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यूपी विधानसभा चुनाव 2017: अखिलेश-मुलायम के बीच 'साइकिल' पर जंग की ये है असल वजह

सपा के दोनों ही गुटों को चुनाव आयोग के फैसले का इंतजार है। साथ ही दोनों गुटों में फैसले के बाद दूसरी योजनाओं पर भी चर्चा का दौर जारी है।

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नई दिल्ली। समाजवादी पार्टी के चुनाव चिन्ह साइकिल पर कब्जे का फैसला चुनाव आयोग करना है। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव और उनके पिता मुलायम सिंह यादव, दोनों ही गुटों ने साइकिल पर कब्जे को लेकर चुनाव आयोग के सामने गुहार लगाई है। दोनों ही गुटों ने चुनाव आयोग के सामने अपने-अपने पक्ष रखते हुए सपा के चुनाव चिन्ह साइकिल को लेकर अपना दावा पेश किया है। अब आखिरी फैसला चुनाव आयोग करेगा कि साइकिल चुनाव किसे आवंटित किया जाए। फिलहाल चुनाव आयोग ने अपना फैसला सुरक्षित रखा है।

akhilesh अखिलेश-मुलायम के बीच 'साइकिल' पर जंग की ये है असल वजह

साइकिल पर चुनाव आयोग के फैसले का इंतजार

समाजवादी पार्टी के अंदर पिछले पांच साल में साइकिल को लेकर बहुत कुछ घटा है। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने कई बार सार्वजनिक तौर पर साइकिल की तारीफ कर चुके हैं। उन्होंने इसे पर्यावरण के अनुकूल परिवहन करार दिया है। राज्य के श्रम विभाग ने पिछले पांच साल में लाखों साइकिलें वितरित की है। पिछले साल में प्रदेश सरकार ने पूरे प्रदेश में करीब तीन हजार किलोमीटर का साइकिल ट्रैक बनवाया है। राज्य सरकार की इस पूरी कवायद की वजह से साफ पता चलता है कि समाजवादी पार्टी के लिए साइकिल कितना अहम है। ऐसे में सपा के जिस गुट को साइकिल चुनाव चिन्ह सौंपा जाएगा उसके लिए ये कामयाबी किसी बड़ी जीत से कम नहीं होगी।
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सपा के दोनों ही गुटों को चुनाव आयोग के फैसले का इंतजार है। साथ ही दोनों गुटों में फैसले के बाद दूसरी योजनाओं पर भी चर्चा का दौर जारी है। अगर दोनों गुट चाहेंगे तो चुनाव आयोग सपा के चुनाव चिन्ह साइकिल को फ्रीज करने पर भी विचार कर सकता है। संभावना इस बात की भी है कि दोनों पार्टियों को राज्य पार्टी का दर्जा दे दिया जाए और उन्हें अपना नया चुनाव चिन्ह चुनने के लिए कहा जाए। अखिलेश यादव गुट ने पहले ही साफ कर दिया है कि अगर चुनाव आयोग से उन्हें साइकिल चुनाव चिन्ह नहीं मिलता है तो मोटरसाइकिल को अपना चुनाव चिन्ह बनाएंगे।
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दूसरी ओर मुलायम सिंह यादव का गुट अपनी रणनीति का खुलासा नहीं कर रहा है। उसे चुनाव आयोग के फैसले का इंतजार है। रविवार को मुलायम सिंह यादव ने अपने समर्थकों के साथ कई दौर की बैठक की। जिसमें चर्चा का विषय यही रहा कि अगर चुनाव आयोग का फैसला उनके पक्ष में नहीं आया तो उनकी रणनीति क्या होगी। इस बीच उन्होंने अपने समर्थक नेताओं से कहा है कि वो अपने चुनाव क्षेत्रों में जाएं और काम करना शुरू करें। अलगाव के हालात के बीच मुलायम सिंह यादव भी अपने बेटे अखिलेश यादव से अलग कांग्रेस पार्टी से गठबंधन को लेकर विचार कर रहे हैं। उनका मानना है कि अगर कांग्रेस पार्टी से गठबंधन हुआ तो इससे उन्हें फायदा मिलेगा। फिलहाल सपा के दोनों ही गुटों को चुनाव आयोग के फैसले का इंतजार है।

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English summary
UP assembly election 2017: Why cycle so important for both factions of Samajwadi Party.
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