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यूपी सहकारिता क्षेत्र में अब पूरी तरह भाजपा का कब्जा, जानिए RSS को किस तरह मिलेगा फायदा

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लखनऊ, 16 जून: उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की रणनीति ने सहकारिता की सियासत में मुलायम परिवार के तीन दशक से चल रहे दबदबे को ध्वस्त कर दिया है। गत मंगलवार को-ऑपरेटिव फेडरेशन (पीसीएफ) के सभापति पद से शिवपाल यादव के बेटे आदित्य यादव बेदखल हो गए हैं। अखिलेश यादव तथा शिवपाल यादव के सियासी दांव पेंच धरे के धरे रह गए। अब आदित्य यादव की जगह वाल्मीकि त्रिपाठी पीसीएफ के सभापति और आरएसएस कैडर के रमाशंकर जायसवाल उपसभापति निर्विरोध निर्वाचित हो गए हैं। यूपी में यह पहला मौका है जब भाजपा सहकारिता की सभी शीर्ष संस्था पर काबिज हुई है।

बीजेपी

मुलायम परिवार की घट रही ताकत

उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने जब से समाजवादी पार्टी की कमान संभाली है, पार्टी की ताकत लगातार घट रही है। यूपी की सियासत में मुलायम सिंह यादव के कुनबे का रूतबा लगातार कम हो रहा है। यूपी के सियासी आंकड़े इसका सबूत हैं। वर्ष 2017 में अखिलेश यादव के बेदखल होने के बाद बीते विधानसभा चुनावों में भी सपा सत्ता के करीब नहीं पहुंच सकी। इन चुनावों में सपा के विधायक जरुर बढ़े, लेकिन राज्यसभा और विधान परिषद में सपा के सदस्य घट गए।

बीजेपी और आरएसएस का कब्जा

पीसीएफ के सभापति बने वाल्मीकि त्रिपाठी बीजेपी के सहकारिता प्रकोष्ठ से जुड़े रहे और उपसभापति के तौर पर जीते रमाशंकर जायसवाल आरएसएस के अनुषांगिक संगठन सहकार भारती से जुड़े हैं। अब सभापति और उपसभापति के पद पर भाजपा ने संघ से जुड़े हुए दोनों नेताओं को बैठाकर भविष्य के लिए अपनी सियासी जड़ें मजबूती से जमाने की आधारशिला रख दी है. यूपी में 7500 सहकारी समितियां हैं, जिनमें लगभग एक करोड़ सदस्य संख्या है. भाजपा ने इन समितियों पर अपना कब्जा जमा लिया है. पीसीएफ की प्रबंध समिति में सभी सदस्य भाजपा और आरएसएस से जुड़े ही बनाए हैं.

1977 में मुलायम ने किया था सहकारिता में कब्जा

सहकारिता की राजनीति में सक्रिय रहे सपा नेताओं के अनुसार, सपा के संस्थापक मुलायम सिंह यादव जब वर्ष 1977 में पहली बार सहकारिता मंत्री बने तो उन्होंने सहकारिता क्षेत्र में अपना दबदबा स्थापित किया. मुलायम सिंह यादव जब भी मुख्यमंत्री रहे, तब उन्होंने इस विभाग को या तो अपने पास रखा या फिर अपने छोटे भाई शिवपाल यादव को सौंपा। सपा ने अपनी राजनीति में सहकारिता का भरपूर इस्तेमाल किया। सहकारिता क्षेत्र की संस्थाओं पर मुलायम परिवार का ही कब्जा रहा है।

10 साल से शिवपाल के बेटे आदित्य का था राज

शिवपाल यादव के बेटे आदित्य यादव बीते 10 सालों से पीसीएफ के सभापति की गद्दी पर बैठे हुए थे। इस बार उन्होंने प्रबंध समिति सदस्य के लिए नामांकन नहीं किया। क्योंकि उन्हें अखिलेश यादव का साथ नहीं मिला। ऐसे में वह बिना लड़े ही चुनाव मैदान से बाहर आ गए। इस तरह से भाजपा ने पीसीएफ की कुर्सी पर काबिज होकर सपा के किले को पूरी तरह सफाया कर दिया। मुख्यमंत्री के इस चरखा दांव की तोड़ सपा मुखिया अखिलेश यादव खोज नहीं सके और अब सहकारिता की हर शीर्ष संस्थाओं से सपा बाहर हो गई है।

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English summary
BJP now completely occupied in UP cooperative sector, know how RSS will benefit
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