Uttar Pradesh: Kashi-Tamil Samagam के बहाने दक्षिण के राज्यों में दखल बढ़ाने की कोशिश में BJP
Kashi-Tamil Samagam in Varanasi: उत्तर प्रदेश में हाल ही में सम्पन्न हुए विधानसभा चुनाव में शानदार जीत हासिल करने वाली Bhartiya Janta Party ने मिशन 2024 यानी अगले लोकसभा चुनाव की रणनीति पर काम करने की कवायद शुरू कर दी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का काशी-तमिल-समागम में आना और वाराणसी में तमिल भेषभूषा में नजर आना सबकुछ सोची समझी राजनीति और रणनीति का ही हिस्सा था। दरसअल राजनीतिक विश्लेषकों की माने तो पीएम मोदी (PM Narendra Modi) और बीजेपी काशी-तमिल समागम के बहाने दक्षिण के राज्यों में अपनी दखल बढ़ाना चाहते हैं और इसके लिए मोदी ने धार्मिक एजेंडे को पकड़कर काशी से दक्षिण को साधने की कवायद शुरू कर दी है।
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धार्मिक रूप से परिपक्व दक्षिण के लोगों को लुभाने की कोशिश
देश में होने वाले अगले लोकसभा चुनाव से पहले ही बीजेपी ने अपनी बिसात बिछानी शुरू कर दी है। बीजेपी को करीब से जानने वालों का कहना है कि मोदी और बीजेपी खास रणनीति के तहत ही आगे बढ़ रहे हैं। काशी में मोदी का तमिल अवतार में आना और अपने भाषणों में शिव के जरिए काशी और तमिलानाडु को जोड़ने की कवायद उसी की कवायद का ही हिस्सा है। वरिष्ठ पत्रकार राजीव श्रीवास्तव कहते हैं कि, '' देखिए बीजेपी दक्षिण के लोगों को साधने के लिए खास रणनीति पर काम कर रही है। बीजेपी को अगले चुनाव में हिन्दी बेल्ट के कुछ राज्यों में सीटों का नुकसान भी हो सकता है। इसी बात को भांपते हुए बीजेपी इस नुकसान की भरपाई दक्षिण से करना चाहती है। दक्षिण के लोगों को धर्म से कनेक्ट करना ज्यादा आसान है क्योंकि वहां के लोग इस मामले में ज्यादा परिपक्व हैं।''
दक्षिण के राज्यों में जनाधार बढ़ाने की कोशिश
बीजेपी दक्षिण के राज्यों में अपना जनाधार बढ़ाना चाहती है। बीजेपी के रणनीतिकारों को लगता है कि दक्षिण के राज्यों से अगर कुछ सीटें आती हैं तो ये बिहार-एमपी और अन्य राज्यों में होने वाले संभावित नुकसान की भरपाई कर सकते हैं। बीजेपी दक्षिण के राज्यों में पहले से ही कमजोर है। तेलंगाना हो या आंध्र प्रदेश हो वहां बीजेपी के पास सीटें नहीं है। राजीव श्रीवास्तव कहते हैं, " देखिए आप पीएम मोदी के भाषण पर गौर करिए। जिस तरह काशी में वो तमिल पहनावे में नजर आए उसके पीछे भी एक संदेश था। उनके भाषणों में काशी और तमिलनाडु का जिक्र बार बार आना इस बात का संकेत है कि बीजेपी किस रणनीति पर आगे बढ़ रही है।"
हिन्दी बेल्ट में सीटों के नुकसान की भरपाई दक्षिण से करने की रणनीति
बीजेपी के रणनीतिकारों की माने तो आने वाले लोकसभा चुनाव में बिहार-एमपी समेत कुछ राज्यों में सीटों का नुकसान हो सकता है। पश्चिम बंगाल में भी पहले जितनी सीटें लाना बीजेपी के लिए चुनौती ही होगी। इस नुकसान की भरपाई बीजेपी कहां से करेगी। बीजेपी दक्षिण में अपना पांव पसारना चाहती है। इसकी अहमियत का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि बीजेपी ने यूपी के थिंक टैंक कहे जाने वाले सुनील बंसल को तेलंगाना और आंध्र की जिम्मेदारी सौंपी है। बीजेपी दक्षिण के कई राज्यों में अपनी सीटें बढ़ाने को लेकर बेताब है। इसीलिए कुछ महीने पहले हैदराबाद में राष्ट्रीय कार्यसमिति की आयोजन किया गया था।
दक्षिण के लोग धर्म को लेकर उत्तर भारतीयों की अपेक्षा ज्यादा जागरुक
बीजेपी और मोदी की रणनीति धार्मिक एजेंडे को ही लेकर आगे बढ़ने की है। खासतोर से आरएसएस जिस सांस्कृतिक राष्ट्रवाद की बात करता है उसी के अनुरूप बीजेपी आगे बढ़ रही है। राजीव श्रीवास्तव कहते हैं कि पूरब की बजाए दक्षिण के लोग धर्म को लेकर ज्यादा डिवोटेड होते हैं। वो पूरबियों की अपेक्षा धार्मिक रूप से ज्यादा परिपक्व होते हैं और धर्म में आस्था भी रखते है। इसीलिए बीजेपी धार्मिक एजेंडे को ही केंद्र में रखकर आगे बढ़ना चाहती है। काशी-तमिल समागम का यही उद्देश्य भी है कि धार्मिक एजेंडे के माध्यम से ही दक्षिण के लोगों को कनेक्ट किया जाए।
मिशन 2024 से पहले बीजेपी अपना रही खास रणनीति
दरअसल बीजेपी मिशन 2024 को जीतने के लिए अभी से काम कर रही है। यूपी में मिशन 75 प्लस नारे के साथ आगे बढ़ रही है । बीजेपी की रणनीति को लेकर वरिष्ठ पत्रकार राघवेंद्र प्रताप सिंह कहते हैं कि बीजेपी काशी से दक्षिण को साधना चाहती है। बीजेपी को पता है कि काशी को केंद्र में रखकर दक्षिण के लोगों को आसानी से पार्टी के एजेंडे से कनेक्ट किया जा सकता है। इसीलिए पीएम मोदी के इस दौरे के कई सियासी मायने हैं। खासतौर से मोदी ने जिस तरह तमिल वेषभूषा में नजर आए उसके बाद आप बीजेपी की रणनीति का अंदाजा आसानी से लगा सकते हैं।