मैनपुरी, रामपुर सीट हैं सपा का गढ़, मुलायम सिंह के बाद क्या दूसरी पार्टी के लिए जीतना होगा आसान,जानें इतिहास
By Election In Rampur and Mainpuri: चुनाव आयोग ने शनिवार को उत्तर प्रदेश की खाली पड़ी दो अहम सीटों पर होने वाले उपचुनाव की तारीखों का ऐलान कर दिया है। ये सीट मैनपुरी की लोकसभा सीट और दूसरी रामपुर विधानसभा सीट है। इन सीटों पर 5 दिसंबर को उपचुनाव के लिए वोटिंग होगी और 8 दिसंबर को परिणाम घोषित किया जाएगा। यूपी की दोनों ही ये सीटें समाजवादी पार्टी का गढ़ रही है। मुलायम सिंह के निधन और आजम खान की विधायकी रद्द होने के बाद इन सीटों पर सपा से ये सीट हासिल कर पाना प्रदेश की सत्ताधारी पार्टी भाजपा या अन्य किसी पार्टी के लिए क्या आसान होगा?

जानें क्यों हो रहे इन सीटों पर उपचुनाव
यूपी की मैनपुरी लोकसभा सीट जहां समाजवादी पार्टी के संस्थापक और पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव के निधन के बाद खाली हुई है वहीं रामपुर विधानसभा सीट मोहम्मद आजम खान को भड़काऊ भाषण देने के मामले दोषी पाए जाने के बाद उनकी विधायकी रद्द होने के कारण खाली हुई है जहां अब उपचुनाव होगा।
मैनपुरी लोकसभा सीट से सपा की तीन पीढ़ियां बनी सांसद
बात अगर मुलायम सिंह यादव के जाने के बाद खाली हुई रामपुर लोकसभा सीट की करें तो ये सीट समाजवादी पार्टी का गढ़ रही है। मैनपुरी सीट मुलायम सिंह यादव की कर्मभूमि रही है। ये वो सीट है जहां से नेताजी ही नहीं सैफई परिवार की तीन पीढ़ियां इस सीट के माध्यम से संसद में पहुंची। नेता जी ने अपने दो अजीजों के लिए अपनी सीट छोड़ी थी और उन्हें इसी सीट से जीत दिलवा कर संसद पहुंचाया। इनमें एक "नेता जी" के भतीजे धमेंद्र यादव और दूसरे उनके पोते तेजप्रताप यादव थे।
मुलायम सिंह यादव की 1996 में जीत के बाद मैनपुरी बना सपा का अभेद किला
मुलायम सिंह यादव 1996 में पहली बार मैनपुरी सीट से जीत हासिल कर सांसद बने थे जिसके बाद ये सीट सपा के लिए कभी ना ढ़हने वाला चुनावी किला बन गया सपा ने इस सीट पर 1996 से जो जीत का सिलसिला शुरू हुआ वो अनवरत जारी रहा। मुलायम सिंह यावद को मैनपुरी के लोगों पर इतना भरोसा था कि उन्होंने अपने परिवार की नई पीढ़ी के लिए इस सीट को ही चुना और उनके विश्वास की हमेशा जीत हुई। "नेता जी" के निर्णय को पत्थर की लकीर मानकर मैनपुरी की जनता ने सदा उनके फैसले को सिर आंखों पर रखा और सैफई परिवार के सदस्यों को जिता कर संसद पहुंचा कर उनकी राजनीति में पैर जमाने में अहम भूमिका निभाई।
योगी लहर जब जीत कन्फर्म करने के लिए अखिलेश यादव ने चुनी ये सीट
इतना ही नहीं मुलायम सिंह यादव के परिवार की बेटी मुलाय सिंह की भतीजी संध्या यादव ने भी मैनपुरी से 2015 में जिला पंचायत सदस्य चुनाव लड़ी और जिला पंचायत अध्यक्ष बनीृं। इसके अलावा 2022 में अपनी जीत कन्फर्म करने के लिए उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने अपने पिता की कर्मभूमि मैनपुरी सीट पर ही विश्वास किया और इसे चुनाव के लिए चुका और सपा की जिताऊ सीट से विधानसभा चुनाव 2022 लड़े और जीत हासिल की।
रामपुर विधानसभा सीट से आजम खान दस बार विधायक रहे
बात अगर यूपी के रामपुर सीट की जाए तो ये सीट आजम खान का सियासी किला है जिसे कोई ढहा नहीं पाया है। 1980 में पहली बार जनता दल सेक्लुअर से रामपुर सदर सीटी से चुनाव लड़े और विधायक बने। जबकि इस सीट पर कांग्रेस का कब्जा हुआ करता था। हालांकि 1996 में आजम खान को एक बार बीच में कांग्रेस ने हराया था। इसके अलावा आजम खान इस सीट से दस बार विधायक बने।
भाजपा और योगी लहर में भी नहीं रुका आजम खान की जीत का सिलसिला
आजम खान ने रामपुर सीट तब भी जीती थी जब 2017 और 2022 में पूरे यूपी में भाजपा की लहर थी। रामपुर सीट पर 55 फीसदी मुसलमान वोटर है जो सपा यानी आजम खान के वोटर माने जाते हैं। हालांकि इस बार मोहम्मद आजम खान की विधायकी रद्द होने के बाद हो रहे उपचुनाव में भाजपा इस सीटी पर कब्जा जमाने के लिए घात लगाए बैठी है अब ये देखना दिलचस्प होगा कि आजम खान को हर बार जीताने वाले रामपुर के वोटरों का प्यार क्या किसी और पार्टी को मिलेगा या नहीं?
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