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'साइकिल' की जंग: चुनाव आयोग के फैसले से पहले अखिलेश-मुलायम गुट के पास हैं ये दो रास्ते

मामले की सुनवाई के दौरान चुनाव आयोग ने 2012 में हुए उत्तराखंड मामले को देखा। ये मामला उत्तराखंड क्रांति दल से जुड़ा हुआ था। पार्टी टूट चुकी थी और विवाद में पार्टी का चुनाव चिन्ह ही था।

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नई दिल्ली। समाजवादी पार्टी का चुनाव चिन्ह साइकिल किसे मिलेगा इस पर आखिरी फैसला चुनाव आयोग को करना है। शुक्रवार को अखिलेश गुट और मुलायम सिंह यादव के गुट ने चुनाव आयोग के सामने साइकिल चुनाव चिन्ह के लिए अपना-अपना पक्ष रखा। माना जा रहा है चुनाव आयोग 17 जनवरी को सपा के चुनाव चिन्ह विवाद पर अपना फैसला सुना सकता है। जहां एक ओर समाजवादी पार्टी में अभी चुनाव चिन्ह को लेकर झगड़ा चल रहा है वहीं उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव को लेकर उम्मीदवारों के नामांकन की प्रक्रिया भी शुरू हो चुकी है। चुनाव चिन्ह साइकिल की जंग में नई दिल्ली के निर्वाचन सदन में अखिलेश यादव गुट ने अपना पक्ष रखते हुए पार्टी नेताओं और विधायकों की संख्या पर ज्यादा जोर दिया। उनका कहना था कि बड़ी संख्या में पार्टी के नेता अखिलेश यादव के समर्थन में हैं। दूसरी ओर मुलायम सिंह यादव की ओर से पार्टी के संविधान पर ज्यादा जोर दिया गया।

akhilesh 'साइकिल' पर जंग: अखिलेश-मुलायम गुट के पास हैं ये दो विकल्प

दोनों पक्षों की बातें सुनने के बाद चुनाव आयोग ने दो विकल्प छोड़े हैं, पहला विकल्प है कि अखिलेश या मुलायम दोनों गुट किसी एक का समर्थन करें या फिर पार्टी का चुनाव चिन्ह फ्रीज करके दोनों गुटों को नया चुनाव चिन्ह चुनने के लिए कहा जाए। चुनाव आयोग के सामने अखिलेश यादव की तरफ से पार्टी सदस्यों की संख्या को प्रमुखता से उठाया गया। मुलायम सिंह यादव की ओर से आरोप लगाया गया कि अखिलेश यादव अवैध तरीके से पार्टी के मुखिया बने हैं।

मामले की सुनवाई के दौरान चुनाव आयोग ने 2012 में हुए उत्तराखंड मामले को देखा। ये मामला उत्तराखंड क्रांति दल से जुड़ा हुआ था। पार्टी टूट चुकी थी और विवाद में पार्टी का चुनाव चिन्ह ही था, चुनाव आयोग ने इस मामले का निपटारा किया था। उस मामले में चुनाव आयोग ने पार्टी का चुनाव चिन्ह फ्रीज कर दिया लेकिन दोनों ही गुटों को राज्य की पार्टी का अंतरिम दर्जा दे दिया गया। चुनाव आयोग ने दोनों ही गुटों को यूकेडी के मिलते-जुलते नाम चुनने का छूट दे दी हालांकि चुनाव चिन्ह अलग-अलग चुनने को कहा। इस मामले को छोड़कर चुनाव आयोग सुप्रीम कोर्ट के उस फैसले को भी देख रहा है जिसमें सादिक अली और चुनाव आयोग का मामला कोर्ट पहुंचा था। उस मामले में उच्चतम न्यायालय ने कहा कि चुनाव आयोग आखिरी मध्यस्थ था, दावेदारों की ताकत को देखते हुए फैसला अहम पैरामीटर हो सकता है।
इसे भी पढ़ें:- सपा में साइकिल विवाद पर चुनाव आयोग ने फैसला सुरक्षित रखा

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English summary
SP symbol feud: Here are the options before the ECI.
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