विपक्ष के लिए बंजर बने UP को BJP ने कैसे बनाया राजनीति की नर्सरी
लखनऊ, 18 अगस्त: उत्तर प्रदेश में कुछ दिनों पहले बीजेपी में एक अहम बदलाव हुआ था। बीजेपी के संगठन मंत्री सुनील बंसल को केंद्र में राष्ट्रीय महामंत्री बनाकर उन्हें कुछ राज्यों का प्रभार भी पकड़ा दिया गया। राजनीतिक विश्लेषकों की माने तो बीजेपी में हुआ यह बदलाव नया नहीं है। इससे पहले कई नेता यूपी आए और काम किए और उसका इनाम लेकर अच्छी जगहों पर चले गए। दूसरे तौर पर यूं कहें तो ऐसा कहा जाता है कि यूपी राजनीतिक रूप से एक उर्वरा भूमि है और जो नेता यहां राजनीति का ककहरा सीख लेता है उसे देश में और कहीं भी किसी तरह की दिक्कत नहीं आती है। इसका उदारहण अमित शाह से लेकर सुनील बसंल तक मौजूद हैं। हालांकि एक ओर जहां बीजेपी यूपी को राजनीतिक नर्सरी बनाकर इसका भरपूर लाभ उठा रही है वहीं विपक्ष के लिए यूपी राजनीतिक तौर पर बंजर ही साबित हो रहा है।
अमित शाह से लेकर बंसल तक कई नेता निकले
दरअसल राजनीतिक गलियारों में यह एक पुरानी कहावत है कि नई दिल्ली का रास्ता उत्तर प्रदेश से होकर जाता है। भाजपा के कई नेता प्रभारी के रूप में उत्तर प्रदेश आए और बाद में पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष बने। यूं कहें कि अमित शाह से लेकर सुनील बंसल तक कई भाजपा नेता न केवल पार्टी के लिए परिणाम देने में सफल रहे हैं, बल्कि यूपी में भी बीजेपी की जड़ें जमाने का काम किया। एक तरह से यूपी की राजनीतिक नर्सरी से अपने अनुभव बटोरकर आज दिल्ली में अपना परचम लहरा रहे हैं।
अमित शाह 2013 में बने थे यूपी के प्रभारी
इसी तरह, 2013 में बीजेपी के प्रभारी के रूप में यूपी आए अमित शाह ने न केवल राजनीतिक बारिकियों को सीखा, बल्कि 2014 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी को रिकॉर्ड जीत दिलाई। बीजेपी ने 71 सीटें जीती थीं, जबकि दो सीटें उसके सहयोगी अपना दल ने हासिल की थीं। इस प्रदर्शन के बाद ही मीडिया ने शाह को भाजपा का 'चाणक्य' कहना शुरू कर दिया। शाह की राजनीतिक यात्रा ने गति पकड़ी और उन्हें राजनाथ सिंह की जगह पार्टी का राष्ट्रीय अध्यक्ष नियुक्त किया गया, जो केंद्रीय गृह मंत्री बने। राजनाथ भी यूपी के हैं। 2019 के संसदीय चुनावों के बाद, शाह फिर से राजनाथ की जगह केंद्रीय गृह मंत्री बने, जिन्होंने रक्षा मंत्रालय का कार्यभार संभाला।
ओम माथुर और जेपी नड्डा ने भी यूपी में काम किया
शाह के बाद, गुजरात के तत्कालीन भाजपा प्रभारी ओम माथुर 2017 के विधानसभा चुनाव से पहले यूपी आए। विधानसभा चुनाव में भाजपा की सफलता के बाद माथुर को संसदीय सदन समिति का अध्यक्ष नियुक्त किया गया। बुधवार को उन्हें भाजपा की सर्व महत्वपूर्ण केंद्रीय चुनाव समिति का सदस्य नियुक्त किया गया। 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले माथुर को जेपी नड्डा से यूपी प्रभारी बनाया गया था, जिसमें भाजपा ने 64 सीटों पर अच्छा प्रदर्शन किया था। नड्डा को राष्ट्रीय भाजपा अध्यक्ष नियुक्त किया गया था, जिस पद पर वे अभी भी कायम हैं। नड्डा की जगह केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान को यूपी चुनाव प्रभारी बनाया गया है।
सुनील बंसल ने सीखा राजनीति का दांव पेंच
इन नेताओं के अलावा, सुनील बंसल, जो हाल तक यूपी बीजेपी के संगठन सचिव थे। वह 2014 के लोकसभा चुनावों में शाह की सहायता के लिए सह-चुनाव प्रभारी के रूप में यूपी आए थे। चुनाव में बीजेपी की जीत के तुरंत बाद ही 2014 में बंसल को यूपी बीजेपी के संगठन मंत्री के रूप में पदोन्नत कर दिया गया था। तब से बीजेपी के साथ-साथ बंसल के कद में भी बढ़ोत्तरी होती गई। बंसल ने पार्टी कार्यकर्ताओं के बीच ओबीसी और दलितों की भागीदारी को बढ़ाकर एक संगठन के रूप में भाजपा के साथ जोड़ने का काम किया।
बंसल ने दिखाया अपना संगठनात्मक कौशल
बंसल यूपी में कई नेताओं को भी आगे लाने में सफल हुए थे। उनकी उपस्थिति में भाजपा को 2017 में विधानसभा चुनाव, 2019 में लोकसभा चुनाव, पंचायत चुनाव, स्थानीय निकाय चुनाव और 2022 में फिर से यूपी विधानसभा चुनाव जीतने में मदद की। माना जाता है कि अपने संगठनात्मक कौशल के लिए जाने जाने वाले बंसल और उनकी टीम ने केंद्र और राज्य सरकारों में विभिन्न बोर्डों, निगमों में 19,000 से अधिक पार्टी कार्यकर्ताओं को समायोजित करने का काम किया।
इन प्रमुख नेताओं ने भी किया यूपी में काम
बंसल के अलावा, सह-संगठन सचिव के रूप में यूपी में कार्यरत करमवीर सिंह को भी धर्मपाल की जगह झारखंड का संगठन सचिव बनाया गया है। कर्मवीर भी यूपी में काम कर चुके हैं। बंसल और करमवीर से पहले आरएसएस नेता रत्नाकर, जो वाराणसी क्षेत्र के संगठन मंत्री के रूप में काम कर रहे थे, उनको गुजरात में संगठन मंत्री के रूप में पदोन्नत किया गया है। इसी तरह पश्चिम यूपी के संगठन सचिव के पद पर कार्यरत चंद्रशेखर को राजस्थान का संगठन मंत्री बनाया गया। विपक्षी दलों के लिए बंजर भूमि साबि हुई यूपी बीजेपी के लिए उपजाऊ जमीन साबित हुई है।
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