बनारस में जब भी भगवान को लगती हैं ठंड तो ओढ़ लेते हैं रजाई और कंबल
उत्तर प्रदेश के वाराणसी में भगवान को भी कंबल और रजाई के जरिए ठंड से बचाया जा रहा है। भगवान को ठंड से बचाने के लिए भक्तों की लाइन लगी हुई है।
वाराणसी।
दो
दिनों
से
पूर्वांचल
में
ठंडी
ने
अपना
रौद्र
रूप
दिखाना
शुरू
कर
दिया
है।
इसका
अंदाजा
आप
इसी
से
लगा
सकते
हैं
कि
आम
आदमी
के
साथ
अब
भगवान
को
भी
कंबल
और
रजाई
का
सहारा
लेना
पड़
रहा
हैं।
ये
सुन
कर
आपको
आश्चर्य
जरूर
हुआ
होगा
लेकिन
ऐसा
उत्तर
प्रदेश
स्थित
धर्म
नगरी
काशी
में
हुआ
है।
पहनाया गया कंबल-शॉल
पूर्वांचल को पिछले दो दिनों से शीतलहर ने जकड़ कर रखा है, जिसके जद में धर्म नगरी वाराणसी भी है। अचानक से आई इस शीत लहर ने लोगो को कपकपाने पर मजबूर कर दिया है। ऐसे में धर्म नगरी वाराणसी में लोग जहां अपने लिए गर्म कपडे खरीद और पहन रहे है तो वहीं भगवान के लिए भी गर्म कपड़े की खरीदारी हो रही है और उन्हें कंबल, शॉल पहनाया जा रहा है।
भक्त लगा रहे हैं लाइन
फिर वो भगवान गणेश हो या बाबा साईं। भक्तों की लाइन अपने भगवान को गर्म कपड़े चढ़ाने के लिए लगी हुई हैं। वाराणसी की रहने वाली पायल और शान्ति देवी का कहना हैं कि जिस तरह भगवान भक्तों का ख्याल रखते है वैसे ही काशी में भगवान का ख्याल रखा जाता है।
ऐसा नहीं हुआ पहली बार
ऐसा नहीं की ये पहली बार हो रहा है बल्कि हर वर्ष ठंड के मौसम में जब शीत लहर की शुरआत होती है तो यहाँ के मंदिरों में गर्म कपड़े भगवान् को पहनाये जाते है। वाराणसी में स्थित प्रसिद्ध चिंतामणि गणेश मंदिर के पुजारी सुब्बा राव शास्त्री का कहना है कि काशी में मान्यता है कि जब शीतलहर शुरू होती है तो अपने से पहले भगवान को गर्म कपड़े चढ़ाए जाते है।
हर साल होती है कवायद
लोगों का मानना है कि जब इंसान को ठंड लग सकती है तो जीवन देने वाले भगवान को क्यों नहीं। ये आस्था और विश्वास की डोर ही है जो भगवान और इंसान के बीच बंधी हुई हैं। तभी तो पत्थर में बसे भगवान को ठंड से बचाने के लिए ये सारी कवायद हर साल होती है।
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