क्या मायावती ने सियासी शंतरज की चल दी पहली चाल, सतीश मिश्रा को क्यों नहीं मिली स्टार प्रचारकों में जगह
लखनऊ, 09 जून: उत्तर प्रदेश में दो लोकसभा सीटों पर उपचुनाव होना है। रामपुर और आजमगढ़ हालांकि दोनों वीवीआईपी सीटें हैं लेकिन बसपा का पूरा फोकस केवल आजमगढ़ पर ही बना हुआ है। वह अखिलेश को कमजोर करने के लिए यहां मुस्लिम कार्ड पहले ही चल चुकी हैं। वहीं दूसरी ओर बसपा की ओर से गुरुवार को जारी स्टार प्रचारकों की सूची में मायावती के सबसे कद्दावर नेता सतीश मिश्रा का शामिल न होना सबको खटक रहा है। लेकिन विधानसभा चुनाव के दौरान सतीश मिश्रा को लेकर जो तुफान उठा था उसके बाद अचानक उनका कद किया जाना राजनीतिक पंडितों को नहीं पच रहा है। हालांकि बताया गया है स्वास्थ्य कारणों से मिश्रा को लिस्ट में जगह नहीं मिली है लेकिन राजनीतिक पंडितों की माने तो दलितों व मुसलमानों में पैठ बनाने के लिए मायावती ने सियासी शतरंज की पहली चाल चल दी है।
क्या सतीश मिश्रा का कद कम रही हैं बहनजी ?
विधानसभा चुनाव के दौरान सतीश मिश्रा के सीएम फेस को लेकर एक तूफान उठा था। तब यह कहा जा रहा था कि सतीश मिश्रा ही सीएम फेस होंगे लेकिन इस तुफान के बीच मायावती ने खुद आगे आकर इस बढ़ते बवंडर को थामने की कोशिश की थी। तब मायावती ने कहा था कि उनका उत्तराधिकारी कोई दलित ही होगा। हालांकि उस समय लखनऊ में कुछ जगहों पर सतीश मिश्रा के सीएम फेस को लेकर कुछ पोस्टर भी लगाए गए थे। लेकिन मायावती ने इस विवाद को दबाने की कोशिश की थी। बाद में यह भी आरोप लगाया गया कि सतीश मिश्रा पार्टी में हावी हो गए हैं जिसकी वजह से दलित और मुसलमान वोट बैंक छिटक रहा है।
मुसलमान और दलित वोट बैंक साधने की कोशिश
आजमगढ़ उपचुनाव के लिए बसपा की स्टार प्रचारकों की लिस्ट में सतीश मिश्रा का नाम नहीं है जबकि विधानसभा चुनाव के दौरान वह बसपा के स्टार कैंपेनर थे। मायावती से ज्यादा रैलियां सतीश मिश्रा ने की थी। बीएसपी के कुछ नेताओं का कहना है कि सतीश मिश्रा का वजन हल्का किया गया है ताकि मुस्लिम और दलित समुदाय में एक संदेश जाए। विधानसभा चुनाव के दौरान ऐसा देखने में आया था कि दलित वोट उसमें भी खासतौर से जाटव वोट बसपा से दूर हो रहा है और वह बीजेपी के साथ जुड़ रहा है। उस वोट को वापस लाने के लिए मायावती ने यह चाल चली है। उसी तरह मुसलमानों का भरोसा भी मायावती से उठ गया था। वह भी अखिलेश के पाले में चले गए थे। इस कदम के बहाने वह दोनों समुदायों में एक संदेश देना चाहती हैं कि अब पार्टी में सतीश मिश्रा हॉवी नहीं रहेंगे।
स्टार प्रचारकों की सूची में 40 नेताओं का नाम
आजमगढ़ सीट पर लोकसभा उपचुनाव के लिए पार्टी द्वारा घोषित स्टार प्रचारकों की सूची से बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के महासचिव एससी मिश्रा का नाम गायब है। बसपा ने आजमगढ़ लोकसभा सीट के लिए बुधवार को 40 स्टार प्रचारकों की सूची जारी की। इस सूची में बसपा अध्यक्ष मायावती, राज्य इकाई के अध्यक्ष भीम राजभर, पार्टी विधायक उमाशंकर सिंह, जोनल समन्वयक मुनकद अली और पार्टी के अन्य वरिष्ठ नेता शामिल हैं।
क्या नकूल दुबे के बसपा छोड़ने से घटा मिश्रा का कद ?
सतीश मिश्रा, जिनका राज्यसभा सदस्य के रूप में कार्यकाल 4 जुलाई को समाप्त हो रहा है, उन्होंने 2022 के यूपी में अपनी पार्टी के लिए बड़े पैमाने पर प्रचार किया था। फरवरी-मार्च में विधानसभा चुनाव। मिश्रा को बसपा का समर्थन करने के लिए ब्राह्मण समुदाय को लामबंद करने का काम सौंपा गया था। 2022 के यूपी में बसपा सिर्फ एक सीट जीतने में कामयाब रही। नकुल दुबे - मिश्रा के करीबी सहयोगी थे। लेकिन सूत्रों की माने तो अंदरूनी खींचतान के चलते वह कांग्रेस में शामिल हो गए थे। बसपा के एक सदस्य ने कहा कि मिश्रा को स्वास्थ्य के आधार पर स्टार प्रचारकों की सूची में शामिल नहीं किया गया।
बसपा ने आजमगढ़ से गुड्डृ जमाली को दिया है टिकट
नेताओं के मुताबिक सीट जीतने के लिए पार्टी ने ओबीसी-दलित और मुस्लिम नेताओं को स्टार प्रचारक के तौर पर शामिल किया है। बसपा ने आजमगढ़ सीट पर पूर्व विधायक शाह आलम उर्फ गुड्डू जमाली को उपचुनाव के लिए उतारा है। समाजवादी पार्टी (सपा) प्रमुख अखिलेश यादव ने मैनपुरी जिले में स्थित करहल विधानसभा सीट को बरकरार रखने के लिए सीट खाली कर दी।
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