बेन स्टोक्स ने जब एक ओवर में कूटे थे 6,6,6,6,6,4
नई दिल्ली, 01 जुलाई। एक साल पहले बेन स्टोक्स निराशा के भंवर में फंसे हुए थे। जिंदगी और क्रिकेट करियर दोनों दांव पर लग गया था। उन्होंने 2021 में भारत के खिलाफ होने वाली श्रृंखला के ठीक पहले क्रिकेट के सभी फॉरमेट से खुद को अलग कर लिया था। वे मानसिक रूप से असहज महसूस कर रहे थे। उन्होंने ब्रेक लिया। हालात से लड़े और खुद को संभाला। मानसिक रूप से खुद को मजबूत किया। फिर नये इरादों के साथ मंजिल की तरफ कदम बढ़ाये।
आज वे इंग्लैंड के स्टार कैप्टन हैं। टेस्ट कप्तान बनते ही उन्होंने न्यूजीलैंड के खिलाफ 3-0 की विजय प्राप्त की। उनके खेल में अब पहले से अधिक निखार है। इस साल जब वे इंग्लैंड के कप्तान बने तो उनको काउंटी चैम्पियनशिप में डरहम की तरफ से वोरस्टरशायर के खिलाफ मैच खेलना था। टेस्ट कप्तान बनने की खुशी ने उनके इरादों को कितना मजबूत बना दिया था, वह उनकी इस पारी को देख कर समझा जा सकता है। मानसिक तनाव से लौटने के बाद इस पारी ने ही स्टोक्स को सुपरमैन बनाया था। फिर तो वे ऐसे छाये कि अब हर तरफ उनकी कप्तानी और खेल की तारीफ हो रही है।
बेन स्टोक्स ने जब एक ओवर में कूटे 34 रन
6 मई 2022 को डरहम का वोरस्टरशायर के खिलाफ दूसरे दिन का मैच चल रहा था। क्रीज पर डरहम के बल्लेबाज बेन स्टोक्स थे। वोरस्टरशायर के स्पिन गेंदबाज जोश बेकर स्टोक्स को बॉलिंग कर रहे थे। उस समय स्टोक्स 59 गेदों पर 70 रनों पर खेल रहे थे। अचानक स्टोक्स ने ऐसा रौद्र रूप धारण कर लिया कि देखने वाले हक्के बक्के रह गये। बेकर ने पहली गेंद की जिसको स्टोक्स ने स्ट्रेट लॉफ्टेड शॉट खेल कर छक्का मार दिया। फिर तो उन्होंने छक्कों की झड़ी लगा दी और इस ओवर में 34 रन कूट डाले। इस ओवर में उन्होंने 6,6,6,6,6,4 रनों की बदौलत 34 रन बनाये और 70 से 104 पर पहुंच गये। इस पारी में स्टोक्स ने आतिशी बल्लेबाजी का नजारा पेश किया और केवल 64 गेंदों में शतक पूरा किया। इसके बाद भी उनकी विस्फोटक बल्लेबाजी जारी रही। अगली 12 गेंदों पर फिर 5 छक्के लगाये। उन्होंने 88 गेंदों पर 161 रन बनाये जिसमें 17 छक्के और 8 चौके शामिल थे। काउंटी क्रिकेट की एक पारी में सर्वाधिक छक्कों का यह एक नया रिकॉर्ड था। स्टोक्स के पहले दिवंगत एंड्रू साइमंड्स ने एक पारी में 16 छक्के मारे थे। यानी जब स्वास्थ्य लाभ कर स्टोक्स मैदान पर लौटे तब उनके इरादे फौलाद की तरह मजबूत हो चुके थे। उनके क्रिकेट जीवन में एक नये जोश का संचार हुआ। अब कप्तान बेन स्टोक्स और हेड कोच ब्रेंडन मैकुलम इंग्लिश क्रिकेट की कामयाबी की नयी पटकथा लिख रहे हैं।
असीम प्रतिभा लेकिन विवादों से रहा नाता
