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Good News:यूपी में प्राइवेट स्कूलों को रिफंड करनी होगी 15% फीस, कोरोना काल के लिए इलाहाबाद HC का आदेश

यूपी में निजी स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों के माता-पिता के लिए अच्छी खबर है। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने इन स्कूलों से कहा है कि कोरोना काल में जितनी फीस ली है, उसका 15% रिफंड करें।

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उत्तर प्रदेश में प्राइवेट स्कूलों को कोरोना काल में बच्चों से ली गई फीस का 15 फीसदी अभिभावकों को वापस देना होगा। यह फैसला इलाहाबाद हाई कोर्ट ने अभिभावकों की ओर से दायर जनहित याचिकाओं पर सुनवाई के बाद दिया है। यह आदेश बीते 6 जनवरी को ही जारी हो गया था, लेकिन अब जाकर सार्वजनिक हो रहा है। इस फैसले के बाद प्रदेश के निजी स्कूलों के पास दो महीने का वक्त है, जिसमें वह इस पूरी प्रक्रिया पर काम करेंगे और तय करेंगे कि यह रिफंड किस तरह से किया जाना है। बहरहाल, कोराना की मार झेल चुके माता-पिता के लिए यह एक बहुत ही सुकून भरी खबर है।

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Allahabad High Court’s decision: Corona काल में ली गई School Fee होगी माफ । वनइंडिया हिंदी
यूपी में स्कूलों को लौटानी होगी 15% फीस

यूपी में स्कूलों को लौटानी होगी 15% फीस

उत्तर प्रदेश में जिन माता-पिता के बच्चे निजी स्कूलों में पढ़ते हैं, उनके लिए एक बड़ी राहत भरी और खुशी वाली खबर है। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने राज्य के सभी निजी स्कूलों को निर्देश दिया है कि वह कोरोना की अवधि के दौरान साल 2020-21 में कुल जितनी भी फीस वसूली है, उनमें से 15 फीसदी शुल्क में छूट दें। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने यह फैसला अभिभावकों की ओर से कोरोना काल में वसूली गई फीस को नियमित करने संबंधी दायर जनहित याचिकाओं पर सुनवाई के बाद सुनाया है।

स्कूल छोड़ चुके बच्चों को भी मिलेगी रिफंड

स्कूल छोड़ चुके बच्चों को भी मिलेगी रिफंड

इलाहाबाद हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस राजेश बिंदल और जस्टिस जेजे मुनीर की बेंच ने स्कूलों को निर्देश दिया है कि 2020-21 के शैक्षणिक वर्ष में कुल जितनी फीस ली गई है, उन्हें समायोजित करने का इंतजाम करें। आदेश में यह भी कहा गया कि संस्थाओं को साल 2020-21 में ली गई फीस से उन लोगों को भी 15% रिफंड करना होगा, जो छात्र स्कूल छोड़कर जा चुके हैं। अदालत ने इस प्रक्रिया को पूरा करने (रिफंड या एडजस्टमेंट) के लिए स्कूलों को दो महीने का समय दिया है।

सुप्रीम कोर्ट के फैसले का भी दिया गया हवाला

सुप्रीम कोर्ट के फैसले का भी दिया गया हवाला

अभिभावकों की ओर से हाई कोर्ट में बताया गया था कि साल 2020-21 के दौरान प्राइवेट स्कूलों में ऑनलाइन पढ़ाई के अलावा और कोई भी सर्विस उपलब्ध नहीं करवाई गई थी। इसलिए ट्यूशन फीस से एक रुपया भी ज्यादा लेना, मुनाफाखोरी और शिक्षा का व्यावसायीकरण करने से कम नहीं है। याचिकाकर्ताओं ने अपनी दलील में जोधपुर के इंडियन स्कूल बनाम राजस्थान सरकार के मामले में सुप्रीम कोर्ट के हालिया फैसले का भी हवाला दिया था।

मुनाफाखोरी और शिक्षा के व्यावसायिकरण का विरोध

मुनाफाखोरी और शिक्षा के व्यावसायिकरण का विरोध

सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि प्राइवेट स्कूलों का बिना कोई सुविधा उपलब्ध करवाए फीस की मांग करना मुनाफाखोरी और शिक्षा का व्यावसायिकरण करना है। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने कई याचिकाओं पर सुनवाई के बाद 6 जनवरी को ही यह आदेश दिया था, जिसे सोमवार को अपलोड किया गया है। हाई कोर्ट में अभिभावकों की ओर से पेश होते हुए वकील शाश्वत आनंद ने कहा, 'फीस तो प्रतिदान की तरह है। साल 2020-21 में प्राइवेट स्कूलों की ओर से ऑनलाइन ट्यूशन के अलावा कोई भी सुविधा उपलब्ध नहीं करवाई गई। इसलिए प्राइवेट स्कूलों द्वारा ट्यूशन फीस से एक रुपए से भी ज्यादा चार्ज करना मुनाफाखोरी और शिक्षा के व्यावसायिकरण से कुछ भी कम नहीं है।'

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माता-पिता के लिए बड़ी राहत

माता-पिता के लिए बड़ी राहत

यानि अब उत्तर प्रदेश के सारे निजी स्कूलों के पास सिर्फ दो महीने का वक्त है। इस दौरान उन्हें कोविड काल में जितने दिन भी ऑनलाइन पढ़ाई हुई थी, उसमें वसूली गई फीस से 15 फीसदी की रकम का हिसाब लगाना होगा। फिर वह उसे अभिभावकों को या तो सीधे वापस कर सकते हैं या फिर आने वाले सत्र में फीस में ही एडजस्ट करने का प्रस्ताव दे सकते हैं। उन्हें हर हाल में यह प्रक्रिया दो महीने में पूरी करनी होगी।

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English summary
The Allahabad High Court has ordered the private schools of UP to return 15% of the fees collected during the Covid period to the parents, this process is to be completed in two months.
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