तीरथ सरकार को हाईकोर्ट ने लगाई कड़ी फटकार, पूछा- कोरोना से निपटने के लिए क्यों नहीं की तैयारी?
देहरादून, 11 मई। उत्तराखंड में कोरोना वायरस के संक्रमण को रोकने और चिकित्सा सुविधाओं की बदहाली को लेकर हाईकोर्ट ने तीरथ सिंह रावत सरकार को कड़ी फटकार लगाई है। हाईकोर्ट ने कहा कि एक अदृश्य शत्रु के साथ तीसरा विश्व युद्ध चल रहा और सरकार इसको लेकर गंभीर नहीं है। तीरथ सरकार की तुलना शुतुरमुर्ग से करते हुए हाईकोर्ट ने कहा कि यह रेत में सिर डालकर बैठ गई है। कोरोना से निपटने की सरकार की तैयारियों को हाईकोर्ट ने आधा-अधूरा बताया।
सोमवार को हाईकोर्ट में मुख्य न्यायधीश आरएस चौहान और न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ ने अधिवक्ता दुष्यंत मैनाली और सच्चिदानंद डबराल की याचिका पर सुनवाई की। उत्तराखंड में क्वारंटीन सेंटर्स, कोविड अस्पतालों की खराब व्यवस्था, प्रदेश में लौट रहे प्रवासियों के लिए बेहतर स्वास्थ्य सुविधाओं समेत अन्य अहम मसलों को लेकर हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की गई जिस पर खंडपीठ ने लंबी सुनवाई की।
हाईकोर्ट के पूर्व निर्देश पर इस मामले में तीरथ सरकार ने एफिडेविट पेश किया। स्वास्थ्य सचिव अमित नेगी के शपथपत्र से हाईकोर्ट संतुष्ट नहीं हुआ और अब स्वास्थ्य सचिव को दोबारा एफिडेविट पेश करने के लिए 20 मई तक का समय दिया गया है। कोर्ट में पेश किए गए एफिडेविट को न्यायधीशों की खंडपीठ ने घटिया बताया और कहा कि ऐसा शपथपत्र जिंदगी में पहले कभी नहीं देखने को मिला। कहा कि सरकार पूरी जानकारी नहीं दे रही है और अदालत को अंधेरे में रख रही है जो कि बहुत ही आपत्तिजनक है।
रामनगर में कोविड अस्पताल की व्यवस्था नहीं होने के सवाल पर स्वास्थ्य सचिव ने कहा कि इसके लिए हल्द्वानी में इंतजाम किए गए हैं। कोर्ट ने इस जवाब पर स्वास्थ्य सचिव से पलटकर सवाल किया कि क्या रामनगर को कोविड अस्पताल की आवश्यकता नहीं? सरकार को फटकारते हुए कोर्ट ने कहा कि कोरोना महामारी के समय ऑक्सीजन, जीवनरक्षक दवाओं की कालाबाजारी करने वालों और नकली दवा का कारोबार करने वालों के खिलाफ कड़े कानून होने चाहिए और ऐसे लोगों के खिलाफ हत्या का केस चलना चाहिए।
उत्तराखंड में कोविड कर्फ्यू, तीरथ सरकार को यकीन कि संक्रमण के मामलों में आएगी कमी
हाईकोर्ट ने कहा कि कोरोना महामारी की दूसरी लहर को लेकर जनवरी से ही वैज्ञानिक चेतावनी दे रहे थे लेकिन उत्तराखंड सरकार ने जरूरी तैयारियों पर ध्यान नहीं दिया। अब तीसरी लहर भी आने की चेतावनी है तो इस पर सरकार क्या कर रही है, अदालत को जवाब दे। इसके साथ ही सरकार को कोर्ट ने सरकार को टेस्टिंग लैब बढ़ाने, पहाड़ में जांच में के लिए मोबाइल सेवा उपलब्ध कराने के निर्देश दिए। कोर्ट ने कहा कि सरकार बंद कॉलेजों में कोविड सेंटर बना सकती है। हरिद्वार, हल्द्वानी और देहरादून में आईसीयू बेडों को बढ़ाने की बात भी अदालत ने सरकार से कही।