मोनिका केस: फ्रीडम फाइटर्स के नातिन को भी कोटे से सरकारी नौकरी
इलाहाबाद। बेटी और बेटों के बीच फर्क खत्म करने और समानता लाने की दिशा में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक बड़ा फैसला सुनाया है। कोर्ट ने स्वतंत्रता संग्राम सेनानी की बेटी की पुत्री को स्वतंत्रता सेनानी कोटे का लाभ देने का आदेश दिया है। हाइकोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के उस आदेश का हवाला दिया है, जिसमें सर्वोच्च न्यायालय ने नातिन को भी स्वतंत्रता संग्राम सेनानी आश्रित करार दिया था । इस आदेश के बाद यह साफ हो गया है की इस के कोटे का लाभ अब बेटी की पुत्री को भी दिया जाना तय है। फ़िलहाल इलाहाबाद हाईकोर्ट ने यह फैसला गाजीपुर निवासी मोनिका की याचिका पर दिया है। मोनिका ने 72825 सहायक अध्यापक की भर्ती में खुद को स्वतंत्रता सेनानी कोटे का लाभ न दिए जाने पर कोर्ट में याचिका दाखिल की थी।
क्या
है
मामला
मोनिका
सिंह,
स्वतंत्रता
संग्राम
सेनानी
स्व.
हरदेव
सिंह
की
बेटी
पुष्पा
देवी
की
बेटी
है।
मोनिका
ने
टीचर
बनने
की
पूर्ण
योग्यता
के
साथ
72825
सहायक
अध्यापक
भर्ती
में
स्वतंत्रता
संग्राम
सेनानी
कोटे
के
अंतर्गत
40
जिलों
में
आवेदन
किया
था।
आजमगढ़
में
मेरिट
के
अनुसार
उसको
नौकरी
मिलनी
थी.लेकिन
डायट
प्रधानाचार्य
ने
मोनिका
को
स्वतंत्रता
संग्राम
सेनानी
आश्रित
नहीं
माना।
जिसके
बाद
मोनिका
ने
खुद
को
स्वतंत्रता
सेनानी
कोटे
का
लाभ
न
दिए
जाने
के
लिए
याचिका
दाखिल
की
थी।
क्या
आया
आदेश
मामले
की
सुनवाई
न्यायमूर्ति
पीकेएस
बघेल
ने
शुरू
की
तो
वकील
की
ओर
से
ईशा
त्यागी
केस
का
हवाला
दिया
गया
जिसमें
शादीशुदा
बेटी
की
बेटी
को
कोटे
का
लाभ
वाला
आदेश
आया
था।
ईशा
त्यागी
केस
में
नातिन
को
भी
सेनानी
आश्रित
करार
दिया
गया
है।
हाइकोर्ट
ने
भी
सुप्रीम
कोर्ट
के
मेसर्स
ईस्ट
इंडिया
कामर्शियल
कंपनी
लिमिटेड
केस
के
फैसले
का
जिक्र
करते
हुए
कहा
कि
हाईकोर्ट
का
आदेश
भी
प्रदेश
की
अदालतों,
अधिकरणों
व
प्राधिकरणों
पर
बाध्यकारी
है।
ऐसे
में
बेसिक
शिक्षा
अधिकारी
6
सप्ताह
में
ईशा
त्यागी
केस
के
फैसले
के
तहत
मोनिका
मामले
में
कोटे
का
लाभ
दे।
मोनिका
मामले
में
नियमानुसार
नियुक्ति
की
जाये
।