सुल्तानपुर: जो बेघर और बेसहारा हैं, ठंड में उनकी मुश्किलें दूर करने का इन नौजवानों ने उठा लिया है बीड़ा
सुल्तानपुर। सर्दियों में इन दिनों जब बेघर और बेसहारा लोगों की मुसीबतें और बढ़ गई हैं, ऐसे में कुछ युवाओं का समूह उनकी मदद के लिए आगे आया है। इन युवाओं ने मज़हब-जाति धर्म से ऊपर उठकर सबसे बड़े धर्म मानवता के धर्म को अपनाकर इस ठंड के मौसम में ठिठुर रहे उन लोगों को ढंकने का काम किया है, जिनको अपना पेट पालना मुश्किल है।
युवाओं का यह समूह हाल ही शहर के बस स्टेशन स्थित आज़ाद पार्क में दिखा। उन्होंने बेसहारों को बेहतर जिंदगी देने का बीड़ा उठाया है। इसी कोशिश में वह प्रतिदिन बस स्टेशन स्थित आज़ाद पार्क में शाम को तीन घंटे के लिए जाते हैं और कपड़े बांटते हैं। इन युवाओं में जावेद अहमद और अभिषेक सिंह प्रमुख हैं, जिन्होंने बीते साल से गरीबों के दुख-दर्द का जो बीड़ा उठाया, इस वर्ष भी उसमें एक अध्याय और जोड़ दिया।
जावेद अहमद बताते हैं कि साल 2017 में अभिषेक सिंह के साथ मिलकर उन्होंने कई साथियों को अपने मिशन के बारे में जानकारी दी। इसके बाद इन नौजवानों की टोली ने कुछ कर गुजरने की नीयत से क़दम आगे बढ़ा दिए। उनका मानना है कि ये सभी नए-पुराने कपड़े खुद भी जमा करते हैं और दूसरों से भी जमा कराते हैं। नए कपड़े इनमें ही शामिल नवयुवक अपनी शॉप से लाते हैं। फिर बड़े-बड़े गांवों और ईंट-भट्टों पर जाकर कपड़े देते हैं और शहर में कपड़े मिलने का स्थान बता देते हैं।
इनके द्वारा शहर में प्रतिदिन बस स्टेशन स्थित आज़ाद पार्क में शाम 7 बजे से 10 बजे तक कपड़े वितरित किए जाते हैं। हफ्ते में एक दिन रेलवे स्टेशन पर इनके द्वारा गरीब बच्चों को कपड़े दिए जाते हैं। वहीं, अभिषेक सिंह ने बताया के जिन बच्चों के पास जूते वगैरह नहीं होते, उन्हें उपलब्ध कराया जाता है। इसके अलावा रात में निकलकर इन लोगों द्वारा देखा जाता है कि कोई जरूरतमंद छूट तो नहीं गया। जरूरतमंदों को देखकर उनको कम्बल और कपड़ा दिया जाता है। सोमवार को ही इन युवकों द्वारा ग्राम सभा लाखीपुर मे 60 महिलाओं, 50 बच्चों एवं 30 पुरुषों को कपड़े उपलब्ध कराये गये। अभिषेक ने बताया कि पिछले वर्ष 1 दिसम्बर से 15 जनवरी तक कपड़े बांटे गए थे।
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