विवेक तिवारी को गोली मारने वाले सिपाही को नहीं दी गई थी पिस्टल चलाने की ट्रेनिंग
लखनऊ। लखनऊ के विवेक तिवारी हत्याकांड की जांच में चौंकाने वाली बात सामने आई है। मामले की जांच कर रही एसआईटी टीम के मुताबिक जिस फिल्मी अंदाज में विवेक तिवारी को सिपाही प्रशांत चौधरी ने गोली मारी थी उसे खुद पिस्टल चलाने का प्रशिक्षण नहीं मिला था। जांच में यह भी बात सा्मने आई है कि ना सिर्फ प्रशांत बल्कि लखनऊ के 43 थानों में तैनात सिपाहियों को बिना किसी ट्रेनिंग के ही पिस्टल थमा दी गई है। एसआईटी जांच में इस तथ्य के सामने आने के बाद एक बार फिर से लखनऊ पुलिस प्रशासन सवालों के घेरे में है।
दरअसल नियम यह है कि सिपाहियों को पिस्टल या रिवॉल्वर दी ही नहीं जा सकती है, लेकिन फील्ड में अपने प्रभाव को जमाने के लिए और बड़ा असलहा लेकर ना चलना पड़े इसके लिए ये सिपाही मुंशियों को रिश्वत देकर खुद के लिए पिस्टल अलॉट करवा लेते हैं। गौर करने वाली बात यह है कि इस बात की जानकारी तमाम अधिकारियों को है बावजूद इसके कोई कार्रवाई नहीं की जाती है। पुलिस प्रशिक्षण नियमावली के अनुसार सिपाहियों से लेकर राजपत्रित अधिकारियों को पद के अनुसार असलहा चलाने, उसे खोलने और बंद करने की ट्रेनिंग दी जानी चाहिए।
सूत्रों का कहना है कि रिजर्व पुलिस लाइंस या थाने पर मुंशी जोकि असलहा इंचार्ज होता है उसे 500-1000 रुपए की घस देकर ये सिपाही मनचाहा असलहा अलॉट करवा लेते हैं। वहीं इस मामले में प्रतिसार निरीक्षक आशुतोष सिंह का कहना है कि दो दिन पहले चार्ज लेने की वजह से उन्हें इस बारे में जानकारी नहीं है, लेकिन बिना शैडो ट्रेनिंग वाले सिपाहियों के पिस्टल और रिवॉल्वर जमा कराए जाएंगे।
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