2024 से पहले योगी खेलेंगे ये मास्टर स्ट्रोक, UP में OBC की 18 उपजातियों को मिलेगा अलग आरक्षण ?
लखनऊ, 06 सितंबर: देश में अगले साल होने वाले आम चुनाव से पहले यूपी की सरकार एक बड़ा और अहम फैसला ले सकती है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मंगलवार को उन अटकलों को उस समय हवा दे दी जब मंगलवार को यूपी के कैबिनेट मंत्री संजय निषाद और पिछड़ा वर्ग मंत्री राकेश सचान से उन्होंने मुलाकात की। शासन से जुड़े सूत्रों की माने तो इस मुलाकात के बड़े मायने निकाले जा रहे हैं। दरअसल यूपी में OBC की 18 उपजातियों को आरक्षण देने का मुद्दा गरमाता जा रहा है। योगी सरकार इसको लेकर बीच का रास्ता निकालने में जुटी है और इसके लिए वो इन उपजातियों को अलग से आरक्षण देने पर विचार कर रही है।
सीएम योगी ने संजय निषाद और राकेश सचान से की चर्चा
शासन से जुड़े सूत्रों की माने तो बैठक करीब एक घंटे तक चली जिसमें संजय निषाद और राकेश सचान की मुख्यमंत्री से बातचीत हुई। इस बैठक में काफी अहम विचार विमर्श हुआ। बैठक में यूपी के मंत्री असीम अरूण भी मौजूद थे। बताया जा रहा है कि असीम अरूण को ये प्रस्ताव बनाने की जिम्मेदारी सौंपी गई है। जल्द ही इसको लेकर सीएम के साथ संबंधित मंत्रियों के साथ अगली बार बैठक भी हो सकती है। सूत्रों की माने तो इसके लिए राज्य सरकार पूरी तरह से मन बना चुकी है।
उपजातियों के लिए एक अलग कोटा बनाने पर विचार
सरकार के एक वरिष्ठ अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि राज्य सरकार 27% आरक्षण के ओबीसी वर्ग के भीतर उक्त पिछड़ी उप-जातियों के लिए एक अलग कोटा बनाने पर विचार कर रही है। हालांकि प्रस्ताव की अंतिम रूपरेखा अभी तय नहीं हुई है, लेकिन सूत्रों ने कहा कि प्रस्ताव को अंतिम रूप देने के लिए केंद्र को भेजने से पहले इसे यूपी विधानसभा के दोनों सदनों में बिल के रूप में पारित कराने के अलावा राज्य कैबिनेट में भी लेना होगा। चूंकि इसी महीने विधानसभा का सत्र भी होना है तो मुमकिन है कि इससे जुड़ा प्रस्ताव सदन में पेश कर दिया जाए और फिर इसे केंद्र को भेज दिया जाए।
अनुसूचित जाति के दर्जे की मांग कर रही हैं ये जातियां
विचाराधीन 18 उप-जातियों में मझवार, कहार, कश्यप, केवट, मल्लाह, निषाद, कुम्हार, प्रजापति, धीवर, बिंद, भर, राजभर, धीमान, बाथम, तुरहा, गोदिया, मांझी और मछुआ शामिल हैं। सरकार के एक मंत्री ने कहा कि राज्य सरकार निश्चित रूप से इन उपजातियों को राहत देना चाहती है। केवट, मल्लाह, बिंद, निषाद और मांझी जैसी उप-जातियां मोटे तौर पर निषाद समुदाय के अंतर्गत आती हैं, जो वास्तव में काफी समय से अनुसूचित जाति के दर्जे की मांग कर रही हैं।
समिति ने की है आरक्षण को तीन भागों में बांटने की सिफारिश
शासन के सूत्रों ने कहा कि जहां तक उक्त ओबीसी उपजातियों को एससी सूची में शामिल करने की बात है तो इसे भारतीय संविधान के अनुच्छेद 341 के तहत करना होगा। दरअसल 2018 में, राज्य सरकार ने पिछड़े वर्गों के आर्थिक, सामाजिक और शैक्षिक अध्ययन और नौकरियों में उनकी भागीदारी पर रिपोर्ट करने के लिए सेवानिवृत्त न्यायाधीश राघवेंद्र कुमार की अध्यक्षता में चार सदस्यीय समिति का गठन किया था। समिति ने पिछड़े वर्गों के लिए 27% आरक्षण को तीन भागों में विभाजित करने की सिफारिश की है। इसने पिछड़े के लिए 7%, अधिक पिछड़े के लिए 11% और सबसे पिछड़े के लिए 9% आरक्षण की सिफारिश की थी।
12 उपजातियों को फिलहाल पिछड़े वर्ग में रखा गया
उल्लेखनीय है कि 12 उपजातियों को पिछड़ा वर्ग में, 59 को अधिक पिछड़े वर्ग में और 79 को सबसे पिछड़े वर्ग में रखा गया है। ओबीसी सामूहिक रूप से यूपी में सबसे बड़ा वोट बैंक है जो कुल आबादी का लगभग 45% है। हालांकि, अधिक शक्तिशाली पिछड़ा वर्ग यादवों, पटेलों और जाटों पर आरोप लगाया गया है कि वे राज्य संस्थानों में नौकरियों एवं प्रवेशों के एक बड़े हिस्से पर कब्जा कर लेते हैं। 2001 में, जब राजनाथ सिंह राज्य के मुख्यमंत्री थे तब हुकुम सिंह की अध्यक्षता वाली एक समिति ने ओबीसी के उप-वर्गीकरण की सिफारिश की थी। इसमें यादवों को केवल 5% और एमबीसी को 14% आरक्षण आवंटित किया गया था। इस पर राज्य उच्च न्यायालय ने रोक लगा दी थी।