Kumbh Mela 2021: उत्तराखंड हाईकोर्ट में कुंभ मेले की रिपोर्ट पेश, जानिए अब तक कैसी है तैयारी
देहरादून: उत्तराखंड हाईकोर्ट ने पिछले हफ्ते राज्य प्रशासन को कुंभ मेले के दौरान सख्ती बरतने और तैयारियोें के पहले से कोरोना के बचाव के मद्दनजर कदम उठाने के निर्देश दिया थे, ताकि कोरोना संक्रमण के फैलने की संभावना कम हो सके। मुख्य न्यायाधीश राघवेंद्र सिंह चौहान और जज आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ आगामी कुंभ मेला समारोह के दौरान कोविड प्रबंधन से संबंधित जनहित याचिकाओं की एक बैच पर सुनवाई की।
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अंतिम सुनवाई (22 फरवरी) के दौरान कोर्ट ने हरिद्वार और ऋषिकेश में राज्य के मुख्य सचिव और मेला अधिकारी को निर्देश दिया था कि वे प्रशासन द्वारा उठाए गए कदम और पर्यटकों / तीर्थयात्रियों को उनके प्रवास के दौरान प्रदान की जाने वाली सुविधाओं के बारे में रिपोर्ट प्रस्तुत करें, जिसके बाद न्यायालय के निर्देश के अनुसार मेला अधकारी दीपक रावत ने बताया कि 05 मार्च को अदालत के समक्ष एक रिपोर्ट प्रस्तुत की गई है, जिसमें बताया गया कि...
- 4,219 स्विस टेंट, यूरोपीय टेंट, दरबारी टेंट कुंभ मेले के दौरान चिकित्सा कर्मचारियों, पुलिस कर्मियों और अन्य स्टाफ सदस्यों के आवास के लिए लगाए जाएंगे। 4,219 टेंट में से 2,822 टेंट पहले ही लगाए जा चुके हैं।
- रिपोर्ट ने अदालत को आश्वासन दिया कि 30 मार्च, 2021 तक टेंट की शेष संख्या को भी खड़ा कर दिया जाएगा।
- वहीं होटल, धर्मशाला, अखाड़ा, आश्रम, घर और निजी आवास की संख्या लगभग 5.53 लाख तीर्थयात्रियों को समायोजित करने में सक्षम होगी।
- हरिद्वार में 11,807 अस्थायी शौचालय, 1,670 स्नानघर, 6,674 अस्थायी टायलेट स्थापित हैं और 217 शौचालय और 57 टायलेट ऋषिकेश में स्थापित हैं। वहीं ये भी बताया कि पहले से ही 389 शौचालय और 31 टायलेट वर्तमान में कार्यात्मक हैं और हरिद्वार नगर क्षेत्र में संचालित हैं।
- वहीं हरकीपौड़ी और गऊ घाट के बीच 87 चेंजिंग रूम पहले ही स्थापित किए जा चुके हैं। इसके अलावा, महिला-घाट-हॉल को कार्यात्मक बनाया गया है, जिसमें अधिकतम 50 महिलाएं चेंजिंग रूम का यूज कर सकेंगी। इसके अलावा, कुंभ मेला क्षेत्र में अब तक 500 चेंजिंग रूम स्थापित किए गए हैं।
- कुंभ मेला क्षेत्र में घाटों के निर्माण, जीर्णोद्धार और मरम्मत के लिए स्थायी प्रकृति के कुल 17 कार्य प्रस्तावित हैं। इन 17 कार्यों में से, 15 कार्य पूरे हो चुके हैं। घाट और नदी की सफाई के लिए अस्थायी कार्य चौबीसों घंटे चल रहा है, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि गाद और शैवाल नदी में जमा न हों।
दूसरी ओर याचिकाकर्ता के वकील ने दीपक रावत (मेला अधिकारी) द्वारा यह कहते हुए स्थिति पर सवाल उठाया कि बड़ी संख्या में उनकी तस्वीरों में संलग्न तस्वीरों में स्पष्ट रूप से अधूरे काम अभी भी बाकी हैं। गौरतलब है कि महाकुंभ मेला शुरू होने से पहले 11 मार्च 2021 को "महाशिवरात्रि" मनाई जाएगी और पवित्र गंगा में पवित्र डुबकी लगाने के लिए लगभग 50 लाख लोग हरिद्वार पहुंचेंगे, लेकिन केंद्र सरकार और राज्य सरकार दोनों द्वारा जारी किए गए एसओपी 01 अप्रैल 2021 से लागू हैं और इसलिए न्यायालय के समक्ष अनुरोध किया गया था कि एसओपी को 11 मार्च 2021 को भी लागू किया जाना चाहिए।
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न्यायालय ने कहा कि हालांकि मेला अधिकाारी द्वारा दायर हलफनामा उत्साहजनक है, लेकिन इसे तस्वीरों के साथ पूरक करने की आवश्यकता है, जो स्पष्ट रूप से बड़े निर्माण कार्य और उत्तरदाता राज्य द्वारा किए जा रहे प्रबंधों को स्पष्ट रूप से सामने लाएगा। इसके अलावा यह देखते हुए कि एक बड़ी संभावना मौजूद है कि हरिद्वार में बड़ी संख्या में लोग अपने धार्मिक संस्कार करने के लिए एकत्रित होंगे। कोर्ट ने राज्य सरकार को पर्याप्त तैयारी करने और केंद्र और राज्य सरकार द्वारा जारी किए गए एसओपी को लागू करने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने अंत में मेला अधिकारी को 23.03.2021 को या उससे पहले किए जाने वाले सभी प्रमुख निर्माण कार्यों, मरम्मत, और नवीकरण की तस्वीरों के साथ एक रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिए भी निर्देशित किया गया। मामले को अब 24 अप्रैल 2021 को आगे की सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया गया है।