मोदी ने की थी बरेली के मांझे की तारीफ, अब नोटबंदी की मार से परेशान
बरेली के मांझे की है देश-विदेश में भारी डिमांंड। लेकिन नोटबंदी के बाद मांंझे का कारोबार बुरी तरह प्रभावित हुआ है।
बरेली। देश-विदेश में अपनी विशेष पहचान रखने वाला बरेली का मांझा उद्योग नोटबंदी के चलते मंदी के चपेट आ गया है । मांझा उद्योग से जुड़े मजदूरों को दो जून की रोटी पर आफत आ गई है। बरेली के इसी मांझे की नरेंद्र मोदी ने लोकसभा चुनाव प्रचार के दौरान बहुत तारीफ की थी।
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देश-विदेश में बरेली के मांझे की डिमांड
बरेली के मांझे की मांग गुजरात, महाराष्ट्र, राजस्थान, तमिलनाडु के साथ देश के कई राज्यों में है । वही यूरोप, एशिया के कई देशों में बरेली से मांझा भेजा जाता है। लेकिन जबसे देश में नोटबंदी हुई है तबसे कारोबार गिरने से मांझा व्यापारियों की आर्थिक हालत खराब है।
मजदूरों की कमाई में भारी कमी
नोटबंदी से पहले मांझा मजदूर बड़े आसानी से पांच सौ रुपए कमा लिया करता था। लेकिन अब बड़ी मुश्किल से 150 -200 रुपए कमा पा रहा है। वहीं मांझा व्यापारियों का कहना है कि नोटबंदी के चलते अधिकतर आर्डर कैंसिल हो गए ऐसे में मांझा व्यापार से जुड़े करीब 15 हजार लोग प्रभावित हो रहे है।
इस बार मांझे का ऑर्डर न के बराबर
मांझा कारीगर अकरम के अनुसार पतंग से जुड़े अधिकतर त्यौहार सर्दी के दौरान रहते है। खासतौर से दिसम्बर माह में गुजरात से बहुत से मांझे के आर्डर मिलते है लेकिन पहली बार हुआ आर्डर भी मिले वह भी न के बराबर। जिसके चलते मांझे उद्योग के चलते लोग सबसे ज्यादा परेशान है।
बरेली में मांझा व्यापार के गढ़ के रूप में प्रसिद्ध बाकरगंज, सानिया रानी, विधौलिया में ज्यादातर अड्डे बंद पड़े है । मांझा कारोबार से जुड़े व्यापारी रिहान का कहना है मांझा उद्योग इस समय बदहाल स्तिथि में है इस समय मांझा व्यापार घटकर 20 प्रतिशत रह गया है। यदि सरकार ने नोटबंदी का मसला जल्द नहीं सुधारा तो वह वक्त जल्द आ जायेगा की बरेली का विश्व प्रसिद्ध मांझा व्यापार इतिहास का हिस्सा बनकर रह जायेगा।
मोदी ने की थी बरेली के मांझे की तारीफ
लोकसभा चुनाव के प्रचार के दौरान प्रधानमंत्री ने बरेली के मांझे की तारीफ करते हुए कहा था, 'गुजरात की पतंग बरेली के मांझे से उड़ती है उसके बैगर गुजरात का आकाश अधूरा सा है।'
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