उत्तराधिकारी चुनने में मायावती से आगे निकले सतीश मिश्रा, पत्नी के बाद अब बेटे को भी पकड़ाई राजनीति की राह
लखनऊ, 5 सितंबर: उत्तर प्रदेश की सियासत में अब हर रोज नए बदलाव देखने को मिल रहे हैं। कुछ दिन पहले बहुजन समाज पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष मायावती ने लखनऊ में प्रेस कॉन्फ्रेंस करके इस बात का ऐलान किया था की जब भी कोई उत्तराधिकारी चुनने का मौका आएगा तो उनका उत्तराधिकारी एक दलित ही होगा। लेकिन इस मामले में उनके बेहद करीबी और पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव सतीश चंद्र मिश्रा काफी आगे निकलते दिखाई दे रहे हैं। सतीश मिश्रा ने अपना उत्तराधिकारी चुनते हुए अपने बेटे कपिल मिश्रा को राजनीतिक मैदान में उतार दिया है। अब सवाल यह उठ रहे हैं कि क्या सतीश मिश्रा भी दूसरी पार्टियों की तरह बसपा में अपने परिवारवाद को बढ़ावा देंगे और क्या बहनजी इसे स्वीकार करेंगी।
राष्ट्रीय महासचिव सतीश मिश्रा ने 2 सितंबर को इस बात का ऐलान किया था कि उनकी पत्नी कल्पना कल्पना मिश्रा राजनीतिक पारी का आगाज करते हुए बसपा के महिला प्रबुद्ध सम्मेलनों में अपनी उपस्थिति दर्ज करा रही हैं। अपने इस घोषणा के साथ सतीश मिश्रा ने एक ट्वीट किया था जिसमें उनकी धर्मपत्नी कल्पना मिश्र महिला प्रबुद्ध सम्मेलन को संबोधित करते हुए दिखाई दे रहीं थीं। सतीश मिश्रा के इस ऐलान के बाद ही लखनऊ के सियासी गलियारे में तरह-तरह की चर्चाएं हो रही थीं।
बेटे
कपिल
मिश्रा
का
राजनीतिक
सफर
शुरू
सतीश
मिश्रा
ने
धर्मपत्नी
की
राजनीति
में
आने
के
ठीक
है
1
सप्ताह
बाद
इस
बात
का
भी
ऐलान
कर
दिया
कि
उनके
बेटे
कपिल
मिश्रा
अपना
राजनीतिक
सफर
शुरू
कर
रहे
हैं।
सतीश
मिश्रा
की
ओर
से
8
सितंबर
को
किए
गए
ट्विट
में
उनके
बेटे
कपिल
मिश्रा
एक
कार्यक्रम
को
संबोधित
करते
हुए
दिखाई
दे
रहे
हैं,
जिसमें
उन्होंने
बताया
कि
बसपा
सुप्रीमो
मायावती
उनकी
बुआ
हैं
और
सतीश
चंद्र
मिश्रा
ही
उनका
परिचय
हैं।
सपा
पर
परिवारवाद
का
आरोप
लगाते
रहे
हैं
सतीश
मिश्रा
सतीश
मिश्रा
के
इस
ऐलान
के
बाद
एक
बार
फिर
यूपी
की
सियासत
में
अटकलों
का
बाजार
गर्म
हो
गया
है
कि
समाजवादी
पार्टी
पर
परिवारवाद
हावी
होने
का
आरोप
लगाने
वाले
सतीश
मिश्रा
क्या
अब
खुद
ही
राजनीति
में
परिवारवाद
को
बढ़ावा
देने
जा
रहे
हैं
और
इसकी
शुरुआत
भी
उन्होंने
साफ
तौर
पर
कर
दी
है।
लेकिन
क्या
सतीश
मिश्रा
के
इस
कदम
का
समर्थन
उनकी
पार्टी
की
मुखिया
मायावती
करेंगी,
जो
हमेशा
से
परिवारवाद
के
खिलाफ
रही
हैं।
वहीं, लखनऊ के विद्यांत कॉलेज में अर्थशास्त्र के प्रोफेसर मनीष हिन्दवी कहते हैं कि,
'' बसपा पर सतीश मिश्रा की छाप पड़ चुकी है या यूं कह लीजीए कि बसपा पर सतीश मिश्रा हावी होते जा रहे हैं। एक तरफ तो सारे बड़े नेता पार्टी छोड़कर चले गए। उनके बाद दूसरा कोई बड़ा चेहरा नहीं है पार्टी में जो उनके खिलाफ आवाज उठाए। आने वाले दिनों में बसपा की रणनीति, नीति और कार्यक्रमों में पूरी तरह से सतीश मिश्रा की छाप दिखती नजर आएगी।''
मायावती
अपने
भाई
और
भतीजे
को
राजनीति
में
उतार
चुकी
हैं
उत्तर
प्रदेश
की
पूर्व
मुख्यमंत्री
और
बहुजन
समाज
पार्टी
(बसपा)
की
राष्ट्रीय
अध्यक्ष
मायावती
ने
यह
साफ
कर
दिया
है
कि
उनका
अगला
उत्तराधिकारी
कोई
दलित
ही
होगा।
यानी
बसपा
का
अगला
चीफ
कोई
दलित
ही
होगा।
लेकिन
सवाल
यह
है
कि
मायावती
के
बाद
उनका
उत्तराधिकारी
बनने
लायक
कौन
हैं।
सारे
नामी
चेहरे
और
विश्वासपात्र
लोग
तो
उनका
साथ
छोड़
चुके
हैं।
उनके
पास
फिलहाल
दलित
चेहरे
के
तौर
पर
कोई
ऐसा
नाम
नहीं
है
जिसे
आगे
बढ़ा
सकें।
हालांकि
वो
अपने
भाई
आनंद
कुमार
और
भतीजे
आकाश
को
भी
संगठन
में
शामिल
कर
मौका
दे
चुकी
हैं
लेकिन
वो
कुछ
करिश्मा
नहीं
दिखा
पाए।