नौकर रखता था गलत नीयत, मालकिन से संबंध बनाने के लिए कर दी बच्चे की हत्या
मेरठ। मेरठ की खरखौदा थाना और क्राइम ब्रांच की टीम ने एक सप्ताह पूर्व हुए नौ साल के मासूम के अपहरण के बाद हत्याकांड का खुलासा करते हुए दो अभियुक्तों को गिरफ्तार किया है। पकड़े गए दोनों अभियुक्त कोई और नहीं बल्कि मृतक के परिजनों के नौकर ही निकले जो कि मृतक के घर में महिलाओ के प्रति आकर्षित थे और उनसे संबंध बनाना चाहते थे जिसके लिए उन्होंने मासूम के अपहरण की खौफनाक साजिश रच डाली और उसे रास्ते से उठा लिया। उसे कही अज्ञात जगह ले गए जिसके बाद उन्होंने बाकायदा मासूम के घर पर व्हाट्सऐप कॉल की। वहीं मामला उजागर होने के बाद दोनों अपहरणकर्ताओं ने खुद को फंसता देख और पकड़े जाने के डर से मासूम की गला दबाकर हत्या कर दी।
दरअसल, कस्बा खरखौदा में ही किराना व्यापारी मनोज गोयल की दुकान है, बीती 15 मार्च को वो अपने बड़े बेटे और पत्नी के साथ मेरठ आए हुए थे जबकि उनके छोटा बेटा दक्ष जो कि 4 क्लास में पढता था घर पर अकेला ही था और अपना मोबाइल फोन ठीक कराने के लिए घर से निकला था। उसे रास्ते में से ही उसके पिता की दुकान पर नौकरी करने वाले शख्स जितेंद्र ने अपने साथी अनीस के मिलकर योजनाबद्ध तरीके से किडनैप कर लिया।
जितेंद्र 7 साल से अपह्रत मासूम के पिता के यहाँ नौकरी करता था, लेकिन उसकी नियत खराब थी वो अपने मालिक के घर पर महिलाओं पर गलत नज़र रखता था और उसने महिलाओं संग संबंध बनाने के लिए उनपर दबाव बनाने हेतु मासूम दक्ष का अपहरण कर लिया और उसे क़स्बा से कुछ कि.मी दूर धंतला गाँव के जंगलो में ले गए जहाँ उन्होंने कुछ घण्टो के बाद दक्ष के ही मोबाइल से उसके घरवालों को व्हाट्सएप कॉल की ताकि उनपर दबाव बनाया जाए। किडनैप की खबर पूरे क्षेत्र में फ़ैल गई और बच्चे की ढूंढ मचने लगी, जिसके बाद थाना पर अभियोग पंजिकृत किया गया। इससे घबराकर अपहरणकर्ताओं ने दक्ष का गला दबाकर उसकी हत्या कर शव नाले में फेंक दिया।
21 मार्च को पुलिस ने शव को बरामद किया जिसका पहचान दक्ष के रूप में हुई, जिसके बाद इस सनसनी खेज वारदात के खुलासे के करीबी आधा दर्जन पुलिस टीम गठित की गई और परिवार आदि से पूछताछ और अन्य साक्ष्य जुटाकर एवं सर्विलांस की मदद से दोनों संदिग्धों को उठाया गया जिनसे जब सख्ती से पूछताछ की गई तो दोनों ने अपना जुर्म कुबूला और इस वारदात की हक़ीक़त से पर्दा उठाया। पुलिस भले ही इस घटना के खुलासे के बाद अपनी पीठ थपथपा रही है, लेकिन अगर समय रहते पुलिस मामले में गंभीरता से तफ्तीश करती तो मासूम की जान बचाई जा सकती थी।
साथ
ही
अहम
सवाल
ये
भी
कि
मृतक
के
परिजनों
ने
शुरूआती
दौर
में
ही
व्हाट्स
ऐप
कॉल
और
नौकरों
की
भूमिका
को
संदिग्ध
मानते
हुए
पुलिस
को
अवगत
क्यों
नहीं
कराया।
ये
तमाम
सवाल
जिनका
जवाब
नहीं
मिला
है।
बहरहाल
पुलिस
दोनों
आरोपियों
को
जेल
भेजने
का
तैयारी
में
जुटी
है
।
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