यूपी में पंचायत चुनाव पर लगा ब्रेक, आरक्षण प्रक्रिया पर हाईकोर्ट ने लगाई रोक
लखनऊ। यूपी में होने वाले पंचायत चुनावों को लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक अहम फैसला लिया है। उच्च न्यायालय ने यूपी पंचायत चुनाव की आरक्षण प्रक्रिया पर रोक लगा दी है। हाई कोर्ट ने आरक्षण और आवंटन कार्रवाई पर रोक दी है। इस बारे में सभी जिलों के डीएम को आदेश भेज दिया गया है। कोर्ट ने आरक्षण की अंतिम सूची जारी करने पर 15 मार्च तक की रोक लगाई है। ये रोक इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने लगाई है।
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सामाजिक कार्यकर्ता अजय कुमार की पीआईएल में आरक्षण की नियमावली को चुनौती दी गई है। पीआईएल में फरवरी महीने में जारी किए गए शासनादेश को चुनौती दी गई है। सीटों का आरक्षण साल 2015 में हुए पिछले चुनाव के आधार पर किए जाने की मांग की गई है। पीआईएल में 1995 से आगे के चुनावों को आधार बनाए जाने को गलत बताया गया है। अपर मुख्य सचिव मनोज सिंह ने सभी डीएम को इस संबंध में पत्र जारी किया है।
17 मार्च को यूपी सरकार पंचायत चुनावों के लिए आरक्षण की अंतिम सूची जारी करने वाली थी। हाई कोर्ट के फैसले के बाद अब इस पर ब्रेक लग गया है। अपर मुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह ने हाई कोर्ट के फैसले के बाद सभी डीएम को आरक्षण प्रकिया पर रोक लगाने संबंधी आदेश जारी कर दिया है। बताया जा रहा है कि, यूपी सरकार सोमवार को कोर्ट में अपना जवाब दाखिल करेगी।
इससे पहले उत्तर प्रदेश के पंचायती राज मंत्री भूपेंद्र सिंह चौधरी ने कहा था कि, प्रदेश में 20 मार्च के बाद राज्य चुनाव आयोग कभी भी पंचायत चुनाव के लिए मतदान की तिथियों की घोषणा कर सकता है। 25 अप्रैल तक चारों चरणों के चुनाव पूरे होने की उम्मीद है। मई में जिला पंचायत अध्यक्ष और ब्लॉक प्रमुखों का चुनाव होना है।
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2021:
केरल
में
कांग्रेस
को
झटका,
पूर्व
पीसीसी
सचिव
विजयन
थॉमस
बीजेपी
में
शामिल