13 साल की किशोरी से जीजा ने की थी दरिंदगी, हाईकोर्ट ने दी 24 हफ्ते का गर्भपात कराने की मंजूरी
सूरत। गुजरात में सूरत की 14 वर्षीय किशोरी से उसके जीजा ने कई बार दुष्कर्म किया था। वह प्रेग्नेंट हो गई। यह केस हाईकोर्ट में पहुंचा। हाईकोर्ट ने गायनोकोलॉजिस्ट के पैनल की सिफारिश पर पीड़िता के 24 हफ्ते के अबॉर्शन की मंजूरी दी है। नाबालिग दुष्कर्म पीड़िता की जान को खतरा है। इसके अलावा देश में कानूनन सामान्य परिस्थितियों में 20 हफ्ते से अधिक के गर्भ के अबॉर्शन (गर्भपात) की मंजूरी नहीं है। फिर भी जस्टिस एसएच वोरा ने पीड़िता का 24 हफ्ते का गर्भपात कराने की मंजूरी दे दी है।
नाबालिग के 24 हफ्ते के गर्भ को गिराने की मंजूरी
संवाददाता के अनुसार, जस्टिस एसएच वोरा के आदेश सिविल अस्पताल के डॉक्टरों के पैनल की रिपोर्ट के आधार पर जारी हुए हैं। वैसे रिपोर्ट में गर्भ से किशोरी की जान को खतरा बताया गया था। मगर, किशोरी बच्चा नहीं चाहती। उसे न्याय एवं राहत दिलाने की कोशिश के तहत हाईकोर्ट ने पीड़िता के लिए लीगल एड अथॉरिटी चेयरमैन को मुआवजा देने का आदेश भी दिया है। वहीं, गर्भ की डीएनए जांच कराने की बात भी कही गई है।
पेटदर्द होने पर डॉक्टर को दिखाया था तो खुला मामला
जीजा द्वारा कई बार यौन शोषण किए जाने पर किशोरी प्रेग्नेंट हो गई थी। हालांकि, वह नहीं जानती थी। करीब 24 हफ्ते बाद उसके गर्भ का तब पता चला, जब उसे पेटदर्द होने पर डॉक्टर को दिखाया गया। डॉक्टरों ने बताया कि वह प्रेग्नेंट है। उसके बाद 24 हफ्ते के गर्भ से किशोरी को मानसिक और शारीरिक दोनों स्तर पर खतरा बताया गया। वहीं, वह किशोरी भी घबराने लगी। तब गर्भपात कराने के लिए हाईकोर्ट में अपील की गई। हाईकोर्ट ने मंजूरी दे दी है।
इधर, पॉक्सो एक्ट का संशोधन राज्यसभा में पारित हुआ
बच्चियों से रेप और क्रूर यौन अपराधों के दोषियों को फांसी की सजा से जुड़ा पॉक्सो एक्ट का संशोधन भी राज्यसभा में पारित हुआ है। यह बिल सभी दलों के सदस्यों के समर्थन से ध्वनिमत से पारित हुआ है। इसके तहत 6 साल से छोटे बच्चों के साथ यौन अपराध पर 20 साल की जेल हो सकती है। वहीं, 16 वर्ष से छोटे बच्चों के साथ यौन अपराध पर भी कम से कम 20 साल की सजा का प्रावधान इस कानून में है।
अब बिल लोकसभा में पारित कराएगी मोदी सरकार
बता दें कि, महिला एवं बाल विकास मंत्री स्मृति ईरानी ने मंगलवार को यौन अपराधों से बच्चों की सुरक्षा (संशोधन) बिल 2019 पेश किया था। राज्यसभा से पारित होने के बाद यह लोकसभा में भेजा गया है।