अनूठा दृश्य: प्लास्टिक-आभूषणों से नहीं, गुजरात में यहां पत्तल-दोना से तैयार हुआ गणेश-मंडप
सूरत। भगवान श्री गणेश के उत्सव से जुड़ी देशभर से तरह-तरह की खबरें आ रही हैं। गुजरात में सूरत के सुमुल डेयरी रोड पर गणपति पूजा के लिए ऐसा मंडप तैयार किया, जिसमें गणेशजी की मूर्ति पत्तल-दोने के बीच में प्रतिष्ठित थी। सामान्यत: ऐसा आयोजन कई आभूषणों के साथ आयोजित किया जाता है, लेकिन यहां पर गणेशोत्सव के दौरान न सोने-चांदी के आभूषण इस्तेमाल किए गए, न ही प्लास्टिक की कोई वस्तु नजर आई। आयोजकों ने केवल पत्तल-दोने का मंडप सजाया।
यहां पत्तल-दोना से बनाया गया गणपति मंडप
बता दें कि, पत्तल-दोने सिर्फ पेड़ों की पत्तियों से तैयार किए जाते हैं और ऐसे पेड़ गुजरात समेत देश के कई हिस्सों में खूब उगते हैं। भारतीय जनमानस आज भी बड़े आयोजनों में पत्तल-दोने पर ही भोजन करता देखा जा सकता है। गांवों में भोज-आयोजन पहले भी पत्तल-दोने से होते थे। बाद में प्लास्टिक व कुछ धातुओं का उपयोग होने लगा।
सूरत में गणेशजी के मंडप को पत्तल और दोना (दडिय़ों) से तैयार किए जाने के बारे में शांतिनिकेतन सोसायटी के आयोजक ने कहा कि, इस तरह वे पर्यावरण जागरूकता का पाठ पढ़ाना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि, 'अब भारत में प्लास्टिक पर रोक लग गई है, फिर भी लोग प्लास्टिक की वस्तुएं ही इस्तेमाल कर रहे हैं। पर्यावरण की बेहतरी के लिए हमें वातावरण को प्लास्टिक से मुक्त रखना होगा। इसके अलावा, हम सभी जानते हैं कि प्राचीन काल में ज्यादातर मनुष्य पत्तल पर ही भोजन करते थे। पत्ते भगवान गणेशजी की पूजा में भी इस्तेमाल किए जाते हैं।'
इसी तरह हों गणेश-चतुर्थी या दुर्गा-पूजा के आयोजन
शांतिनिकेतन सोसायटी के एक बुजुर्ग ने कहा, ''अधिकांश लोग आजकल गणेश मंडप की सजावट के लिए प्लास्टिक या अन्य वस्तुओं का उपयोग करते हैं। उन्हें यह समझना चाहिए कि प्लास्टिक की खपत अधिक होती है। मूर्तियां भी प्लास्टिक की आने लगी हैं। प्लास्टिक से प्रदूषण को बढ़ावा मिलता है। यदि लोग केवल मिट्टी की मूर्तियों का विसर्जन करेंगे तो नदी-नाले भी साफ रहेंगे। हम चाहते हैं कि, अन्य लोग भी इसी तरह गणेश-चतुर्थी या दुर्गा-पूजा के आयोजन करें।'
'पर्यावरण को हो रहे नुकसान को रोक सकेंगे '
एक अन्य श्रद्धालु ने कहा कि, हमारे यहां गणेशजी का मंडप में पहले भी बिना प्लास्टिक के तैयार किया गया था। हमारे मंडप में कहीं भी प्लास्टिक का उपयोग नहीं होता है, इस प्रकार यदि अन्य आयोजक भी ऐसा ही करें तो हम गणेश उत्सव के दौरान उपयोग किए जाने वाले प्लास्टिक की मात्रा को कम करने और पर्यावरण को हो रहे नुकसान को रोकने में सक्षम होंगे।'
भगवान का प्रसाद-वितरण पत्तल पर ही हो
गणपति मंडप में मौजूद महिलाओं ने कहा- भगवान का प्रसाद-वितरण भी पत्तल और दोना पर होना चाहिए। इस तरह हम न केवल पर्यावरण को संरक्षित कर रहे हैं,बल्कि पवित्रता का भी ध्यान रख रहे हैं। हमारी यह गणेशजी की प्रतिमा भी पर्यावरण के अनुकूल है। हमारी श्रीजी के दर्शन करने आने वाले लोगों से अपील है कि वे गणेश उत्सव के दौरान प्लास्टिक का इस्तेमाल न करें, क्येांकि यह पर्यावरण के लिए एक बड़ी चुनौती बनता जा रहा है। अपने दैनिक जीवन में भी प्लास्टिक का उपयोग बंद कर दें।'