Uttar Pradesh News: पराली को लेकर अलर्ट हुई Yogi सरकार, जानिए क्या उठाया कदम
उत्तर प्रदेश सरकार ने यूपी के सभी संभागायुक्तों और जिलाधिकारियों को निर्देश दिया है कि वे राज्य के धान उपार्जन केन्द्रों का नियमित निरीक्षण करें ताकि किसानों को अपनी उपज बेचने में किसी प्रकार की असुविधा का सामना न करना पड़े। उन्होंने वीडियो कांफ्रेंस के माध्यम से बैठक कर अधिकारियों को किसानों की शिकायतों के निस्तारण के लिए सभी जिलों में विशेष नियंत्रण कक्ष स्थापित करने के भी निर्देश दिए। उन्होंने बिचौलियों और अवैध रूप से धान का भंडारण करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई के आदेश दिए।
दरसअल यूपी के मुख्य सचिव दुर्गा शंकर मिश्र ने एक हाइलेवल मीटिंग के बाद ये दिशा निर्देश जारी किए हैं। मिश्रा ने अधिकारियों को पराली जलाने के प्रतिकूल पर्यावरणीय प्रभाव के बारे में बताते हुए किसानों के बीच जागरूकता पैदा करने का निर्देश दिया। उन्होंने कहा कि फसल में आग लगने की घटनाओं को रोकने के लिए अधिकारियों को संवेदनशील गांवों में डेरा डालना चाहिए। उन्होंने 'पराली दो, खड़ा लो' कार्यक्रम को लोकप्रिय बनाने की आवश्यकता पर बल दिया।
वायरल बीमारियों से निपटने के लिए अभियान
मुख्य सचिव ने कहा कि डेंगू और अन्य वायरल बीमारियों से निपटने के लिए युद्ध स्तर पर सघन फॉगिंग अभियान चलाया जाना चाहिए। इससे पहले दुर्गा शंकर मिश्रा ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से 18 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ योजना भवन में 'महिला सुरक्षा और अधिकारिता के लिए सक्षम पारिस्थितिकी तंत्र' पर एक दिवसीय कार्यशाला में भाग लिया था।
यूपी के 18 जिले सरकार की राडार पर
रूहेलखंड में बरेली और रामपुर भी पराली जलाने पर अंकुश लगाने के लिए पर्याप्त उपाय करने में विफल रहे हैं। यही हाल खीरी, पीलीभीत, शाहजहांपुर, फतेहपुर, बाराबंकी, कानपुर और हरदोई का है। जहां 18 जिले राज्य सरकार के रडार पर आ गए हैं, वहीं मुख्य सचिव मिश्रा ने सभी जिला अधिकारियों से इस समस्या को तत्काल प्रभाव से रोकने के लिए कदम उठाने को कहा है। यूपी सरकार ने भी 2019 से इस मुद्दे पर चार सरकारी आदेश जारी किए हैं।
पराली जलाने के मामले में दर्ज हो रही एफआईआर
भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान के मुताबिक, पिछले यूपी में 6 अक्टूबर तक फसल जलने के 80 मामले दर्ज किए गए, जबकि पिछले साल 52 दर्ज किए गए थे। 2020 में पराली जलाने की 101 घटनाएं दर्ज की गईं। एक अनुमान के अनुसार, यूपी कृषि अवशेष (40 मीट्रिक टन) का उच्चतम उत्पादक है, इसके बाद महाराष्ट्र (31 मीट्रिक टन) और पंजाब (28 मीट्रिक टन) है।
सुप्रीम कोर्ट ने दिया है निर्देश
पिछले साल, राज्य के कृषि विभाग ने कृषि अवशेषों के निपटान के लिए एक महत्वपूर्ण उपाय के रूप में आवारा मवेशियों को पराली खिलाने का प्रस्ताव रखा था। सरकार ने आवारा पशुओं के लिए बने आश्रय गृहों में पराली की ढुलाई के लिए फंडिंग का भी प्रस्ताव किया था। इसमें दैनिक निगरानी और मानदंडों का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करना शामिल है। साल दर साल पराली (NGT) की जांच के लिए सुप्रीम कोर्ट और नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के सख्त निर्देशों के बावजूद स्थिति सामने आई है।
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