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86 साल बाद UP विधान परिषद हो जाएगी कांग्रेस मुक्त, जानिए इसकी पीछे की कहानी

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लखनऊ, 18 मई : उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में करारी हार का सामना करने वाली कांग्रेस के लिए कहीं से अच्छी खबर नहीं आ रही है। विधानसभा चुनाव में केवल दो सीटों तक सिमटने वाली कांग्रेस अब विधान परिषद में शून्य बनकर रह जाएगी। यानी यूं कहें तो 86 सालों बाद ऐसी स्थिति आएगी जब विधान परिषद कांग्रेस मुक्त दिखेगी। दरअसल कांग्रेस 1935 में परिषद के गठन के बाद पहली बार उत्तर प्रदेश की विधान परिषद में अपना प्रतिनिधित्व खोने जा रही है। देश की सबसे पुरानी पार्टी के अकेले एमएलसी दीपक सिंह 6 जुलाई को सेवानिवृत्त हो रहे हैं जिसके बाद अब विधान परिषद में कांग्रेस का प्रतिनिधित्व समाप्त हो जाएगा।

कांग्रेस

कांग्रेस के MLC दीपक सिंह का कार्यकाल होगा समाप्त

कांग्रेस की राज्य की राजनीति में एक लोकप्रिय चेहरा, दीपक 1990 के दशक की शुरुआत में अपने कॉलेज के दिनों से ही पार्टी के एक प्रतिबद्ध कार्यकर्ता रहे हैं। जून 2016 में यूपी विधान परिषद के लिए चुने गए सिंह के कार्यकाल की समाप्ति के साथ, कांग्रेस का यूपी के ऊपरी सदन में अस्तित्व समाप्त हो जाएगा। इस स्थिति ने निश्चित रूप से उन कांग्रेसियों के मनोबल को प्रभावित किया है जो 2022 के विधानसभा चुनाव परिणामों से अभी तक उबर नहीं पाए हैं, जिसमें पार्टी सिर्फ दो विधायकों के लिए थी। तब से पार्टी ने नए प्रदेश अध्यक्ष की नियुक्ति तक नहीं की है।

यूपी विधान परिषद में हैं 100 सीटें

यूपी की विधान परिषद में 100 सीटें हैं, जिनमें से 38 को यूपी विधान सभा सदस्यों द्वारा नामित किया जाना है, जबकि 36 सदस्यों का चयन स्थानीय निकायों के माध्यम से किया जाना है। आठ सदस्यों का चयन स्नातक और शिक्षक निर्वाचन क्षेत्र के चुनावों के माध्यम से किया जाता है जबकि शेष 10 सदस्यों को राज्य मंत्रिमंडल की सिफारिश पर राज्यपाल द्वारा नामित किया जाता है।

बीजेपी

सबसे ज्यादा बीजेपी के पास 66 सीटें

राज्य के उच्च सदन में भाजपा के 66 सदस्य हैं। विधान परिषद के रिकॉर्ड के अनुसार, अगले कुछ महीनों में 15 सदस्य सेवानिवृत्त होने वाले हैं। इनमें नौ समाजवादी पार्टी के, दो भाजपा के और तीन बसपा के और एक कांग्रेस का है। बसपा के तीन एमएलसी अतहर सिंह, सुरेश कुमार और दिनेश चंद्रा के जुलाई में सेवानिवृत्त होने के बाद पार्टी के पास सिर्फ एक सदस्य का ही प्रतिनिधित्व रह जाएगा।

1935 से उच्च सदन का हिस्सा रही है कांग्रेस

विशेष रूप से, 1935 के भारत सरकार अधिनियम द्वारा संयुक्त प्रांत ब्रिटिश भारत की परिषद 60 सदस्यों के साथ अस्तित्व में आई। बाद में इसे 1950 में उत्तर प्रदेश विधान परिषद में बदल दिया गया। कांग्रेस 1935 से राज्य के उच्च सदन का हिस्सा रही है। विशेष रूप से, 1935 के भारत सरकार अधिनियम द्वारा संयुक्त प्रांत ब्रिटिश भारत की परिषद 60 सदस्यों के साथ अस्तित्व में आई। बाद में इसे 1950 में उत्तर प्रदेश विधान परिषद में बदल दिया गया। कांग्रेस 1935 से राज्य के उच्च सदन का हिस्सा रही है।

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English summary
After 87 years, UP Legislative Council will become Congress-free, know the story behind it
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