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IND vs SA: 3 कारण जिसके चलते वनडे सीरीज में भारत हुआ क्लीन स्वीप, कहां हो रही है टीम से गलती

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IND vs SA
Photo Credit: ICC/Twitter

नई दिल्ली। भारत और साउथ अफ्रीका के बीच खेली जा रही 3 मैचों की वनडे सीरीज भारतीय फैन्स के लिये निराशाजनक नतीजे के साथ खत्म हो गई है, जिसमें भारतीय टीम को 2020 के बाद पहली और ओवरऑल पांचवी बार क्लीन स्वीप का सामना करना पड़ा है। भारत को वनडे सीरीज के इतिहास में पहली बार वेस्टइंडीज की टीम ने 1983 में क्लीन स्वीप किया था, जहां पर उसने भारतीय टीम को 5-0 से मात दी थी। इसके बाद 1989 में वेस्टइंडीज ने फिर से यह कारनामा दोहराया था तो वहीं पर 1997 में श्रीलंका ने 3-0 से हराया था। 2020 में जब भारतीय टीम न्यूजीलैंड दौरे पर पहुंची थी तो 5-0 से टी20 सीरीज जीतने के बाद 3-0 से वनडे सीरीज गंवाई और अब साउथ अफ्रीका के खिलाफ भी उसे 3-0 से हार का सामना करना पड़ा है।

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साउथ अफ्रीका की टीम ने केपटाउन के मैदान पर खेले गये सीरीज के आखिरी मैच में पहले बल्लेबाजी करते हुए 287 रनों का स्कोर खड़ा किया और जीत की दहलीज पर पहुंच चुकी भारतीय टीम को 283 रन पर ऑल आउट कर 4 रनों से जीत हासिल की। यह भारत के खिलाफ उसकी वनडे में सबसे कम रनों के अंतर से हासिल की गई तीसरी और अपने घर पर पहली जीत थी।

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क्या रोहित-जडेजा की गैरमौजूदगी पड़ी भारी

क्या रोहित-जडेजा की गैरमौजूदगी पड़ी भारी

भारतीय टीम ने जब इस दौरे की तैयारियां शुरू की थी तो सभी को यही लगा था कि कमजोर साउथ अफ्रीकी टीम के खिलाफ पहली बार भारतीय टीम इतिहास रच सकती है और साउथ अफ्रीका को उसी के घर में टेस्ट सीरीज हराने वाली पहली भारतीय टीम बन सकती है। सेंचुरियन की जीत के बाद यह बात सच भी लगने लगी, हालांकि जब जोहान्सबर्ग और केपटाउन टेस्ट में उसे हार का सामना करना पड़ा तो लगा कि टेस्ट न सही वनडे में भारतीय टीम जीत हासिल कर के हिसाब बराबर कर लेगी। पर ऐसा हुआ नहीं, भारतीय टीम को न सिर्फ सीरीज में हार मिली बल्कि उसे वाइटवॉश का सामना करना पड़ा। ऐसे में सवाल यह खड़ा होता है कि आखिर क्या हुआ जिसकी वजह से भारतीय टीम एक भी जीत हासिल करने में नाकाम रही।

भारतीय टीम की बात करें तो इस दौरे पर रोहित शर्मा और रविंद्र जडेजा को छोड़ दें तो आपके पास पूरी वनडे टीम खेल रही थी। इस सीरीज में आपके वो सभी खिलाड़ी खेल रहे थे जिन्हें आप 2023 विश्वकप में खेलते हुए देख रहे हैं, फिर भारतीय टीम से कहां पर ऐसी गलतियां हो रही हैं जिसका खामियाजा उसे क्लीन स्वीप से भुगतना पड़ा। अगर आप यह कहते हैं कि सिर्फ रोहित शर्मा और जडेजा के न होने से आपकी टीम इतना खराब प्रदर्शन कर रही है तो यह वाकई में चिंताजनक बात है।