बेन स्टोक्स को शुरू से एक प्रतिभाशाली ऑलराउंडर माना जाता रहा है। लेकिन बेतरतीब जीवनशैली से उनकी यह प्रतिभा कई बार प्रभावित हुई। पर कमाल की बात ये है कि वह हर बार परिस्थितियों से लड़ कर बाहर निकल जाते हैं। वे जीवट वाले खिलाड़ी हैं। कोई दूसरा रहता तो कब का बिखर गया होता। स्टोक्स ने 2013 में टेस्ट डेब्यू किया था। उसी साल वे विवादों में घिर गये। ऑस्ट्रेलिया दौरे गये तो इतनी शराब पी ली कि सीरीज के बीच में ही उन्हें वापस इंग्लैंड भेज दिया गया था। 2017 में ब्रिस्टल के एक नाइटक्लब में मारपीट कर ली थी। इसकी वजह से रात भर उन्हें पुलिस हिरासत में रहना पड़ा था। लेकिन स्टोक्स की प्रतिभा कुछ ऐसी थी कि चयनकर्ता उन्हें टीम में लेने पर मजबूर हो जाते थे। उनके क्रिकेट करियर का सबसे बुरा दिन 2016 में आया। टी-20 विश्वकप के फाइनल में इंग्लैंड और वेस्टइंडीज के बीच मुकाबला था। बेन स्टोक्स आखिरी ओवर कर रहे थे। उनके सामने थे वेस्टइंजीड के कार्लोस ब्रेथवेट। अंतिम ओवर में जीत के लिए 19 रन बनाने थे। सब लोग इंग्लैंड की जीत का अनुमान लगा रहे थे। लेकिन ब्रेथवेट ने करिश्मा कर दिया। उन्होंने स्टोक्स की पहली चार गेंदों पर लगातार चार छक्के मार कर वेस्टइंजीज को टी-20 का विश्वविजेता बना दिया।
स्टोक्स को इंग्लैंड बार-बार क्यों देता रहा मौका ?
इंग्लैंड के हाथ में विश्वकप आते-आते रह गया। इस बॉलिंग के बाद कोई दूसरा गेंदबाज होता तो कब का उसका करियर खत्म हो गया होता। लेकिन स्टोक्स तो दूसरी मिट्टी के बने थे। उन्होंने इस नाकामी को भूला कर 2019 में ऐसी अद्भुत पारी खेली कि इंग्लैंड एकदिवसीय क्रिकेट का विश्वविजेता बन गया। न्यूजीलैंड के खिलाफ फाइनल में स्टोक्स ने अपनी उस प्रतिभा का परिचय दिया जिसके लिए इंग्लैंड पिछले छह साल से इंतजार कर रहा था। उसे यकीन था कि एक न एक दिन स्टोक्स इंग्लैंड को कोई ऐतिहासिक कामयाबी दिलाएंगे। उन्होंने ये कारनाम किया भी। न्यूजीलैंड ने पहले खेल कर 241 रन बनाये थे। जवाब में इंग्लैंड के चार विकेट 86 रनों पर गिर गये थे। तब स्टोक्स मैदान पर उतरे। उन्होंने 92 गेंदों पर नाबाद 84 रन बनाये। उन्होंने बटलर के साथ मिल कर स्कोर 200 के पार पहुंचाया। अंत में इंग्लैंड का स्कोर भी 241 पर ही थाम गया। मैच टाई होने पर सुपर ओवर हुआ। सुपर ओवर भी बराबरी पर छूटा। सुपर ओवर में स्टोक्स ने 8 रन बनाये थे। आखिरकार इंग्लैंड विश्वविजेता बना और स्टोक्स को लाजवाब खेल के लिए मैन ऑफ द मैच चुना गया। इंग्लैंड आज भी यही समझता है कि स्टोक्स किसी भी फॉरमेट में किसी भी समय मैच का रुख अपनी टीम की तरफ मोड़ सकते हैं।
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