उत्तराखंड में राज्य कर्मचारियों का सत्याग्रह, आंदोलन का दौर, बढ़ती जा रही है सरकार की परेशानी
विद्युत, शिक्षक, राज्य कर्मचारियों समेत कई विभागों का आंदोलन
देहरादून, 23 सितंबर। उत्तराखंड में राज्य कर्मचारियों का आंदोलन तेज हो गया है। विद्युत अधिकारी कर्मचारी संयुक्त संघर्ष मोर्चा ने अपनी 14 सूत्रीय मांगों को लेकर राज्यव्यापी सत्याग्रह आंदोलन शुरू कर दिया है। दूसरी तरफ उत्तराखंड अधिकारी कर्मचारी शिक्षक समन्वय समिति का चरणबद्ध आंदोलन भी अब तेज हो गया है, कर्मचारियों ने 27 सितंबर को जनपद स्तरीय रैली का ऐलान किया है। राज्य सरकार के लिए अक्टूबर माह बड़ी चुनौती लेकर आने वाला है।
ऊर्जा
निगमों
के
कर्मचारियों
का
सत्याग्रह
27
जुलाई
को
कर्मचारियों
के
साथ
सरकार
के
समझौते
पर
अमल
न
होने
से
ऊर्जा
निगमों
के
कर्मचारियों
ने
राज्य
सरकार
के
खिलाफ
मोर्चा
खोल
दिया
है।
14
सूत्रीय
लिखित
समझौते
पर
कार्यवाही
करते
हुए
ऊर्जा
निगमों
में
संविदा
कार्मिकों
के
नियमितीकरण,
समान
कार्य
समान
वेतन
दिया
जाए,
उपनल,
स्वयं
सहायता
समूह
की
विभिन्न
समस्याओं
का
निदान
किया
जाए
तथा
सभी
कार्मिकों
को
वर्ष
2016
तक
मिल
रही
एसीपी
की
व्यवस्था
पुनः
बहाल
की
जाए
सभी
एलाउंसेस
का
रिवीजन
पुरानी
पेंशन
व्यवस्था
एवं
14
सूत्रीय
मांग
पत्र
के
अन्य
समस्याओं
पर
तत्काल
कार्यवाही
को
लेकर
बिजली
कर्मचारियों
ने
अपना
आंदोलन
तेज
कर
दिया
है।
आंदोलन
का
क्रम
इस
तरह
रहा
जारी
अभी
तक
मोर्चा
के
कार्यक्रम
के
तहत
11
सितंबर
से
शाम
5
बजे
से
सुबह
10
बजे
तक
सभी
सरकारी
मोबाइल
फोन
बंद
रखे
गए।
23
सितंबर
को
जल
विद्युत
निगम
मुख्यालय
में
1
दिन
का
सत्याग्रह
आयोजित
होने
के
बाद
अब
25
सितंबर
को
ऊर्जा
भवन
तथा
27
सितंबर
को
पावर
ट्रांसमिशन
कारपोरेशन
के
मुख्यालय
पर
1
दिन
का
सत्याग्रह
आयोजित
किया
जाएगा
5
अक्टूबर
तक
समस्याओं
का
समाधान
नहीं
हुआ
तो
6
अक्टूबर
प्रातः
8
बजे
से
तीनों
ऊर्जा
निगमों
के
सभी
संविदा
नियमित
स्वयं
सहायता
समूह
के
कर्मचारी
अनिश्चितकालीन
हड़ताल
पर
जाने
का
ऐलान
कर
चुके
हैं।
समन्वय
समिति
ने
भी
तेज
किया
आंदोलन
राज्य
में
सरकारी
कर्मचारियों
की
18
सूत्री
मांगों
को
लेकर
बनाए
साझा
मंच
उत्तराखंड
अधिकारी
कर्मचारी
शिक्षक
समन्वय
समिति
का
दूसरे
चरण
का
आंदोलन
जारी
है।
अब
27
सितंबर
को
जनपद
स्तरीय
रैली
का
आयोजन
होगा।
इसके
बाद
सरकार
के
खिलाफ
पांच
अक्टूबर
को
देहरादून
में
प्रदेश
स्तरीय
हुंकार
रैली
निकाली
जाएगी।
समिति
के
अनुसार
उसी
दिन
बेमियादी
हड़ताल
का
ऐलान
संभव
है।
इससे
पहले
आंदोलन
के
पहले
दिन
बीते
सोमवार
को
देहरादून
के
परेड
ग्राउंड
में
विशाल
धरना-प्रदर्शन
किया
गया।
इस
दौरान
विभागों
व
निगमों
के
कर्मचारी
शामिल
हुए।
जिससे
सरकारी
कार्यालय
में
कामकाज
ठप
रहा।
देहरादून
के
साथ
ही
राज्य
के
सभी
जिला
मुख्यालय
पर
इस
दौरान
धरना
दिया
गया।
राज्य
कर्मचारी,
शिक्षक
व
अधिकारियों
के
साझा
मंच
के
तहत
प्रदेशभर
में
आंदोलन
के
क्रम
में
पहले
चरण
में
सभी
सरकारी
दफ्तरों
में
गेट
मीटिंग
की
गई।
इस
दौरान
समिति
के
प्रतिनिधिमंडल
ने
मुख्यमंत्री
व
मुख्य
सचिव
से
वार्ता
भी
की,
लेकिन
कोई
फैसला
नहीं
हो
पाया।
कर्मचारियों
ने
सीएम
से
मिलकर
सभी
विभागों
के
सचिव
के
साथ
कर्मचारियों
के
मुद्दों
पर
निर्णय
लेने
की
मांग
की
है।
आर्थिक हालात और चुनावी साल सरकार की मजबूरी
चुनावी साल मे उत्तराखंड में आधा दर्जन से ज्यादा संगठन आंदोलन की राह पर हैा जिनकी मांगों पर राज्य सरकार को आचार संहिता से पहले फैसला लेना हैा राज्य सरकार चुनावी साल में किसी को भी नाराज नहीं करना चाहेगीा इसके लिए राज्य के आर्थिक हालात और चुनावी साल दोनों को ध्यान में रखकर सरकार पर फैसले लेने का दबाव हैा