उत्तराखंड का ये पहाड़ी गांव महिलाओं ने फिर से कर दिया रोशन, एक महिला की सोच से बदल गई तस्वीर
बागेश्वर के लीती की महिलाओं ने होमस्टे से बदल गया गांव
देहरादून, 3 सितंबर। उत्तराखंड में युवाओं के लिए रोजगार और पलायन सबसे बड़ी चुनौती है। ऐसे में अगर दूर दराज पहाड़ी क्षेत्रों में घर पर रहकर ही अपनी आजीविका चलाने का मौका मिल जाए तो फिर युवा रोजगार के न पलायन करेंगे नहीं नौकरी के लिए भटकेंगे। ऐेसा ही एक उदाहरण पेश किया है। बागेश्वर जिले के लीती गांव की महिलाओं ने। यहां महिलाओं ने अपने घरों को होमस्टे बनाकर रोजगार और पलायन का हल तलाश लिया है। जिससे जुड़कर आज पूरा गांव रोशनी से चमक रहा है।
बागेश्वर से करीब 55 किमी दूर पहाड़ी पर स्थित है लीती गांव
बागेश्वर से करीब 55 किमी दूर पहाड़ी पर स्थित है लीती गांव। जहां 300 से ज्यादा लोग रहते हैं। इस गांव के चर्चे आज की तारीख में हर गांव कर रहा है। वर्ष 2019 में लॉकडाउन से पहले गांव की गायत्री देवी ने गांव में एक होम स्टे शुरू किया। इसके बाद लॉकडाउन लगने से रोजगार को लेकर लोग परेशान होने लगे। गांव के कई युवा साथी बाहर जाकर नौकरी करते थे, वे भी गांव लौट आए। लॉकडाउन खुला तो रोजगार की तलाश शुरू हुई लेकिन फिर सबने गांव में ही रहकर होम स्टे पर काम करने की सोची।
गांव में करीब 15 होम स्टे संचालित
इस तरह अभी तक गांव में करीब 15 होम स्टे संचालित हो रहे हैं। जिसमें मूलरूप से 3 से 4 महिलाएं काम करती हैं। लेकिन अन्य होम स्टे में घर की महिलाएं ही सहयोग करती हैं। होम स्टे में रूकने वाले पर्यटकों को घर का खाना ही मिलता है। ऐसे में सभी होम स्टे में महिलाओं का ही योगदान है। इस तरह होम स्टे से यहां के लोग सालभर में अब 50 हजार रूपए तक कमा लेते हैं। जिससे यहां के युवाओं को बाहर रोजगार के लिए नहीं भटकना पड़ता है।
लीती गांव पर्यटन के लिहाज से भी खास
बागेश्वर के जिला पर्यटन अधिकारी कीर्ति चंद्र आर्य ने बताया कि लीती गांव पर्यटन के लिहाज से भी खास है। यहां से मात्र 30 किमी की दूरी पर नामिक ग्लेशियर है।जहां पर्यटक ट्रेकिंग के लिए पहुंचते हैं। ऐसे में यहां पर्यटक रूककर होम स्टे का लाभ भी उठाते हैं।
नामिक हिमनदी पूर्वी रामगंगा का स्रोत
नामिक हिमनदी पूर्वी रामगंगा का स्रोत है। इस हिमनदी के आसपास पैदा होने वाले कई झरने और स्प्रिंग्स गन्धकयुक्त हैं। यह प्राचीन भारत-तिब्बत व्यापार मार्ग पर पड़ता है। नामिक हिमनदी तक पहुंचने के लिए दो पैदल रास्ते हैं। पहला रास्ता गोगिना से नामिक गांव होकर हिमनदी तक जाता है। गोगिना बागेश्वर से करीब 63 किलोमीटर की दूरी पर है। यहां बागेश्वर से शामा लीती रोड से जीप से पहुंचा जा सकता है। दूसरा रास्ता थल-मुनस्यारी रोड पर बिर्थी के समीप स्थित बाला गांव से शुरू होता है।
उत्तराखंड में होम स्टे योजना से कई गांव रोशन
उत्तराखंड में होम स्टे योजना से कई गांव रोशन हो रहे हैं। जिससे युवाओं को रोजगार और पलायन से मुक्ति मिल गई है। राज्य सरकार होम स्टे के लिए लोन देती है। राज्य सरकार एक होम स्टे बनाने के लिए 30 लाख तक का लोन देती है। इसमें 50 प्रतिशत अनुदान होता है और बाकी के लोन के ब्याज में 50 परसेंट की छूट भी होती है। बैंक ब्याज पर 50 प्रतिशत और अधिकतम 1.50 लाख रुपये प्रति वर्ष भी पर्यटन विभाग जमा करेगा। ऋण जमा करने के लिए पांच वर्ष का समय दिया गया है।
होम स्टे शुरू करने के लिए ऑनलाइन या फिर ऑफलाइन
होम स्टे शुरू करने के लिए ऑनलाइन या फिर ऑफलाइन पर्यटन विभाग में आवेदन करना होता है। जो कि पर्यटन विभाग की वेबसाइट https://uttarakhandtourism.gov.in/ पर आवेदन करना होगा। इसके लिए भूमि संबंधित प्रमाणपत्र, आगणन, ग्राम प्रधान से एनओसी, स्थायी निवास प्रमाणपत्र, आधार कार्ड और बैंक से सहमति लेना जरूरी है। पर्यटकों को होटल से अच्छे होम स्टे लगने लगे हैं। यहां घर जैसा माहौल और पहाड़ की संस्कृति का भी असर साफ नजर आता है।
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