समाजवादी पार्टी में अखिलेश और शिवपाल की रार पर मुस्लिमों ने कहा- वोट पर पड़ेगा असर
इस साल अक्टूबर की 24 तारीख को हुई आखिरी बैठक के बाद समाजवादी पार्टी में लगभग सब कुछ सही हो गया था लेकिन टिकट बंटवारे को लेकर शुरू हुआ विवाद अब इनके कोर वोटबैंक पर भी असर डाल रहा है।
वाराणसी। समाजवादी पार्टी के अन्दर चाचा-भतीजे के बीच वर्चस्व की लड़ाई का असर अब स्पष्ट रूप से जमीन पर दिखने लगा है। सपा मुखिया मुलायम सिंह यादव के द्वारा 325 लोगो की जारी लिस्ट में उत्तर प्रदेश स्थित वाराणसी के शहर उत्तरी के घोषित प्रत्याशी समद अंसारी की जगह ओ पी सिंह को टिकट देने के बाद वाराणसी के मुस्लिम बुनकर समाज के लोग खुल कर मुलायम सिंह यादव के फैसले के खिलाफ लामबंद हो गये है।
दरअसल
बनारस
के
बुनकर
समाज
और
मुस्लिम
धर्मगुरूओं
ने
फरवरी
2016
मे
सपा
की
तरफ
से
घोषित
प्रत्याशी
अब्दुल
समद
अंसारी
का
टिकट
कटने
के
विरोध
मे
एक
बड़ी
महापंचायत
बुलाई।
इस
महापंचायत
में
बड़ी
संख्या
मे
वाराणसी
के
बुनकर
और
मुस्लिम
धर्मगुरूओ
ने
शिरकत
कर
के
टिकट
कटने
के
खिलाफ
आगे
की
रणनीति
पर
चर्चा
की।
महापंचायत
में
आये
मुस्लिम
धर्मगुरूओं
और
बुनकरो
ने
जोर
शोर
से
समद
अंसारी
के
पक्ष
में
आवाज
बुलंद
की
और
कहा
कि
फरवरी
में
ही
घोषित
नाम
को
इस
तरह
से
लिस्ट
में
से
हटाना
पूरी
तरह
से
गलत
है
और
काशी
के
बुनकर
समाज
के
लोग
इस
फैसले
के
खिलाफ
है।
कहा
कि
अगर
फैसला
नहीं
बदला
गया
तो
इसका
असर
चुनावों
पर
पड़ेगा।
बैठक
में
मुख्य
रूप
से
बनारस
के
मुस्लिम
सरदार
अनवर
उल
हक
अंसारी
और
सरदार
मुहम्मद
हाशिम
शामिल
रहे।
सूबे
के
चुनावों
को
लेकर
हर
पार्टी
के
प्रत्याशी
अपने
अपने
क्षेत्रों
में
लगातार
संपर्क
कर
रहे
है
लेकिन
ऐन
मौके
पर
पार्टी
के
शीर्ष
नेतृत्व
में
मची
खींचतान
का
असर
अब
समाजवादी
पार्टी
के
कोर
वोट
बैंक
पर
असर
दिख
रहा
है
।वाराणसी
में
अगर
मुस्लिम
वोटों
की
बात
करें
तो
इनकी
संख्या
कई
विधानसभा
क्षेत्रों
में
निर्णायक
मानी
जाती
है।
ऐसे
में
पीएम
के
संसदीय
क्षेत्र
में
टिकट
को
लेकर
उठा
घमासान
समाजवादी
पार्टी
को
खासा
नुकसान
पहुंचा
सकती
है।
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यादव
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