केएल राहुल को कप्तानी देना जल्दबाजी

केएल राहुल को कप्तानी देना जल्दबाजी

इस दौरे पर जो सबसे ज्यादा ध्यान देने वाली बात रही वो थी केएल राहुल की कप्तानी, भारतीय टीम को जिन 5 मैचों में हार का सामना करना पड़ा है उसमें से 4 मैचों में केएल राहुल टीम की कमान संभाल रहे थे। ऐसे में क्या यह कहना गलत होगा कि राहुल को कप्तानी देने में जल्दबाजी की गई है। आंकड़ों पर नजर डालें तो केएल राहुल ने कभी भी लिस्ट ए क्रिकेट की कप्तानी नहीं कि और अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट से पहले सिर्फ आईपीएल में ही वो कप्तानी करते नजर आये हैं। केएल राहुल ने साल 2020 में किंग्स इलेवन पंजाब की कमान संभाली और 27 मैच खेलकर सिर्फ 11 में जीत और 14 में हार का सामना किया, जिससे उनका जीत प्रतिशत महज 44.44 का रहा। वहीं अंतर्राष्ट्रीय मैचों में उन्हें अब तक एक भी जीत नहीं मिल सकी है।

कप्तानी में जल्दबाजी करने का सवाल सिर्फ आंकड़ों पर ही आधारित नहीं है बल्कि उनके फैसलों को लेकर भी है। केएल राहुल ने जिन भी मैचों में कप्तानी की है वह बल्लेबाजी में खुलकर रन नहीं बना पाये हैं और कोई खराब शॉट खेलकर अपना विकेट खो बैठे हैं। इसके अलावा गेंदबाजों के इस्तेमाल को लेकर भी कई ऐसे फैसले लिये जिससे मैच जहां पर टीम की ओर मुड़ सकता था वहां पर उनसे फिसल गया है। ऐसे में चयनकर्ताओं को उन्हें भविष्य के कप्तान के रूप में देखने से पहले दोबारा सोचना चाहिये।

मौकों का फायदा नहीं उठा पा रहा बल्लेबाजी मध्यक्रम

मौकों का फायदा नहीं उठा पा रहा बल्लेबाजी मध्यक्रम

भारतीय टीम के इस दौरे पर निराशाजनक प्रदर्शन के पीछे जो दूसरा सबसे बड़ा कारण रहा वो है मध्यमक्रम की खराब बल्लेबाजी। टेस्ट क्रिकेट में पहले मैच को छोड़ दिया जाये तो दूसरे और तीसरे टेस्ट मैच में भारतीय टीम का टॉप ऑर्डर पूरी तरह से फ्लॉप रहा। वहीं मध्यक्रम में पुजारा-रहाणे की जोड़ी रन बनाने में नाकाम रही तो पंत भी एक-दो पारियों में ही रन बना सके। इसके बाद जब वनडे सीरीज शुरू हुई तो टॉप ऑर्डर ने अच्छी शुरुआत की और तीनों ही मैचों में जब तक वो खेलते रहे लगा कि भारतीय टीम आसानी से रन बना लेगी और मैच जीत जायेगी। हालांकि जैसे ही मैच 20वें से 25वें ओवर में पहुंचता है टीम के टॉप ऑर्डर अपना विकेट गंवा देते हैं और यहां से मध्यक्रम में श्रेयस अय्यर, वेंकटेश अय्यर, ऋषभ पंत, सूर्यकुमार यादव इसका फायदा नहीं उठा सके और वो अहम पारियां नहीं खेल सके जिसकी टीम को दरकार थी।

भारतीय स्पिनर्स ने किया निराश

भारतीय स्पिनर्स ने किया निराश

साउथ अफ्रीका दौरे पर गेंदबाजों ने भी काफी निराश किया जिसकी वजह से भारतीय टीम हर पारी में विपक्षी टीम को ऑल आउट करने में नाकाम रही और बड़े स्कोर बनाने के बावजूद उन्हें डिफेंड करने में नाकाम रही। इस दौरान भारतीय स्पिनर्स ने खासा निराश किया। विदेशी दौरों पर जब भी स्पिनर्स की बात होती है तो रविचंद्रन अश्विन को सिर्फ इस वजह से तवज्जो देने की बात कही जाती है क्योंकि उनके पास किसी भी पिच पर विकेट निकालने की कला है, हालांकि इस दौरे पर उनकी वो कला नजर नहीं आयी। टेस्ट सीरीज में फ्लॉप होने के बाद वनडे सीरीज में भी वो कुछ खास कमाल नहीं कर सके। वहीं युजवेंद्र चहल भी 3 मैचों में सिर्फ 2 विकेट हासिल कर सके। इसके चलते भारतीय गेंदबाज बीच के ओवर्स मे विकेट नहीं निकाल सके और भारतीय टीम कभी भी मैच में दबाव नहीं बना सकी।

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English summary
India vs South africa 3 reasons Why india suffered Whitewash in ODI series 5th time in history only
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