उन्नाव : फीस जमा न होने की वजह से पेपर नहीं देने दिया, बच्चे रोते हुए पहुंचे घर
अभी तक सुना था कि विद्यालय वह जगह है जहां से हमारा जीवन वास्तविक रूप से शुरू होता है, किसी इंसान को अपने पैरों पर खड़ा करने का माता-पिता के बाद दूसरा सहारा विद्यालय हैं परन्तु उत्तर प्रदेश के उन्नाव ज़िले में एक निजी स्कूल प्रबंधक द्वारा मासूम छात्र छात्राओं की फीस न जमा होने पर परीक्षा से बाहर निकाला निकाल दिया गया। जिसके बाद स्कूल परिसर में बैठे तमाम छात्र छात्राएं रोते बिलखते दिखाई दिए। अभिभावक आक्रोशित होकर विद्यालय के खिलाफ तहरीर देकर कार्यवाही की बात कह रहे है। खंड शिक्षा अधिकारी ने कहा है कि जांच कराकर कार्यवाही की जाएगी।
तालियाँ बजवा कर खिल्ली भी उड़ाई जाती है
बता
दें
की
बांगरमऊ
क्षेत्र
से
वर्तमान
विधायक
आवास
के
पड़ोस
में
स्थित
बाल
विद्या
मंदिर
नामक
एक
विद्यालय
संचालित
है।
इस
समय
विद्यालय
में
परीक्षाएं
चल
रहीं
हैं
और
जिन
बच्चो
की
मात्र
अक्टूबर
माह
की
फीस
जमा
नहीं
है,
उन्हें
परीक्षा
से
बाहर
निकाला
जा
रहा
है।
यही
नही
बल्कि
जिन
बच्चों
की
फीस
नहीं
जमा
होती
है
उन
बच्चों
को
खड़ा
करवा
दिया
जाता
है
और
क्लास
में
अन्य
बच्चों
से
तालियाँ
बजवा
कर
उनकी
खिल्ली
भी
उड़ाई
जाती
है।
जिन
बच्चो
की
फीस
नहीं
थी
उनको
विद्यालय
स्टाफ
द्वारा
बिना
पेपर
करवाए
बाहर
निकाल
दिया
गया।
इस
व्यवहार
से
आहत
बच्चे
रट
हुए
घरों
को
पहुंचे
और
अपने
माता
पिता
को
पूरी
घटना
बताई।
जिसके
बाद
अनेक
अभिभावक
अपने
बच्चों
के
साथ
विद्यालय
के
बाहर
एकत्र
हो
गए।
बच्चों
के
माँ-पिता
का
कहना
है
कि
स्कूल
स्टाफ
द्वारा
बच्चो
को
प्रताड़ित
किया
गया
है
और
फीस
के
संबंध
में
सरकार
की
तरफ
से
दिए
गए
निर्देशों
की
धज्जियां
उड़ाई
गई
है।
इस
तरह
के
व्यवहार
से
बच्चो
के
मानसिक
विकास
पर
बुरा
असर
पड़ता
है
साथ
ही
उनकी
पढ़ाई
प्रभावित
होती
है।
अभिभावक
आक्रोशित
होकर
विद्यालय
के
खिलाफ
तहरीर
देकर
कार्यवाही
की
बात
कह
रहे
है।
खंड
शिक्षा
अधिकारी
ने
कहा
है
कि
जांच
कराकर
कार्यवाही
की
जाएगी।
अपूर्वा- "इन लोगों ने पूरा दिन खड़ा रखा है"
वायरल
वीडियो
में
नजर
आ
रही
बच्ची
अपूर्वा
ने
बताया,
"हम
बांगरमऊ
कस्बा
टोला
स्थित
बाल
विद्या
मंदिर
में
पढ़ती
है.
फीस
नहीं
जमा
थी।
फीस
मांगे
अभी
2
दिन
हुए
हैं.
हमने
पापा
से
घर
पर
कहा
था,
पापा
आज
आते,
पेपर
नहीं
देने
दिया
गया.
इन
लोगों
ने
पूरा
दिन
खड़ा
रखा
है."
वहीं
स्कूल
के
प्रबंधक
अरुण
कुमार
ने
कहा,
"लोग
फीस
कई
महीने
लेट
देते
हैं,
3-3
महीने
लेट
देते
हैं.
काफी
समय
से
फीस
लेट
होने
पर
हम
अपने
अध्यापक
को
फीस
नहीं
दे
पाते
हैं,
जिससे
पढ़ाई
में
नुकसान
होता
है.
यह
लोग
यह
बात
नहीं
समझते
हैं.
यहां
कोई
बच्चा
नहीं
रोया
है."
बच्चों
के
रोने
के
वायरल
वीडियो
को
लेकर
प्रबंधक
ने
कहा
कि
उन्हें
नहीं
पता
कि
वीडियो
कहां
का
है.
क्या कहता है कानून?
वैसे तो RTE Act 2009 के Section 16 के अनुसार, 'किसी भी बच्चे को किसी भी क्लास से पीछे नहीं किया जा सकता है और ना ही स्कूल से बाहर किया जा सकता है. यह नियम कक्षा 1 से लेकर कक्षा 8 तक के बच्चों के लिए है. ऐसे में बिना किसी कारण के बच्चों को स्कूल से बाहर नहीं किया जा सकता है. 2019 में इस एक्ट में संशोधन करते हुए इस बात को कंफर्म कर दिया कि किसी भी बच्चे को स्कूल से बाहर नहीं किया जा सकता है.'
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