उत्तराखंड में महिला वोटरों को लुभाने के लिए कांग्रेस से एक कदम आगे निकली भाजपा, जानिए क्या है मामला
उत्तराखंड में महिला वोटरों को लुभाने के लिए कांग्रेस से एक कदम आगे निकली भाजपा
देहरादून, 1 दिसंबर। उत्तराखंड में चुनाव आते ही हर सियासी दल हर वर्ग को लुभाने में जुटे हैं। ऐसे में महिलाओं को भी अपने-अपने पक्ष में करने के लिए भाजपा, कांग्रेस अपने-अपने दावे करने लगे हैं। कांग्रेस जहां उत्तर प्रदेश में महिलाओं को 40 परसेंट टिकट देने का दांव चल चुकी है, उसके बाद उत्तराखंड में भी कांग्रेस ने महिलाओं को लुभाने के लिए ज्यादा टिकट देने की बात की है। लेकिन भाजपा कांग्रेस के टिकट कार्ड से एक कदम आगे निकल चुकी है। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक ने नई सरकार में मातृ शक्ति को अधिक प्रतिनिधित्व देने का दावा किया है। हालांकि टिकट बंटवारे से लेकर सरकार आने पर महिलाओं को अब तक के चुनावों में किसी भी दल ने तरजीह नहीं दी है।
नई
सरकार
में
अधिक
प्रतिनिधित्व
देने
का
दावा
उत्तर
प्रदेश
से
लेकर
उत्तराखंड
में
कांग्रेस
का
महिला
कार्ड
खेलने
के
बाद
अब
भाजपा
मुद्दे
को
लपकने
में
जुटी
है।
कांग्रेस
टिकट
बंटवारे
में
लगातार
महिलाओं
की
पैरवी
करती
नजर
आ
रही
है।
इसका
तोड़
निकालने
के
लिए
भाजपा
एक
नया
मुद्दा
लेकर
आई
है।
भाजपा
प्रदेश
अध्यक्ष
मदन
कौशिक
ने
हाल
ही
में
एक
कार्यक्रम
में
कहा
कि
वर्ष
2017
के
विधानसभा
चुनाव
में
भाजपा
ने
मातृ
शक्ति
को
जो
जिम्मेदारी
सौंपी
थी,
इस
चुनाव
में
उससे
भी
अधिक
महिला
कार्यकर्ताओं
को
अवसर
दिया
जाएगा।
मदन
कौशिक
ने
कहा
कि
भाजपा
जब
भी
सत्ता
में
आई
है,
तब
महिलाओं
को
केंद्र
में
रखकर
विकास
का
पैमाना
तय
किया
है।
भाजपा
जानती
है
कि
उत्तराखंड
जैसे
प्रदेश
में
महिलाओं
की
भूमिका
अग्रणी
रही
है।
भाजपा
के
केंद्रीय
नेतृत्व
की
बैठकों
में
भी
यही
चर्चा
आम
रहती
है
कि
संगठन
में
किस
तरह
महिलाओं
की
भूमिका
को
बढ़ाया
जाए।
यही
कारण
यह
कि
इस
चुनाव
में
प्रत्येक
विधानसभा
में
एक
महिला
सहप्रभारी
बनाई
गई
हैं।
चुनाव
से
लेकर
विधानसभा
पहुंचने
में
महिलाएं
नहीं
आई
आगे
उत्तराखंड
आंदोलन
से
लेकर
अब
तक
महिलाओं
ने
हमेशा
बढ़-चढ़कर
हिस्सा
लिया।
पार्टी
कार्यक्रमों
में
भी
महिलाएं
हमेशा
आगे
नजर
आती
हैं।
लेकिन
जब
सत्ता
की
बात
आती
है
तो
महिलाएं
कम
ही
नजर
आती
हैं।
कांग्रेस
की
दिवंगत
नेता
इंदिरा
ह्रदयेश
को
छोड़कर
कोई
महिला
नेता
प्रतिपक्ष
जैसे
अहम
कुर्सी
पर
नहीं
बैठ
पाई।
भाजपा
हो
या
कांग्रेस
सरकार
में
भी
महिलाओं
का
प्रतिनिधित्व
हमेशा
कम
ही
रहा
है।
वर्तमान
सरकार
में
भी
एक
ही
महिला
रेखा
आर्य
मंत्री
हैं।
चुनाव
की
बात
करें
तो
वर्ष
2002
में
उत्तराखंड
में
पहला
विधानसभा
चुनाव
हुआ
जिसमें
कुल
927
प्रत्याशियों
में
से
72
महिलाओं
ने
चुनाव
लड़ा।
जिसमें
सिर्फ
चार
महिलाएं
ही
जीत
हासिल
कर
विधानसभा
पहुंचे।
कांग्रेस
से
इंदिरा
हृदयेश
व
अमृता
रावत
और
भाजपा
से
विजय
बड़थ्वाल
व
आशा
देवी
विधायक
बने।
वर्ष
2007
के
चुनाव
में
70
सीटों
पर
कुल
729
प्रत्याशियों
में
से
56
महिलाएं
चुनाव
में
उतरी।
इसमें
भाजपा
से
वीना
महराना,
आशा
देवी,
विजय
बड़थ्वाल,
कांग्रेस
से
अमृता
रावत
ने
जीत
हासिल
की।
वर्ष
2012
के
चुनाव
में
कुल
788
प्रत्याशियों
में
63
महिलाओं
ने
चुनाव
लड़ा।
लेकिन
पांच
विधानसभा
पहुंची।
इसमें
कांग्रेस
से
इंदिरा
हृदयेश,
शैला
रानी
रावत,
सरिता
आर्य,
अमृता
रावत
और
भाजपा
से
विजय
बड़थ्वाल
ने
चुनाव
जीता
था।
जबकि
2017
के
चुनाव
में
कुल
723
प्रत्याशियों
में
80
महिलाओं
ने
चुनाव
लड़ा
है।
जिसमें
पांच
महिलाएं
चुनाव
जीत
कर
विधानसभा
पहुंची।
जिसमें
कांग्रेस
से
इंदिरा
हृदयेश,
ममता
राकेश,
भाजपा
से
रेखा
आर्य,
रितू
खंडूड़ी
और
मीना
गंगोला
विधायक
हैं।
इसके
बाद
उपचुनाव
में
मुन्नी
देवी
शाह
और
चंद्रा
पंत
जीती।
टिकट
बंटवारें
में
भी
वर्ष
2012
में
हुए
विधानसभा
चुनाव
में
कांग्रेस
ने
कुल
आठ
महिला
प्रत्याशियों
को
टिकट
दिए।
बाद
में
2014
में
हुए
उपचुनाव
में
सोमेश्वर
विधानसभा
सीट
से
रेखा
आर्य
और
भगवानपुर
सीट
से
ममता
राकेश
भी
विधानसभा
पहुंचने
में
कामयाब
हुई।
जबकि
भाजपा
ने
सात
महिलाओं
को
टिकट
दिया।
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