2012 में मुलायम का तिहरा शतक, 2017 में 2 पर सिमटा
इस बार के यूपी विधानसभा चुनाव में मुलायम सिंह यादव को पूरी तरह से दरकिनार कर दिया गया है। 2012 में 300 रैलियां लेकिन इस बार सिर्फ 2 रैली
लखनऊ। उत्तर प्रदेश में छठे चरण का आज मतदान थम गया है, इस चरण में पूर्वांचल के जिलों में मतदान होना है, जिसमें गोरखपुर, आजमगढ़, मऊ, बलिया, महाराजनगर, देवरिया, कुशीनगर है। सपा के पूर्व अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव आजमगढ़ से सपा सांसद हैं। लेकिन पार्टी के भीतर विवाद के बाद मुलायम सिंह ने खुद को इस बार के चुनाव प्रचार से पूरी तरह से दूर रखा है।
सिर्फ दो रैली
मुलायम सिंह ने इस बार के चुनाव में सिर्फ दो रैलियों को संबोधित किया है, एक रैली उन्होंने अपनी छोटी बहू अपर्णा यादव के लिए लखनऊ में संबोधित की और दूसरी रैली उन्होंने अपने भाई शिवपाल यादव के लिए संबोधित की जोकि जसवंतनगर से मैदान में हैं। पांच चरणों के मतदान हो चुके हैं लेकिन मुलायम सिंह ने यादव ने 2012 के चुनाव प्रचार की तरह इस बार खुद को पूरी तरह से अलग कर लिया है।
2012 में 300 से अधिक रैलियां की थी
2012 में मुलायम सिंह यादव ने 300 से अधिक रैलियों को संबोधित किया था, लेकिन इस बार उन्होंने खुद को सिर्फ दो रैलियों में ही सीमित रखा, प्रदेश में कुल 403 सीटों पर सिर्फ दो सीटों पर मुलायम सिंह का प्रचार करना बताता है कि पार्टी के भीतर सबकुछ ठीक नहीं है। मुलायम सिंह ने 2014 के लोकसभा चुनाव में भी 18 रैलियों को संबोधित किया था, जिसमें उन्होंने प्रदेश के 18 हिस्सों में प्रचार किया था ,हालांकि उन्होंने स्वास्थ्य का हवाला देते हुए खुद को बड़े प्रचार अभियान से दूर रखा था।
2 रैली का मौका मिला, नेताजी का सौभाग्य
भाजपा के वरिष्ठ नेता हृदय नारायण दीक्षित का कहना है कि पार्टी का संरक्षक बनाए जाने के साथ मुलायम सिंह के अधिकार भी अपने आप कम हो गए, बावजूद इसके अगर उन्हें दो रैलियों को संबोधित करने का मौका मिला है तो उन्हें इसके लिए अपने सितारों का शुक्रिया अदा करना चाहिए। उन्होंने कहा कि सपा एक व्यक्ति की पार्टी है, जिसमें सिर्फ एक ही व्यक्ति का राज चलता है। कुछ इसी तरह बसपा भी एक ही नेता की पार्टी है, लेकिन भाजपा के पास कई नेता हैं जोकि प्रदेश के कई हिस्सों में अपनी पकड़ और लोकप्रियता के लिए जाने जाते हैं।
सिद्धांतों से भटक गए अखिलेश
जाने माने समाजसेवी रघुनंदन सिंह काका का कहना है कि सपा संरक्षक अब सच में निरीह और आशाविहीन हो गए हैं, पार्टी के कार्यकर्ता और पुराने नेता उन्हें लेकर चिंतित हैं। काका का मानना है कि अखिलेश यादव लोहिया के सिद्धांतों से भटक गए हैं जिन्होंने कांग्रेस के खिलाफ जीवन भर लड़ाई छेड़ी थी। ऐसा लगता है कि अखिलेश अपना रास्ता भटक गए हैं और उन्हें फिर से अपना रास्ता खोजना होगा।
विरोधी भी ले रहे हैं चुटकी
वहीं इस मामले में लोकदल के अध्यक्ष सुनील सिंह का कहना है कि यह दुर्भाग्य है कि जिस पार्टी को नेताजी ने खड़ा किया और उन्हें ही किनारे लगा दिया गया है। इससे अधिक दुर्भाग्य क्या हो सकता है कि अखिलेश यादव ने कांग्रेस के साथ हाथ मिला लिया, जिसके खिलाफ अखिलेश के पिता अपने जीवनभर लड़ते रहे। उन्होंने कहा कि सपा के राजनीतिक विरोधी भी इस बात का मजाक उड़ाने से नहीं चूकते हैं कि मुलायम ने पुत्र मोह में अपने भाई के साथ धोखा किया। राजनाथ सिंह ने अपनी रैली में कहा था कि मुलायम ने अपनी ही साइकिल पंचर कर दी है और शिवपाल ने साइकिल की चेन तोड़ दी है।