अपने ही बेटे को लोहे की जंजीरों में जकड़ने को मजबूर हैं बेबस मां-बाप
देवरिया। उत्तर प्रदेश के देवरिया में एक युवक को लोहे की जंजीरों में जकड़े जाने का गंभीर मामला सामने आया है। सबसे हैरानी की बात तो ये है कि ऐसा करने वाले और कोई नहीं बल्कि इसी युवक के मां-बाप हैं। लेकिन क्या करें, मां-बाप भी ऐसा करने को मजबूर हैं। असल में युवक मानसिक रोग से ग्रसित है और खुला रहने पर गांव के लोगों से मारपीट करता है जिसका खामियाजा पूरे परिवार को भुगतना पड़ता है। इसके चलते मां-बाप ने अपने ही बेटे को जंजीरों में जकड़ दिया है।
मामला देवरिया जिले सदर तहसील के देसही गांव का है जहां के रहने वाले युवक को उसके मां-बाप ने ही दो माह से जंजीरों में बांध रखा है। बताया जा रहा है कि युवक करीब 12 सालों से मानसिक रूप से बीमार है। गरीबी के कारण मां-बाप अपने बेटे का इलाज कराने में असमर्थ हैं। इस बाबत जब परिवार वालों ने सीएमओ से मदद मांगी तो देवरिया के सीएमओ मदद देने से इनकार कर दिया।
जंजीरों में जकड़े इस युवक का नाम संतोष है। बातचीत में संतोष के मां-बाप ने बताया कि पिछले 12 सालों से संतोष को ये दिक्कत है। इसके लिए उसका काफी जगह इलाज भी कराया गया। लेकिन कुछ खास फायदा ना मिलता देख और गरीबी तंगहाली के चलते अब परिजनों ने उसका इलाज भी बंद कर दिया है। संतोष के पिता पेशे के कुम्हार हैं और मिट्टी के बर्तन बनाकर बेचते हैं।
संतोष इन लोहे की जंजीरों में 24 घंटे बंधे रहकर ही अपना सभी काम करता है। ऐसे में सवाल ये उठता है कि स्वास्थ्य के लिए जागरुक करने के लिए जो स्वस्थ्य विभाग करोड़ों के विज्ञापन दे देता है, वही स्वास्थ्य विभाग एक मानसिक रोगी के इलाज के लिए उनके पास पैसे नहीं हैं।