कांग्रेस में वापसी होने के बाद अब यशपाल आर्य को मिलने वाली नई जिम्मेदारी को लेकर शुरू हुए कयास
यशपाल आर्य की कांग्रेस में जिम्मेदारी और चुनाव में भूमिका को लेकर चर्चाएं
देहरादून, 27 अक्टूबर। पूर्व कैबिनेट मंत्री यशपाल आर्य ने अपने विधायक बेटे संजीव आर्य के साथ कांग्रेस ज्वाइन कर ली, लेकिन यशपाल आर्य की कांग्रेस में जिम्मेदारी और चुनाव में भूमिका को लेकर अब भी सियासी गलियारों में चर्चा होने लगी है। यशपाल आर्य की कांग्रेस पार्टी में बड़ी भूमिका को लेकर कयास लगाए जा रहे हैं। हालांकि ये तो तय है कि यशपाल आर्य को कांग्रेस दलित और बड़े चेहरे के रूप में इस्तेमाल करने जा रही है।
बड़ी
जिम्मेदारी
मिलने
के
संकेत
उत्तराखंड
में
कांग्रेस
ने
चुनाव
अभियान
समिति
के
साथ
ही
प्रदेश
अध्यक्ष
और
कार्यकारी
अध्यक्ष
पर
चुनावी
साल
में
नए
सिरे
से
बदलाव
किए
हैं।
जिसमें
पार्टी
ने
सभी
समीकरणों
को
साधने
की
कोशिश
की
है।
अब
यशपाल
आर्य
के
कांग्रेस
में
आने
के
बाद
पार्टी
को
यशपाल
आर्य
के
लिए
नए
सिरे
से
सीट
तैयार
करनी
है।
जो
उनके
कद
के
हिसाब
से
फिट
बैठ
सके।
2012
में
जब
कांग्रेस
सत्ता
में
आई
थी
तब
यशपाल
आर्य
के
हाथों
में
ही
कांग्रेस
की
कमान
थी।
अब
10
साल
बाद
फिर
से
चुनाव
होने
है,
ऐसे
में
यशपाल
आर्य
के
हाथ
में
कांग्रेस
बड़ी
जिम्मेदारी
सौंपने
की
तैयारी
में
है।
जिसको
लेकर
प्रदेश
अध्यक्ष
गणेश
गोदियाल
ने
केन्द्रीय
नेतृत्व
और
सोनिया
गांधी
से
विचार
विमर्श
करने
की
बात
कही
है।
जिसकी
हरी
झंडी
मिलते
ही
यशपाल
आर्य
नई
पारी
के
लिए
तैयार
किए
जाएंगे।
परिवर्तन
यात्रा
में
होगी
बड़ी
जिम्मेदारी
कांग्रेस
उत्तराखंड
में
दलित
वोटरों
को
अपने
पक्ष
में
करने
के
लिए
यशपाल
आर्य
का
चेहरा
इस्तेमाल
करेगी।
प्रदेश
में
18
परसेंट
से
ज्यादा
दलित
वोटर
हैं।
जिनका
30
सीटों
पर
व्यापक
असर
भी
है।
जो
कि
हार-जीत
का
समीकरण
तय
करते
हैं।
यशपाल
आर्य
को
कांग्रेस
इन
सभी
सीटों
पर
इस्तेमाल
करने
के
लिए
नई
रणनीति
पर
काम
कर
रही
है।
जिसके
लिए
पार्टी
स्तर
पर
होमवर्क
किया
जा
रहा
है।
इसके
साथ
ही
परिवर्तन
यात्रा
के
अगले
चरण
में
कांग्रेस
यशपाल
आर्य
के
प्रभाव
वाले
क्षेत्रों
में
रैली
करने
की
भी
तैयारी
में
है।
इससे
पहले
कांग्रेस
ने
पूर्व
सीएम
एनडी
तिवारी
के
जन्म
दिन
पर
यशपाल
आर्य
को
मंच
पर
लाकर
चुनावी
आगाज
भी
करने
का
प्लान
किया
था।
जो
कि
आपदा
के
चलते
ज्यादा
प्रभावी
नहीं
हो
पाया।
ऐसे
में
अब
परिवर्तन
यात्रा
के
जरिए
कांग्रेस
इसे
दोबारा
प्लान
कर
रही
है।
पार्टी
के
बाद
सीट
भी
बदलने
के
संकेत
यशपाल
आर्य
के
भाजपा
छोड़ने
के
कारणों
को
लेकर
उत्तराखंड
के
भाजपा
के
नेताओं
के
अपने-अपने
तर्क
है।
प्रदेश
अध्यक्ष
मदन
कौशिक
का
दावा
है
कि
यशपाल
आर्य
को
अपनी
सीट
पर
हार
के
समीकरण
नजर
आ
रहे
थे,
ऐसे
में
उन्होंने
भाजपा
छोड़ी
है।
अगर
इस
बात
में
सच्चाई
है
तो
क्या
यशपाल
आर्य
बाजपुर
की
जगह
दूसरी
सीट
जिसमें
सबसे
पहले
हल्द्वानी
सीट
का
जिक्र
हो
रहा
है,
से
चुनावी
मैदान
में
उतर
सकते
हैं।
कांग्रेस
के
अंदरखाने
भी
इस
बात
को
लेकर
खासा
चर्चा
हो
रही
है।
पाला
बदलने
के
साथ
ही
यशपाल
के
विधानसभा
सीट
को
बदलने
की
भी
चर्चा
तेज
है।
इससे
भी
यशपाल
आर्य
को
मिलने
वाली
नई
जिम्मेदारी
पर
असर
दिखना
तय
है।