बिजली का करंट लगेगा कि नहीं, 6 जून को होगा साफ, जानिए क्या है मामला
उत्तराखंड विद्युत नियामक आयोग छह जून को जन सुनवाई करेगा
देहरादून, 18 मई। ऊर्जा प्रदेश में एक बार फिर लोगों को बिजली का करंट लग सकता है। हालांकि इस बार करंट लगने या न लगने पर 6 जून को ही तस्वीर साफ हो पाएगी। निगम के बिजली दरों में वृद्धि के प्रस्ताव पर उत्तराखंड विद्युत नियामक आयोग छह जून को जन सुनवाई करेगा। आयोग ने ऊर्जा निगम की पुनर्विचार याचिका की पड़ताल के बाद ये फैसला लिया है।
12.27
प्रतिशत
की
वृद्धि
का
प्रस्ताव
प्रदेश
में
बिजली
की
किल्लत
की
वजह
से
खरीदी
गई
महंगी
बिजली
का
भार
भी
अब
आम
आदमी
की
जेब
से
वसूलने
की
तैयारी
चल
रही
है।
ऊर्जा
निगम
ने
946.48
करोड़
के
अतिरिक्त
वित्तीय
भार
की
भरपाई
की
मांग
की
है।
इसके
लिए
ऊर्जा
निगम
ने
बोर्ड
से
बिजली
दरों
में
12.27
प्रतिशत
की
वृद्धि
का
प्रस्ताव
पास
कराते
हुए
आयोग
को
भेजा
था।
बिजली
दरों
के
बढ़ने
का
सीधा
असर
जनता
पर
पड़ेगा
ऐसे
में
आयोग
आम
लोगों
का
पक्ष
सुनने
जा
रहा
है।
सुनवाई
छह
जून
को
होगी
और
इसके
बाद
आयोग
तय
करेगा
कि
ऊर्जा
निगम
की
पुनर्विचार
याचिका
को
स्वीकार
किया
जाए
या
नहीं।
बाजार
से
महंगी
बिजली
खरीद
रहे
ऊर्जा
निगम
ने
बिजली
दरों
में
दोबारा
बढ़ोतरी
के
लिए
उत्तराखंड
विद्युत
नियामक
आयोग
में
याचिका
दायर
की
है।
नियामक आयोग की ओर से बिजली दरों में एक अप्रैल से बढ़ोतरी की गई थी
शुक्रवार को आयोग ने याचिका स्वीकार तो कर ली लेकिन अभी इस पर निर्णय नहीं लिया गया है। यूपीसीएल ने बीपीएल, आम उपभोक्ता से लेकर उद्योगों व व्यावसायिक उपभोक्ताओं के लिए सरचार्ज के तौर पर बढ़ोतरी करने की मांग की है। बिजली किल्लत के दौर में यूपीसीएल ने शुक्रवार को नियामक आयोग में याचिका दायर की। निगम ने विद्युत दरों में 12.27 प्रतिशत बढ़ोतरी की मांग आयोग के सामने रखी है। यूपीसीएल ने यह वसूली एडिशनल एनर्जी चार्ज के तौर पर लेने को कहा है। आयोग ने याचिका स्वीकार तो कर ली है लेकिन अभी इस पर कोई निर्णय नहीं लिया गया है। यूपीसीएल ने बीपीएल उपभोक्ताओं के लिए 25 पैसे प्रति यूनिट, डोमेस्टिक उपभोक्ताओं के लिए करीब 50 पैसे प्रति यूनिट और उद्योग व कॉमर्शियल उपभोक्ताओं के लिए 75 पैसे प्रति यूनिट बढ़ोतरी की मांग की है। नियामक आयोग की ओर से बिजली दरों में एक अप्रैल से बढ़ोतरी की गई थी। बिजली की दरों में 2.68 प्रतिशत की बढ़ोतरी की गई है। पिछले साल बिजली की दरें 3.54 प्रतिशत बढ़ाई गई थीं। इस तरह उपभोक्ताओं पर पिछले साल की तुलना में 0.86 प्रतिशत का कम भार डाला गया है।