केदारनाथ में आदि गुरू शंकराचार्य की इस मूर्ति का अनावरण करने आ रहे हैं पीएम मोदी, जानिए इतिहास
केदारनाथ में आदि गुरू शंकराचार्य की मूर्ति का पीएम मोदी करेंगे अनावरण
देहरादून, 28 अक्टूबर। उत्तराखंड को देवभूमि कहा जाता है। सनातन धर्म के लिहाज से उत्तराखंड देश ही नहीं पूरे विश्व में पवित्र स्थान माना जाता है। आध्यात्म और सनातन धर्म के सबसे बड़े गुरू आदि शंकराचार्य ने भी उत्तराखंड की भूमि को चुना था। आदि शंकराचार्य की समाधि स्थल केदारनाथ में ही है। जो कि 2013 के आपदा में क्षतिग्रस्त हो गई थी। अब केदारनाथ पुर्ननिर्माण के जरिए केन्द्र सरकार ने आदि शंकराचार्य की मूर्ति को स्थापित कर भव्य स्वरूप देने का काम किया है। जिसे सरकार अब श्रद्धालुओं के दर्शन के लिए खोलने जा रही है। इसका अनावरण प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हाथों से कराया जा रहा है। जो कि चुनावी साल में काफी अहम माना जा रहा है।
5 नवंबर को पीएम करेंगे अनावरण
आदि गुरू शंकराचार्यकी नई मूर्ति का प्रधानमंत्री 5 नवंबर को अनावरण करेंगे। पीएम मोदी केदारनाथ के शीतकाल के कपाट बंद होने से एक दिन पहले केदारनाथ पहुंच रहे हैं। जिसके लिए लंबे समय से उत्तराखंड सरकार और पीएमओ जुटे हुए थे। जो कि मूर्ति स्थापित होने का इंतजार कर रहे थे। अब मूर्ति स्थापित होते ही पीएम का कार्यक्रम तय किया गया है। कार्यक्रम को भव्य बनाने के लिए भाजपा ने पूरा जोर लगा दिया है। भाजपा चुनावी साल में हिंदुत्व के कार्ड की तरह भी खेलने जा रही है। जो एक साथ देशभर के 87 लोकेशन पर लाइव प्रसारण होगा। ये सभी जगह सनातन धर्म और आदि गुरू शंकराचार्य से जुड़े धार्मिक स्थल भी होंगे।
मूर्ति 12 फीट ऊंची और 35 टन वजनी है
20 अक्तूबर 2017 को केदारनाथ पहुंचकर पीएम मोदी ने पहले चरण के पुनर्निर्माण कार्यों का शिलान्यास किया था। धाम में आदि गुरू शंकराचार्य के समाधिस्थल को भव्य व दिव्य बनाने की बात कही थी। इसी के तहत नवंबर 2019 से तीन चरणों में समाधि स्थल का कार्य शुरू किया गया। आदि गुरू शंकराचार्य की मूर्ति समाधि स्थल पर 12 फीट ऊंची और 35 टन वजनी है जो कि कर्नाटक में बनाई गई है। इसे सितंबर में चिनूक से लाया गया था।
आपदा में ध्वस्त हो गया था समाधि स्थल
केदारनाथ धाम के तीर्थ पुरोहित पुरूषोत्तम तिवारी ने बताया कि आदि गुरु शंकराचार्य ने 32 वर्ष की उम्र में केदारनाथ में महापरायण मोक्ष प्राप्त किया था इस लिहाज से केदारनाथ और आदि गुरु शंकराचार्य का पौराणिक महत्व है। पांडवों द्वारा निर्मित केदारनाथ मंदिर की व्यवस्था और सनातन धर्म के लिहाज से नए स्वरूप में लाने का श्रेय भी आदि शंकराचार्य को ही जाता है। आपदा से पहले आदि गुरू शंकराचार्य की समाधि स्थल पर मंदिर और स्फटिंग लिंग लगवाया गया था। जो कि आपदा में ध्वस्त हो गया था। अब नए सिरे से मूर्ति के दर्शन के लिए और परिक्रमा के लिए परिसर को भव्य रुप दिया गया है। जिसमें मूर्ति के दर्शन के लिए अंडरग्राउंड नीचे से वन वे रास्ता दिया गया है।
चुनावी साल में हिंदू वोटरों पर नजर
2022 में उत्तरप्रदेश, उत्तराखंड, पंजाब, गोवा राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले हिंदुत्व कार्ड को लेकर जमकर राजनीति हो रही है। भाजपा राम मंदिर के समय से हिंदुत्व कार्ड पर फोकस करती आ रही है। लेकिन अब आम आदमी पार्टी और कांग्रेस भी हिंदू वोटर पर फोकस कर रही है। आम आदमी पार्टी ने उत्तराखंड को हिंदुओं की आध्यात्मिक राजधानी बनाने का ऐलान किया तो कांग्रेस भी चुनाव में श्री गणेश कर हिंदुत्व कार्ड खेलने में जुटी है। ऐसे में भाजपा केदारनाथ पुर्ननिर्माण और आदि गुरू शंकराचार्य की मूर्ति के अनावरण का प्रचार-प्रसार कर हिंदुत्व कार्ड पर दांव चल रही है।