राहुल को बाइक की सवारी कराने वाले BJP विधायक धीरेंद्र सिंह ने क्यों छोड़ा था 'हाथ' का साथ
राहुल को बाइक की सवारी कराने वाले BJP विधायक धीरेंद्र सिंह ने क्यों छोड़ा 'हाथ' का साथ
नई दिल्ली, 21 सितंबर। उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव 2022 की तैयारियां जोरों पर है। राजनीतिक दलों के बीच बयानबाजी और आरोप-प्रत्यारोप का दौर जारी है। पार्टियां वोटर्स को लुभाने में जुटी है। विधायकों, पार्टियों के कामों का लेखा-जोखा किया जा रहे हैं। चुनावी माहौल में हमने गौतमबुद्धनगर के जेवर विधानसभा क्षेत्र का हाल जानने की कोशिश की। जेवर विधानसभा क्षेत्र के लोगों से बात की और वहां के विधायक धीरेंद्र सिंह के कामों का हाल जाना। फोन पर जब हमने लोगों ने बात की तो उनमें से अधिकांश लोग अपने वर्तमान भाजपा विधायक से खुश दिखें। अधिकांश लोगों ने उन्हें 10 में से 9 नंबर तक दिए, हालांकि बायर्स की नाराजगी दिखी।
जेवर
विधानसभा
क्षेत्र
की
चर्चा
लखनऊ
से
दिल्ली
तक
होती
है।
इसी
क्षेत्र
में
जेवर
इंटरनेशनल
एयरपोर्ट
का
निर्माण
होना
है
और
बहुचर्चित
फिल्म
सिटी
बनना
है।
ऐसे
में
जेवर
विधानसभा
क्षेत्र
राजनीतिक
दृष्टकोण
से
काफी
अहम
माना
जाता
रहा
है।
अगर
विधासक
धीरेंद्र
सिंह
की
बात
करें
तो
उनके
नाम
के
साथ
साल
2011
का
भट्टा
पारसौल
भूमि
अधिग्रहण
विवाद
जुड़ा
है,
जब
जमीन
अधिग्रहण
के
लिए
जब
किसानों
और
पुलिस
के
बीच
हिंसक
झड़प
हुई।
इस
विवाद
के
बीच
जो
एक
चेहरा
तेजी
से
चमका
वो
किसी
और
का
नहीं
बल्कि
धीरेंद्र
सिंह
का
था।
राहुल
गांधी
को
बाइक
पर
बिठाकर
धीरेंद्र
सिंह
भट्टा
परसौल
लेकर
पहुंचे
थ।
राजनीति
में
ये
उनका
टर्निंग
प्वाइंट
रहा।
कांग्रेस
पार्टी
ने
भी
उन्हें
इसका
इनाम
दिया
और
कांग्रेस
की
टिकट
पर
उन्होंने
साल
2011
का
विधानसभा
चुनाव
लड़ा।
हालांकि
वो
ये
चुनाव
हार
गए,
लेकिन
धीरेंद्र
सिंह
राजनीति
के
उगते
सितारे
बन
चुके
थे।
राजनीतिक
पार्टियों
की
नजरें
उनपर
टिकी
थी।
साल
2017
में
उन्होंने
चुनाव
से
ठीक
कांग्रेस
का
दामन
छोड़कर
बीजेपी
का
हाथ
थाम
लिया।
उन्होंने
अपने
इस्तीफे
पर
कहा
कि
चापलूसी
पसंद
नेताओं
द्वारा
प्रदेश
कांग्रेस
कमिटी
को
संचालित
किया
जाना
उन्हें
गंवारा
नहीं,
पार्टी
के
फैसलों
के
चलते
उन्हें
जनता
के
बीच
जाने
से
परेशानी
होती
है।
उन्होंने
बताया
कि
जिस
तरह
से
यूपी
विधानसभा
चुनाव
के
दौरान
पार्टी
से
गठबंधन
किया
उसकी
वजह
से
उनका
मन
पार्टी
से
उठ
गया।
धीरेंद्र सिंह ने कहा कि साल 2017 विधानसभा चुनावों से पहले कांग्रेस ने नारा दिया 27 साल यूपी बेहाल और जब चुनाव आया तो अपना स्लोगन बदल यूपी को साथ पसंद है कि नीति अपना ली, जो उन्हें मंजूर नहीं था। बीजेपी में अपने भविष्य को देखते हुए उन्हें भारतीय जनता पार्टी का दामन था। पार्टी ने भी उनकी लोकप्रियता समझी और जेवर ने उन्हें बीजेपी का टिकट मिला और उन्होंने जीत हासिल की। धीरेंद्र सिंह की पॉपुलैरिटी और जनता के बीच उनकी पैठ को देखते हुए इस बार भी उनका टिकट तय माना जा रहा है। जेवर की जनता के बीच उनकी लोकप्रियता को देखते हुए उनक जीत की संभावना भी अधिक है।
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