सावन विशेष: एक मुस्लिम महिला जो शिवलिंग बना चलाती है घर का खर्चा
वाराणसी। शिव की नगरी कही जाने वाली काशी में रहने वाली एक मुस्लिम महिला भगवान शंकर का शिवलिंग बनाकर अपना और अपने परिवार की जीविका चलती है। शहर के पठानी टोला की रहने वाली नन्हीं ने शिवलिंग बनाने की यह कला अपने पति से सीखी थी। पति के इंतकाल के बाद नन्ही ने शिवलिंग बनाने का जिम्मा अपने सिर ले लिया और इसके जरिए परिवार का खर्चा चलाने लगी। नन्हीं ने बताया कि उन्हें शिवलिंग बनाते हुए गर्व की अनूभूति होती है।
कैसे
आया
ये
ख्याल?
नन्ही
जो
एक
एक
मुस्लिम
परिवार
से
वास्ता
रखती
हैं
इनकी
दो
बेतिया
हैं।
जब
इनकी
बेटिया
बहुत
छोटी
थी
तभी
इनके
शौहर
का
इंतकाल
हो
गया।
परिवार
की
माली
हालत
अच्छी
न
होने
के
कारण
नन्हीं
रोजगार
की
तलाश
में
थी।
तभी
एक
दिन
नन्हीं
को
विश्वनाथ
मंदिर
की
गलियों
में
घूमते
हुए
ख्याल
आया
कि
क्यों
न
पति
से
शिवलिंग
बनाने
की
सीखी
कला
से
शिवलिंग
बनाया
जाए।
इसके
बाद
से
ही
नन्हीं
ने
पारे
का
शिवलिंग
बनाना
शुरू
कर
दिया।
नन्हीं
बताती
है
कि
भोलेनाथ
की
कृपा
से
उनका
कारोबर
चल
निकला
है
आज
घर
में
जो
भी
है
भोलेनाथ
के
आशीर्वाद
से
ही
है।
सजदे
के
साथ
ही
शुरू
होता
हैं
उनका
काम
नन्ही
मुस्लिम
होने
के
सभी
नियमो
का
पालन
करती
हैं।
वह
बकायदा
पांचो
समय
का
नमाज
अदा
करती
है।
उन्होंने
बताया
की
उनका
रोज
का
दिनचर्या
बना
हुआ
हैं।
वह
अपने
बेटी
के
कालेज
जाने
के
बाद
अलसुबह
की
नमाज
अदा
करती
हैं
और
फिर
उसके
बाद
भोलेनाथ
के
सुन्दर
आकृति
उकेरने
का
काम
शुरू
कर
देती
हैं।
नन्हीं
ने
बताया
कि
सावन
के
महीने
शिवलिंग
की
मांग
ज्यादा
रहती
है
क्योंकि
लोग
घरों
में
ले
जाकर
इस
शिवलिंग
की
पूजा
करते
हैं।