सीएम योगी के हाथों सम्मानित हुई वृद्धा लड़ रही है शौचालय पाने की जंग
कानपुर। 2 अक्टूबर 2017 को स्वच्छता अभियान को सफल बनाने में योगदान देने वालों को उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने लखनऊ बुलाकर सम्मानित कर उनका प्रोत्साहन किया था। उनमें से कानपुर की तहसील व थाना सिकन्दरा के रोहिनी गांव की 72 साल की विधवा वृद्धा रामकली भी है, जो पैर से विकलांग है। पति सुखदेव प्रसाद की मौत के बाद बेटे-बहू व दो नाती के साथ गुजर-बसर करती है। दिव्यांग रामकली ने अपने गांव को स्वच्छता अभियान के तहत ओडीएफ मुक्त बनाने के लिए एक डंडे का सहारा लिया और खेतों की तरफ शौच को जाने वाले ग्रामीणों को रोक कर स्वच्छता अभियान में महत्वपूर्ण भागीदारी निभाई। उन्हें लखनऊ में सहायता राशि व प्रमाण पत्र देकर सम्मानित किया गया। वही वृद्धा आज खुद के घर में शौचालय को लेकर बड़ी जंग लड़ रही है। तहसील से लेकर जिले के आला अधिकारियों से शिकायत की लेकिन उसे शौचालय नहीं मिल रहा है। रामकली का आरोप है कि जब ग्राम प्रधान कैलाश कटियार से कहा तो उन्होंने शौचालय की जगह पर चकरोड व श्रमदान की बात कहकर टरका दिया और शौचालय न बनवाए जाने का अल्टीमेटम दे डाला।
गांंव को शौचमुक्त करने में रामकली का योगदान
रामकली कुछ वर्ष पहले गिरने के चलते कूल्हे व पैर में चोट आने से पैरों से चलने में असमर्थ हो गयी, लेकिन स्वच्छता के प्रति जागी अलख उन्हें प्रेरणा दे गई और वह एक लाठी के सहारे गांव की कुछ अन्य महिलाएं भोर पहर 4 बजे से सुबह 8 बजे तक गांव के किनारे बैठने लगी और खेतों की तरफ शौच के लिए जाने वाले लोगो को रोकने लगी। खुले में शौच जाने से मना करते हुए घर में शौचालय बनवाने के लिए प्रेरित करने लगी। हलांकि उनका कहना है कि गांव के कुछ लोग खिल्ली उड़ाकर वापस लौट जाते थे लेकिन उनकी मेहनत रंग लाई और आज रोहिनी गांव लगभग ओडीएफ मुक्त बन गया है। इसी प्रकार उनकी टोली ने अन्य गांवों में भी जाकर खुले में शौच जाने से लोगों को रोक दिया। रामकली कहती है कि इस कार्य मे बहुत अड़चनें आयी लेकिन अंततः लोगो के समझ में आ गयी।
सीएम योगी ने किया सम्मानित
प्रधानमंत्री के स्वच्छता अभियान को सफल बनाने के लिए उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री ने भी प्रदेश के गांवों को ओडीएफ बनाने के लिए जिलो के अधिकारियों को सख्त हिदायत दी थी। इसके चलते गांधी जयंती के दिन 2 अक्टूबर 2017 को योगी आदित्यनाथ ने लखनऊ में कुछ ऐसे सराहनीय कार्य करने वाले लोगो को बुलाकर सम्मानित किया था। इस सम्मान समारोह में कानपुर देहात से रामकली को ओडीएफ में सक्रिय भागीदारी को लेकर मुख्यमंत्री व राज्यपाल ने 21 हजार रुपये की चेक प्रमाण पत्र व शाल पहनाकर प्रोत्साहित किया था। आज भी रामकली उसी स्वच्छता अभियान में तत्परता से सहयोग करने में मशगूल है।
शौचालय पाने के लिए लड़ाई लड़ रही रामकली
दूसरों को शौचालय का पाठ पढ़ाने वाली रामकली आज खुद के घर मे शौचालय बनवाने के लिए एक बड़ी जंग लड़ रही है। दरअसल गांवो के ग्रामीणों को शौचालय के लिए प्रेरित करने वाली वृद्धा के घर का शौचालय जर्जर होकर गिरने की कगार पर है। रामकली का आरोप है कि शौचालय योजना के तहत जब रामकली ने ग्राम प्रधान से शौचालय देने की बात कही तो कोई सुनवाई नही हुई तो उन्होंने तहसील में शिकायत की लेकिन हताशा ही हाथ लगी। हिम्मत जुटाकर जब उन्होंने दोबारा प्रधान से कहा तो ग्राम प्रधान ने शौचालय की जगह पर चकरोड व श्रमदान की बात कहकर टरका दिया। जब वृद्धा अपने अधिकार के लिए अड़ गयी तो प्रधान ने न बनवाने का अल्टीमेटम दे दिया और संघर्षो से लड़ने वाली मुख्यमंत्री की चहेती रामकली आज भी शौचालय के लिए दर-दर भटक रही है।
मुख्यमंत्री ने दिया था आश्वासन पर कार्रवाई नहींं हुई
मुख्यमंत्री के हाथों से पुरस्कृत रामकली ने जब खुद के शौचालय के लिए काफी प्रयास किये और उन्हें भटकना पड़ा तो उन्होंने कई बार प्रधान अधिकारियों से भी शिकायत की लेकिन नतीजा शून्य रहा। तब जाकर अभी हाल में सिकन्दरा उपचुनाव में जनसभा करने राजपुर आये मुख्यमंत्री से मिलने रामकली पहुंच गयी तो सुरक्षा व्यवस्था में लगी पुलिस ने उन्हें रोक दिया। तब रामकली ने कहा मुख्यमंत्री जी से कह दो वृद्धा रामकली मिलना चाहती है। सूचना मिलते ही मुख्यमंत्री ने उन्हें स्वयं बुलाया तो रामकली ने उनके सिर पर रखकर उन्हें आशीर्वाद दिया और योगी ने उनकी समस्या सुन निराकरण के लिए कहा। बावजूद इसके रामकली उस आश्वासन को लेकर अधिकारियों की चौखट की धूल फांक रही है।
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