चुनाव से पहले इनकम टैक्स के छापे से गरमाई यूपी की सियासत, जानिए इसके सियासी मायने
लखनऊ, 20 दिसंबर: उत्तर प्रदेश में अब महज कुछ ही महीने दूर चुनाव हैं। चुनाव से ठीक पहले समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव के करीबीयों पर इनकम टेक्स की रेड ने एक बार फिर टाइमिंग को लेकर सवाल खड़ा कर दिया है। सपा के चीफ अखिलेश यादव ने इसकी टाइमिंग पर सवाल उठाए हैं तो बीजेपी इसे इनकम टेक्स की कार्रवाई बताकर पल्ला झाड़ने में जुटी हुई है। लेकिन एक बात साफ है कि यह पहला मौका नहीं है जब चुनाव के समय विपक्ष के नेताओं के खिलाफ इस तरह की कार्रवाई हो रही है। पहले भी ऐसे कई मौके आए जब चुनाव के समय कई राज्यों में प्रमुख नेताओं और उनके करीबियों के यहां जांच एजेंसियों की छापेमारी हो चुकी है।
पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव के करीबी माने जाने वाले समाजवादी पार्टी (सपा) के कुछ नेताओं पर आयकर छापों ने शनिवार को उत्तर प्रदेश (यूपी) में राजनीतिक माहौल को गर्म कर दिया, यादव, जो रायबरेली के दौरे पर हैं, ने कहा कि बीजेपी केंद्रीय एजेंसियों का दुरुपयोग कर रही है। आयकर विभाग की कई टीमों ने राज्य के मुख्य विपक्षी दल के नेताओं के कार्यालयों और आवासों पर छापा मारा, जिन्होंने चुनाव से ठीक पहले सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी की जबरदस्ती की रणनीति के रूप में उन्हें तुरंत खारिज कर दिया।
छापेमारी सुबह छह बजे शुरू हुई और कई घंटों तक चली। सूत्रों के अनुसार, I-T टीमें लखनऊ, झांसी, आगरा, नोएडा, गाजियाबाद और वाराणसी जिलों से थीं। जानकारी के मुताबिक, जिन लोगों के परिसरों की तलाशी ली गई थी, उनमें अखिलेश यादव का करीबी जैनेंद्र यादव भी शामिल थे, जब अखिलेश मुख्यमंत्री थे तब वे ओएसडी थे। उनके विशाल खंड, गोमती नगर स्थित आवास की तलाशी ली गई थी।
पार्टी के प्रवक्ता राजीव राय (मऊ का सहदतपुरा परिसर) और मैनपुरी के एक प्रमुख ठेकेदार मनोज यादव। मनोज यादव आरसीएल कंपनी के मालिक हैं और एक सरकारी ठेकेदार के रूप में काम करते हैं। उन्हें सपा प्रमुख अखिलेश यादव का करीबी माना जाता है। राजीव राय बेंगलुरु में एक चेन एवीके ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूशंस के संस्थापक और अध्यक्ष भी हैं। राजीव राय से यह पूछे जाने पर कि क्या ये छापे राजनीति से प्रेरित थे, उन्होंने कहा कि,
"और क्या हो सकता है। मैं एक ऐसा नेता हूं जिसका कोई अपराध रिकॉर्ड नहीं है। फिर भी ये छापेमारी की जा रही है। मैं अपने समर्थकों से कहना चाहता हूं कि शांत रहें और कानून-व्यवस्था को बिगाड़ने के बहाने पुलिस को मामला बनाने का कोई बहाना न दें।''
अखिलेश ने कहा- बीजेपी चुनाव हार रही है
यूपी के पूर्व सीएम ने कहा कि आईटी छापों ने पुष्टि की है कि भाजपा नेतृत्व को भी एहसास हो गया है कि विधानसभा चुनावों में उनकी पार्टी का सफाया हो जाएगा। अखिलेश ने कहा, "उन्होंने पश्चिम बंगाल और महाराष्ट्र में चुनावों के दौरान भी ऐसा ही किया है और देखें कि वहां क्या हुआ।" सपा प्रमुख ने आईटी छापों के समय पर सवाल उठाते हुए कहा कि एक महीने पहले भी यही कार्रवाई शुरू की जा सकती थी, लेकिन चुनाव से ठीक पहले आने वाली छापेमारी उसी कारण से संदेह पैदा करती है जिसने इस तरह की कवायद को प्रेरित किया है।
बीजेपी के प्रवक्ता हरीश श्रीवास्तव ने कहा कि,
'' इनकम टेक्स के छापों से राजनीति का कोई लेना देना नहीं है। जांच एजेंसियों की तरफ से इस तरह की कार्रवाई आए दिन होती रहती है। इससे बीजेपी का कोई लेना देना नहीं है। भ्रष्टाचार के खिलाफ यह कार्रवाई कोई पहली बार नहीं हो रही है। ये आए दिन होते रहते हैं। यह कहना कि यह राजनीति से प्रेरित है। यह गलत है।''
इन राज्यों में भी चनुाव से पहले पड़ चुकी है रेड
- पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी को दबाव में लेने की कोशिश। पश्चिम बंगाल में 2021 में विधानसभा चुनाव हुए थे।
- कर्नाटक में कांग्रेस के बड़े नेता के पीछे पड़ी थी आईटी। कर्नाटक में 2018 में विधानसभा चुनाव हुए थे।
- महाराष्ट्र में 2019 में विधानसभा चुनाव हुए थे। इससे ठीक पहले ही सितंबर 2019 में चुनाव के ठीक पहले ED ने छापे मारे थे। शरद-अजित पवार पर मनी लॉन्ड्रिंग का केस हुआ था।
- छत्तीसगढ़ में भी साल 2018 में विधानसभा चुनाव थे और छापेमारी का समय भी यही रहा। सीडी घोटाले में भूपेश बघेल को सीबीआई का सामना करना पड़ा।
- मध्य प्रदेश में 2018 में विधाानसभा चुनाव हुए और अप्रैल 2019 में लोकसभा चुनाव से पहले IT ने तत्कालीन मुख्यमंत्री कमलनाथ के करीबियों के 52 ठिकानों पर छापे मारे थे।
- केरल में साल 2021 में विधानसभा चुनाव से पहले ही जुलाई 2020 में मुख्यमंत्री के प्रिंसिपल सेक्रेट्री एम शिवशंकर से सोने की तस्करी के मामले में पूछताछ की गई थी।
- आंध्रप्रदेश में 2019 में विधानसभा चुनाव से नवंबर 2018 में चुनावों से कुछ महीने पहले प्रवर्तन निदेशालय ने मनी लॉन्ड्रिंग में तेलुगू देशम के सांसद वाईएस चौधरी पर छापे मारे।