Uttarakhand : धामी सरकार पलटने जा रही अपना ही ये फैसला, इस कदम से बन जाएंगे ये दो रिकॉर्ड
भू कानून की रिपोर्ट की संस्तुतियों पर जल्द ही फैसला
देहरादून, 6 सितंबर। उत्तराखंड में भू कानून को लेकर धामी सरकार एक और बड़ा कदम उठाने जा रही है। धामी सरकार के सख्त भू कानून लागू करने से एक तरफ जहां सरकार अपना चुनाव में किया हुआ एक और वादा पूरा करेगी तो दूसरा अपनी ही सरकार का लिया हुआ निर्णय पलटने की दिशा में कदम बढ़ाएगी। इस तरह से धामी सरकार को ऐतिहासिक और बड़ा कदम होगा।
भू कानून में संशोधन करेगी धामी सरकार
भू कानून के परीक्षण से संबंधित गठित समिति की रिपोर्ट की संस्तुतियों पर राज्य सरकार जल्द ही फैसला लेने जा रही है। सीएम धामी का कहना है कि प्रदेश सरकार शीघ्र ही भू कानून के परीक्षण से संबंधित गठित समिति की रिपोर्ट का गहन अध्ययन कर जनहित व प्रदेश हित में समिति की संस्तुतियों पर विचार करेगी और भू कानून में संशोधन करेगी। ऐसे में साफ है कि धामी सरकार एक तरफ जनता से किए वादे को पूरा करने जा रही है, वहीं अपनी ही सरकार के लिए हुए फैसले को पलटने का भी बड़ा कदम उठाने जा रही है।
अगस्त 2021 में एक उच्चस्तरीय समिति का गठन किया
प्रदेश में हिमाचल की तर्ज पर सख्त भू कानून को लेकर लंबे समय से मांग चल रही है। इसके लिए कई संगठन आंदोलनरत हैं। विधानसभा चुनाव में सीएम धामी ने भू कानून को लेकर जनहित में बड़ा फैसला और सख्त कानून लाने का वादा किया। जुलाई 2021 में प्रदेश का मुख्यमंत्री बनने के उसी साल अगस्त माह में एक उच्चस्तरीय समिति का गठन किया था।
समिति ने सोमवार को अपनी रिपोर्ट सीएम को सौंप दी
समिति को राज्य में औद्योगिक विकास कार्यों हेतु भूमि की आवश्यकता और राज्य में उपलब्ध भूमि के संरक्षण के मध्य संतुलन को ध्यान में रख कर विकास कार्य प्रभावित न होंए इसको दृष्टिगत रखते हुए विचार- विमर्श कर अपनी संस्तुति सरकार को सौंपनी थी। समिति ने सोमवार को अपनी रिपोर्ट सीएम को सौंप दी। जिसमें राज्य के हितबद्ध पक्षकारों, विभिन्न संगठनों, संस्थाओं से सुझाव आमंत्रित कर गहन विचार -विमर्श कर लगभग 80 पृष्ठों में अपनी रिपोर्ट तैयार की है।
सरकार जनसरोकारों से जुड़े मुद्दों को लेकर गंभीर :धामी
रिपोर्ट सौंपने के बाद सीएम धामी ने कहा कि हमारी सरकार जनसरोकारों से जुड़े मुद्दों को लेकर गंभीर है। उत्तराखंड में ज़मीनों का दुरुपयोग न हो इसके लिए कानून में आवश्यक व्यवस्था की जाएगी। उत्तराखंड में उद्योग लग सकें इसकी व्यवस्था भी की जाएगी। उद्योगों की स्थापना भी हो लेकिन प्रदेश में जमीनों की अंधाधुंध बिक्री भी न हो और ज़मीन ख़रीद का दुरुपयोग न हो इसके किए संतुलन बनाया जाएगा। आर्थिक गतिविधियों को बनाए रखना है और प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण भी करना है। भूमि भी प्राकृतिक संसाधन है। अतः इसका संरक्षण भी आवश्यक है।
कांग्रेस सरकार के तत्कालीन मुख्यमंत्री एनडी तिवारी ने कई बंदिशें लगाईं
साल 2000 में उत्तराखंड राज्य बना। प्रदेश में बड़े स्तर पर हो रही कृषि भूमि की खरीद फरोख्त, अकृषि कार्यों और मुनाफाखोरी की शिकायतों पर साल 2002 में कांग्रेस सरकार के तत्कालीन मुख्यमंत्री एनडी तिवारी ने संज्ञान लेते हुए साल 2003 में उत्तर प्रदेश जमींदारी विनाश एवं भूमि सुधार अधिनियम 1950 में कई बंदिशें लगाईं। इसके बाद किसी भी गैर.कृषक बाहरी व्यक्ति के लिए प्रदेश में जमीन खरीदने की सीमा 500 वर्ग मीटर हो गई।
2017 में भाजपा की त्रिवेंद्र रावत सरकार आने के बाद अधिनियम में संशोधन
इसके बाद साल 2007 में बीजेपी की सरकार आई और तत्कालीन मुख्यमंत्री बीसी खंडूरी ने अपने कार्यकाल में पूर्व में घोषित सीमा को आधा कर 250 वर्ग मीटर कर दिया। लेकिन यह सीमा शहरों में लागू नहीं होती थी। 2017 में भाजपा की त्रिवेंद्र रावत सरकार आने के बाद इस अधिनियम में संशोधन करते हुए प्रावधान कर दिया गया कि अब औद्योगिक प्रयोजन के लिए भूमिधर स्वयं भूमि बेचे या फिर उससे कोई भूमि खरीदे तो इस भूमि को अकृषि करवाने के लिए अलग से कोई प्रक्रिया नहीं अपनानी होगी। औद्योगिक प्रयोजन के लिए खरीदे जाते ही उसका भू उपयोग अपने आप बदल जाएगा और वह अकृषि या गैर कृषि हो जाएगा। इसी के साथ गैर कृषि व्यक्ति द्वारा खरीदी गई जमीन की सीमा को भी समाप्त कर दिया गया। अब कोई भी कहीं भी जमीन खरीद सकता हैा
हिमाचल की तर्ज पर भू कानून की मांग
इस कानून को लेकर लोग लंगे समय से विरोध कर हिमाचल की तर्ज पर भू कानून की मांग कर रहे हैं। इसी के चलते धामी सरकार ने सशक्त भू कानून को लेकर पूर्व मुख्य सचिव सुभाष कुमार की अध्यक्षता में समिति गठित की। जिस समिति की संस्तुतियां अगर लागू होती हैं तो इसे सख्त कानून मानकर चला जा रहा है। हालांकि अभी यह रिपोर्ट कैबिनेट मीटिंग में पेश की जाएगी।