कश्मीर हिंसा: टूट चुके हैं पुलिस के जवान, मन में समाया अपनों की सुरक्षा का डर
श्रीनगर। कश्मीर हिंसा में हालात सिर्फ अलगाववादियों या सरकार तक ही सीमित नहीं है बल्कि अब वहां की पुलिस का दम भी घुट रहा है।
हालात यहां तक आ गए हैं कि एक तरफ उन्हें भीड़ की पत्थरबाजी का निशाना बन जाने का डर है तो दूसरी ओर आतंकियों के हमले का। इनके मन में हर ओर से खौफ समाया हुआ है।
श्रीनगर में तैनात एक पुलिसकर्मी ने अंग्रेजी अखबार टाइम्स ऑफ इंडिया को बताया ' बहुत खतरा है साहब , हिंसा ग्रस्त कश्मीर में अगर कोई ज्यादा असुरक्षित और असहाय है वो जम्मू कश्मीर पुलिस है।'
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लावारिस छोड़ दिया है
पुलिसकर्मी यह आरोप भी लगा रहे हैं कि सरकार ने उन्हें लावारिस छोड़ दिया है।
दक्षिण कश्मीर में तैनात एसएसपी ने कहा कि घाटी में पुलिसकर्मियों पर हमले की सूचना आ रही है, बुरी बात यह है कि हमारी मदद के लिए कोई नहीं है। सरकार ने भी लावारिस की तरह छोड़ दिया है।
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एसएसपी ने यह भी कहा कि 'हर कोई आलगाववादियों की मांग को समर्थन देना चाहता है। 1990 में पुलिस बल बिल्कुल खत्म हो गया था। कुछ लोग फिर से वही हालात पैदा करना चाहते हैं।'
बहुत पैसा खर्च किया गया है
एसएसपी का यह दावा भी है कि कश्मीर में ऐसे हालात पैदा करने के लिए बहुत पैसा खर्च किया गया है। अलगाववादी पुलिसकर्मियों की पहचान कर रहे हैं।
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सूत्रों की मानें तो कई पुलिसकर्मियों के घर जला दिए गए हैं। कई पुलिसकर्मियों और उनके परिजनों को धमकी दी जा रही है। सीआईडी के एक अधिकारी के अनुसार हमारे परिजन हमारी कमजोरी हैं।
सेना के लोग बिना डर के लड़ सकते हैं
अधिकारी ने कहा कि 'सेना और सीआरपीएफ के लोग बिना किसी डर के लड़ सकते हैं क्योंकि उनके घरवाले दूर हैं और सुरक्षित भी। लेकिन हमारे परिजन यहीं हैं और यह बात हमारे दुश्मन जानते हैं।'
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अधिकारी ने यह भी बताया कि 2010 की हिंसा में 48 पुलिस वालों के घर जला दिए गए थे और 1400 पुलिसकर्मी घायल हुए थे। अब फिर से वही सब दोहराया जा रहा है। पुलिसकर्मियों का मनोबल टूटा हुआ है।