अनुकृति गुंसाई को टिकट, हरक सिंह को आश्वासन देकर एक तीर से कई निशान साधने की कोशिश में है कांग्रेस, जानिए कैसे
कांग्रेस हाईकमान ने तैयार किया बीच का फॉर्मूला
देहरादून, 19 जनवरी। उत्तराखंड में कांग्रेस के सामने इस वक्त सबसे बड़ी समस्या हरक सिंह प्रकरण को लेकर सामने आ गई है। पार्टी में हरक सिंह को शामिल करने को लेकर दो गुट आमने- सामने हैं। एक खेमा हरक सिंह को पार्टी में शामिल कर कांग्रेस को मजबूत होने का दावा कर रहा है, जबकि दूसरा खेमा 2016 की बगावत का हरीश रावत के साथ हुए प्रकरण का प्रायश्चित करने की बात कर रहा है। ऐसे में कांग्रेस हाईकमान बीच का रास्ता निकालने में जुटा है। इसके लिए कांग्रेसी सूत्र दावा कर रहे हैं कि पार्टी हरक सिंह रावत की बहू अनुकृति गुंसाई को टिकट देकर हरक सिंह को लोकसभा चुनाव में चुनाव मैदान में उतारने का मन बना चुका है। इससे एक साथ कांग्रेस कई समीकरण साध सकती है।
लैंसडाउन सीट से अनुकृति को मिल सकता है टिकट
कांग्रेसी सूत्रों की मानें तो कांग्रेस हाईकमान अनुकृति गुंसाई को लैंसडाउन सीट से मैदान में उतार सकती है। अनुकृति को टिकट देकर कांग्रेस महिला कार्ड भी खेल सकती है। जो कि कांग्रेस की प्रदेश महिला कांग्रेस कमेटी की अध्यक्ष सरिता आर्य के भाजपा में जाने के बाद एक पक्ष कमजोर पड़ गया है। उत्तरप्रदेश में लड़की हूं लड़ सकती हूं का नारा देने के बाद प्रियंका गांधी ने 40 परसेंट महिलाओं को टिकट दिया है। जबकि उत्तराखंड में महिलाओं को ज्यादा प्रतिनिधित्व मिलता नहीं दिख रहा है। इसी के विरोध में कांग्रेस की महिला प्रतिनिधित्व कर रही महिला कांग्रेस की प्रदेश अध्यक्ष सरिता आर्य ने भाजपा ज्चाइन कर कांग्रेस पर गंभीर आरोप लगाए हैं। अनुकृति को टिकट देकर कांग्रेस महिला कार्ड खेलकर इस पक्ष को मजबूत कर सकती है।
हरीश खेमे को शांत कराने के लिए नहीं देगी टिकट
हरक सिंह को कांग्रेस इस विधानसभा चुनाव में टिकट न देकर कांग्रेस हाईकमान दूसरे खेमे को शांत करा सकती है। जो कि हरक सिंह को कांग्रेस में शामिल नहीं होना देने चाह रहे हैं। इसमें हरीश रावत समर्थक के अलावा ऐसे विधानसभा क्षेत्रों के लोग भी हैं, जहां से हरक के आने के बाद समीकरण बदल सकते हैं। इसमें केदारनाथ, डोईवाला जैसी सीट प्रमुख है। इन क्षेत्रों में हरक सिंह के आने से पहले ही विरोध होने लगा है। हरीश रावत शुरूआत से ही हरक सिंह को लेकर अपनी नाराजगी दर्ज करा चुके हैं। कांग्रेस हाईकमान हरक सिंह को लाकर हरीश रावत को नाराज नहीं करना चाह रही है। हरक सिंह को अगर कांग्रेस अपने पाले में लाती है तो उन्हें विधायक न बनाकर कांग्रेस हरीश रावत को ये आश्वासन दे सकती है कि वे न विधायक बनेंगे न हरीश रावत के लिए प्रदेश में सिरदर्द साबित हो सकते हैं। इसके साथ ही कांग्रेस हरक सिंह का एक से ज्यादा सीटों पर इस्तेमाल कर उनका राजनीतिक लाभ ले सकती है।
गढ़वाल सीट से टिकट का मिलेगा आश्वासन
हरक सिंह को कांग्रेस 2024 के लोकसभा चुनाव के लिए तैयार कर सकती है। गढ़वाल सीट पर हरक सिंह उपचुनाव लड़ चुके हैं। अबकी बार हरक सिंह को कांग्रेस लोकसभा चुनाव लड़ाकर केन्द्र की राजनीति में इस्तेमाल कर सकती है। कांग्रेस के लिए 2022 का चुनाव सेमीफाइनल की तरह है, जो कि 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले खासा अहम माना जा रहा है। यहां से जीतकर कांग्रेस आगे की रणनीति तैयार कर रही है। इसके लिए नेताओं के कद को देखते हुए लोकसभा चुनाव में उनका इस्तेमाल किया जा सकता है। इससे पहले गढ़वाल लोकसभा सीट पर कांग्रेस पूर्व मुख्यमंत्री बीसी खंडूडी के बेटे मनीष खंडूडी को चुनाव में उतार चुकी है। जिन्हें इस बार कांग्रेस विधानसभा चुनाव में उतार सकती है। ऐसे में गढ़वाल सीट के लिए हरक सिंह का रास्ता साफ हो सकता है। हरक के कद और दूसरे खेमे से नाराजगी को देखते हुए कांग्रेस हरक को इस चुनाव में स्टार प्रचारक बनाकर लोकसभा के लिए तैयार कर सकती है।