उत्तराखंड में तीर्थ पुरोहितों ने राज्य सरकार पर लगाया वादाखिलाफी का आरोप, देवस्थानम को लेकर उग्र होगा आंदोलन
चारधाम तीर्थ पुरोहित हकहकूकधारी महापंचायत की बैठक में रणनीति पर विचार
देहरादून, 23 सितंबर। उत्तराखंड में भाजपा सरकार की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही है। चुनाव से पहले चारधाम यात्रा खुलने के बाद प्रदेश सरकार ने राहत की सांस ली, लेकिन एक हफ्ते के भीतर ही तीर्थ पुरोहितों की नाराजगी खुलकर सामने आ गई है। सरकार की मंशा पर सवाल उठाते हुए तीर्थ पुरोहितों ने देवस्थानम बोर्ड को भंग करने के लिए एक बार फिर से आंदोलन तेज करने का ऐलान कर दिया है।
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महापंचायत
की
बैठक
में
सरकार
के
खिलाफ
गुस्सा
ऋषिकेश
में
चारधाम
तीर्थ
पुरोहित
हकहकूकधारी
महापंचायत
की
बैठक
आयोजित
की
गई।
इसमें
बदरीनाथ
और
केदारनाथ
के
तीर्थ
पुरोहित
शामिल
हुए।
गंगोत्री
और
यमुनोत्री
के
तीर्थ
पुरोहितों
से
भी
संवाद
किया
गया।
बैठक
पर
सभी
ने
एक
सुर
में
देवस्थानम
एक्ट
के
मामले
में
सरकार
पर
वादाखिलाफी
का
आरोप
लगाते
हुए
तीर्थ
पुरोहित
और
हक
हकूकधारियों
ने
फिर
से
आंदोलन
शुरू
करने
की
घोषणा
की।
साथ
ही
ऐलान
किया
कि
अब
सरकार
से
देवस्थानम
एक्ट
समाप्त
होने
तक
कोई
भी
वार्ता
नहीं
होगी।
तीर्थ
पुरोहितों
का
आरोप
है
कि
मुख्यमंत्री
पुष्कर
सिंह
धामी
ने
चारधाम
तीर्थ
पुरोहित
महापंचायत
से
वार्ता
में
देवस्थानम
बोर्ड
को
फ्रीज
करने
का
ये
कहते
हुए
आश्वासन
दिया
था
कि
30
अक्तूबर
तक
आंदोलन
स्थगित
कर
दें।
महापंचायत
ने
मुख्यमंत्री
की
बात
मानी
और
आंदोलन
स्थगित
कर
दिया।
महापंचायत
के
अध्यक्ष
कृष्ण
कांत
कोटियाल
ने
कहा
कि
एक
तरफ
सीएम
कहते
हैं
कि
देवस्थानम
बोर्ड
फ्रीज
रहेगा
दूसरी
तरफ
यात्रा
शुरु
होते
ही
एसओपी
से
लेकर
सभी
तैयारियां
और
मॉनिटरिंग
बोर्ड
कर
रहा
है।
जो
कि
सरकार
की
वादाखिलाफी
है।
ऐसे
में
30
अक्तूबर
तक
इंतजार
नहीं
किया
जाएगा।
महापंचायत के अध्यक्ष कृष्ण कांत कोटियाल ने बताया कि
बैठक में निर्णय लिया गया कि देवस्थानम एक्ट के खिलाफ चारों धामों के अलावा तमाम अन्य स्थानों पर आंदोलन शुरू किया जाएगा। चारों धाम के पुरोहित अपने अपने क्षेत्रों में मीटिंग कर जिला मुख्यालयों पर प्रदर्शन और जनप्रतिनिधियों को घेरने का काम करेंगे आंदोलन उग्र होगा हमारे साथ भैरव सेना के कार्यकर्ता भी रहेंगे। इसी हफ्ते आंदोलन की रणनीति तैयार होगा। सरकार ने वादाखिलाफी की है।
गंगोत्री मंदिर समिति के सहसचिव राजेश सेमवाल का कहना है कि
जब तीर्थ पुरोहितों के प्रतिनिधिमंडल ने सीएम से मुलाकात की थी तो सीएम ने देवस्थानम बोर्ड को स्थगित करने की बात की थी, लेकिन यात्रा शुरू होते ही बोर्ड के माध्यम से एसओपी और अन्य कार्रवाई हो रही है। ऐसे में अगर सरकार अगर वादाखिलाफी करती है तो तीर्थ पुरोहितों को मजबूरन आंदोलन के लिए बाद्ध्य होना पड़ेगा।
एसओपी
के
झंझट
से
टिकट
कैंसिल
करा
रहे
यात्री
महापंचायत
की
बैठक
में
यात्रियों
के
लिए
बनाई
गई
एसओपी
का
जिक्र
किया
गया।
पुरोहितों
का
आरोप
है
कि
सरकार
की
एसओपी
के
कारण
यात्री
मंदिर
दर्शन
नहीं
कर
पा
रहे
हैं।
ई
पास
और
रजिस्ट्रेशन
की
प्रक्रिया
इतनी
जटिल
है
कि
यात्री
आधे
रास्ते
से
ही
वापस
हो
रहा
है।
महापंचायत
का
आरोप
है
कि
घूमने
फिरने
वाली
जगहों
पर
सरकार
ने
कोई
पाबंदी
नहीं
लगाई
है,
लेकिन
भगवान
के
दर्शन
करने
के
लिए
दो-दो
जगह
रजिस्ट्रेशन
से
लेकर
कई
नियम
कानून
लगाए
हुए
हैं।
जो
कि
गलत
है।
इधर
ट्रांसपोर्टस
भी
राज्य
सरकार
से
यात्रियों
की
संख्या
पर
कैपिंग
हटाने
की
मांग
कर
रहे
हैं।
चार
धाम
यात्रा
पर
आने
के
इच्छुक
लोग
टिकट
कैंसल
करा
रहे
हैं।
यात्रियों
का
ट्रेन
और
प्लेन
के
टिकट
तो
बुक
हो
रहा
है,
लेकिन
उस
तारीख
के
ईपास
नहीं
मिल
रहे
हैं।
जिस
वजह
से
यात्रियों
को
यात्रा
केंसिल
करनी
पड़
रही
है।