टीचर बनने के लिए अब स्नातक में 50 फीसदी अंक अनिवार्य नहीं: हाईकोर्ट
इलाहाबाद। शिक्षक प्रशिक्षण परिषद यानी (एनसीटीई) ने शैक्षणिक योग्यता के अन्तर्गत अंक प्रतिशत को लेकर बड़ा बदलाव किया है। इस बदलाव के तहत अब प्राथमिक स्कूलों में शिक्षक बनने के लिए अभ्यर्थी का स्नातक में 50% अंक हासिल करना बाध्यकारी नहीं होगा। राष्ट्रीय शिक्षक प्रशिक्षण परिषद ने इस बाबत गाइडलाइन भी जारी कर दी है और नियमावली के सापेक्ष एक हलफनामा इलाहाबाद हाईकोर्ट में दाखिल किया है।
प्राथमिक विद्यालयों में सहायक अध्यापक पद पर नियुक्ति के लिए स्नातक में न्यूनतम 50 प्रतिशत अंक की अनिवार्यता अब खत्म हो गई है। राष्ट्रीय शिक्षक प्रशिक्षण परिषद ने इस बाबत गाइडलाइन भी जारी कर दी है और नियमावली के सापेक्ष एक हलफनामा इलाहाबाद हाईकोर्ट में दाखिल किया है। जिसमें मौजूदा स्थिति को स्पष्ट करते हुए बताया गया है कि टीचर बनने की योग्यता में अब अभ्यार्थी का स्नातक होना जरूरी तो है। ऐसे में यह भी अब साफ हो गया है कि टीचर बनने के लिए आवश्यक B.Ed कोर्स में भी अब स्नातक में 50% अंक की अनिवार्यता नहीं होगी। हालांकि एनसीटीई ने यह भी स्पष्ट किया है कि यह नियम 28 जून 2018 की अधिसूचना से पूर्व स्नातक करने वालो के लिये है। यानी 28 जून 2018 से पहले स्नातक करने वालों पर 50 प्रतिशत अंकों की अनिवार्यता लागू नहीं होगी।
क्या
है
मामला
एनसीटीई
ने
29
मई
2011
को
एक
अधिसूचना
जारी
कर
सरकारी
स्कूल
में
अध्यापक
बनने
के
लिए
स्नातक
में
50
फीसदी
अंकों
की
अनिवार्यता
का
नियम
लागू
कर
दिया
था।
इसी
आदेश
के
तहत
यूपी
सरकार
ने
कई
अभ्यर्थी
को
सेवा
से
भी
हटा
दिया
था।
जिसे
इलाहाबाद
हाईकोर्ट
में
अभ्यर्थी
ने
चैलेंज
किया
था।
इस
पर
मुख्य
न्यायमूर्ति
डीबी
भोसले
और
न्यायमूर्ति
यशवंत
वर्मा
की
पीठ
ने
सुनवाई
करते
हुये
एनसीटीई
जवाब
मांगा
था।
इसी
मामले
में
एनसीटीई
ने
अपना
जवाब
दाखिल
करते
हुये
हलफनामा
दिया
है।
जिसमे
बताया
गया
कि
28
जून
2018
की
अधिसूचना
से
पूर्व
स्नातक
करने
वालो
के
लिये
50
प्रतिशत
अंकों
की
अनिवार्यता
लागू
नहीं
होगी।
अभ्यर्थियों
को
होगा
लाभ
इलाहाबाद
हाईकोर्ट
में
एनसीटीई
द्वारा
हलफनामा
दाखिल
होने
के
बाद
अब
बड़ी
संख्या
में
इसका
लाभ
अभ्यर्थियों
को
मिलेगा।
एक
ओर
उन
शिक्षकों
की
नौकरी
में
वापसी
हो
जाएगी
जिन्हें
50%
अंकों
की
अनिवार्यता
वाले
आदेश
के
सापेक्ष
सेवा
से
बाहर
किया
गया
था।
जबकि
टीचर
बनने
के
लिए
सपना
संजोए
अभ्यर्थियों
को
भी
इससे
राहत
मिलेगी।
इलाहाबाद
हाईकोर्ट
ने
भी
अंक
प्रतिशत
की
अनिवार्यता
के
कारण
नौकरी
से
हटा
दिए
गए
लोगों
को
स्पष्टीकरण
के
बाद
मौजूदा
नियम
का
लाभ
देने
को
कहा
है।